सैफ अली ने अपने बेटे का नाम तैमूर क्यों रखा ?
कड़वा सच
अफगानिस्तान में लगभग कोई भी हिन्दू और सिक्ख नही बचा है। इसी के साथ वहां से 3 गुरुग्रंथ भी लाए गए। इन्हें केंद्रीय मंत्री ने सम्मान के साथ लिया।
कुछ समय पहले एक बहुत बड़ा वर्ग CAA का विरोध कर रहा था। कोई इमरान को यार बता रहा था तो कोई तालिबान के गुण गा रहा था।
राजा सुहेलदेव जी को याद करने पर कुछ के दिल मे दर्द होता है। इलाहबाद का नाम प्रयागराज करें या फैजाबाद का अयोध्या या होशंगाबाद का नर्मदापुरम करें इन्हे हमेशा दिल मे दर्द होता है। भारत मे सैफ आली खान ने अपने बच्चे का नाम तैमूर इसीलिए रखा ताकि वह भी उसी तरह हिंदूओ का कत्लेआम करे । अब सेक्युलरिज़्म की अफीम मे लपेट कर बताया जा रहा है कि तैमूर का अर्थ तो लोहा है । यदि अगले बेटे का नाम औरंगजेब सुझाए तो इन्हे परेशानी होती है। औरंगजेब का अर्थ है मुकुट मणि। वैसे हाफ़िज़, ओसामा, अजमल आदि मॉडर्न नाम भी रख सकते हैं।
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्लाह के नेक बंदों को अपनी जड़ो से बेहद नफरत है। फ्रांस के नए कानून पर छाती पीटते हैं तो भारत मे समान नागरिक कानून और जनसंख्या नियंत्रण का विरोध करते हैं। परंतु चीन मे ऊईगर मुस्लिमो के ऊपर होने वाले अत्याचारों पर दुनिया के 56 मुल्क चुप हैं। लोकडाउन के दौरान पाकिस्तान TV पर एक तुर्की का अर्तुगल नाटक चला। कल तक सऊदी को बाप बताने वाले अब चीन और तुर्की को बाप बताने लगाने। कुछ दिन पहले खबर आई कि गुरु नानक जी के जन्म स्थान ( ननकाना साहब / पंजाब पाकिस्तान) मे एक ने अपने नवजात बच्चे का नाम अरतुगल लिखवाया है।
यहाँ 2 उदाहरण देता हूँ। लाहौर मे एतिहासिक स्थल था गुरुद्वारा लाल खूई (कुईं)। इसका सम्बन्ध पूज्य गुरु अर्जुन देव जी से था। इसमे एक एतिहासिक कुआं था जिसे लाल खुई बोला जाता था।
जहांगीर के गुलाम चंदु की नजरबंदी मे गुरु जी ने इस कूए का पानी पिया, एक बेर के पेड़ के फल खाए और नजदीकी बर्फी की दुकान वाले ने अपनी जान पर खेल कर गुरु जी को बर्फी की सेवा दी। सेक्युलरों के हीरो जहांगीर को तुजुक ए जहांगीरी में गुरु अर्जुनदेव के बलिदान का जिम्मेदार ठहराया गया है। शायद इसलिए सैफ और करीना ने तैमूर के भाई का नाम जहांगीर रखा है।
मुगल शासन कमजोर हुआ और लाहौर महाराजा रणजीत सिंह के अधिकार मे आया तो इसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारे का स्वरूप मिला। आस पास अनेक हिन्दू सिक्खों की बर्फी की दुकाने थी जो 1947 मे ये दुकाने मुस्लिमों के कंट्रोल मे आ गई और आज भी वहाँ बर्फी की ही दुकाने हैं।
धीरे धीरे इसे मस्जिद मे बदल दिया। मस्जिद का नाम रखा 4 यार जो अरब के पहले 4 खलीफाओं का सामूहिक सम्बोधन हैं।
पाकिस्तान मे DAV का इस्लामिया नाम बदलना तो सभी को पता है। यह नाम सरकारों ने बदला है। सामान्य आदमी नाम नहीं बदलते। लाहौर के उस मोहल्ले का नाम आज भी स्वामी नगर हैं जहां आर्य समाज के स्वामी दयानन्द ने प्रवास किया था। जिस घर मे वह रहे थे उसका अंडरग्राउंड हिस्सा आज भी उस मकान मालिक ने संरक्षित रखा है।
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