स्रष्टा मैं पूछूं तू बता?

अनंत, व्योम, आकाश गंगा, इनका है आधार क्या?
अपने पथ में सब ग्रह घूमते, टकराते नही चमत्कार क्या?

यदि भू से भिन्न सभ्यता है, उनका है व्यवहार क्या?
सूक्ष्म में स्थूल समाया, जिज्ञासा है आकार क्या?

कार्य और कारण से पहले, था ऐसा संसार क्या?
मोक्ष अवस्था में था जीव, तब करता था व्यापार क्या?

तू ईश एक पूजा अनेक, है सर्वमान्य प्रकार क्या?
कहां घड़ता मूर्ति प्रकृति की, अदृश्य रहा मूर्तिकार कैसे?

पुष्पों में मुस्कान मनोहर, भरता चित्रकार कैसे?
सुंदर और साकार सृष्टि, स्रष्टा निराकार कैसे?

Comment: