भारत और रूस मिलकर ध्वस्त करेंगे अफगानिस्तान पर पाकिस्तान और चीन की चाल को
शैलेश शुक्ला
पाकिस्तान, तालिबान और चीन के बढ़ते खतरे के बीच भारत अफगानिस्तान में रूस की मदद से आगे बढ़ने जा रहा है। रूस भारत का लंबे समय से घनिष्ठ मित्र रहा है और पुतिन अगले महीने भारत की यात्रा पर आ रहे हैं।
काबुल
अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद पाकिस्तान और चीनी ड्रैगन ने भारत को अलग-थलग करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी। भारत के दोनों ही दुश्मनों को शुरुआत में थोड़ी बढ़त मिली लेकिन अब भारत ने पलटवार की पूरी तैयारी कर ली है। विशेषज्ञों के मुताबिक अफगानिस्तान मसले पर भारत अब रूस के सहारे आगे बढ़ने जा रहा है जो नई दिल्ली का पुराना घनिष्ठ मित्र है। भारत अफगानिस्तान पर एक क्षेत्रीय सम्मेलन करने जा रहा है। इस बैठक में ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, रूस के हिस्सा लेने की उम्मीद है, वहीं पाकिस्तान के एनएसए ने भारत यात्रा से इनकार कर दिया है।
रूस में भारत के राजदूत बाला वेंकटेश वर्मा को उम्मीद है कि इस बैठक में रूसी सुरक्षा परिषद काउंसिल के प्रमुख निकोलई पत्रूशेव हिस्सा लेंगे। रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान का भारत के आमंत्रण को स्वीकार करना, चारों के बीच अच्छे रिश्तों का संकेत है। अमेरिका के साथ गहरी दोस्ती के कारण भारत तालिबान राज में अलग-थलग पड़ता जा रहा था। रूस अब भारत की मदद करने के लिए आगे आया है। भारत रूस के हथियारों का बड़ा खरीदार है और पुतिन अगले महीने भारत आ रहे हैं।
एस-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को देने का प्रस्ताव
पुतिन की भारत यात्रा के दौरान कई रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकता है। अमेरिका के प्रतिबंधों के खतरे के बाद भी भारत रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर रूस भारत की चीन के खिलाफ खड़ा होने में मदद कर रहा है तो इससे ड्रैगन के साथ उसके रिश्तों में कुछ तनाव आ सकता है। यही नहीं रूस ने भारत को अपने सबसे आधुनिक एस-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को देने का प्रस्ताव दिया है।
रूस जहां अपने सबसे घातक हथियारों को दे रहा है, वहीं अमेरिका अभी इसे परहेज कर रहा है। रूस ने मध्य एशिया में अमेरिकी सेनाओं की किसी भी तरह से उपस्थिति को सफलतापूर्वक रोक दिया है। यह रूस का एक सख्त रूख है। वहीं विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि यदि तालिबान की सरकार गिरती है या देश में गृहयुद्ध की आंच में फिर से सुलगता है तो इस इलाके में रूस एक गंभीर खिलाड़ी हो सकता है। इसलिए भारत रूस के साथ- साथ अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ संपर्क में बना हुआ है।
अफगानिस्तान मुद्दे पर पाकिस्तान चीन की मदद से भारत को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यहां तक कह दिया था कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर सम्मेलन करके भारत इस मुद्दे पर अपनी प्रासंगिकता तलाश करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के एनएसए ने तो यहां तक कह दिया कि भारत अफगानिस्तान में हालात बिगाड़ने वाला है। चीन ने मौके का फायदा उठाकर तालिबान को मदद देना शुरू कर दिया है।