आइए, जानते हैं हिंदू विरोधी सोनिया गांधी के खतरनाक खेल का सच

 

मुझे मेरा राजीव लौटा दीजिए, मैं लौट जाऊंगी, नहीं लौटा सकते तो मुझे भी इसी मिट्टी में मिल जाने दो- सोनिया गांधी। 

ऐसा कहने वाली श्रीमती सोनिया गांधी जी के कार्य-कलापों पर नज़र डालें तो समझ में आ जाता है कि वो वास्तव में किस मिशन पर जुटी रही हैं।

राजीव गांधी की हत्या तक सोनिया की पकड़ सिस्टम पर उतनी मज़बूत नहीं थी। उसके बाद पीवी नरसिंहराव आ गए जो सोनिया गांधी को नज़र अंदाज़ करके अपना काम करते रहे।

1999 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री रहे और इस दौरान भी सोनिया एक तरह से लाचार रहीं। लेकिन 2004 में दिल्ली की सत्ता हाथ आते ही सोनिया ने वो मिशन शुरू कर दिया जिसके इंतज़ार में वो तब से थीं, जब से भारत आईं।

 

2005 में सोनिया गांधी के दबाव में मनमोहन सरकार ने संविधान में 93वां संशोधन किया। इस संशोधन का मतलब था कि सरकार किसी हिंदू के शिक्षा संस्थान को कब्जे में ले सकती है लेकिन अल्पसंख्यकों और हिंदुओं की अनुसूचित जाति और जनजाति के संस्थानों को छू भी नहीं सकती। 

दलितों और आदिवासियों को हिंदू धर्म से अलग करने की सोनिया गांधी की ये सबसे बड़ी चाल थी। इसका असर यह हुआ कि किसी हिंदू के लिए शिक्षण संस्थान चलाना बहुत कठिन हो गया। चर्च की सलाह पर ही 2009 में सोनिया ने शिक्षा के अधिकार का कानून बनवाया। इसके जरिए आम शिक्षण संस्थानों में 25 फीसदी गरीब छात्रों को दाखिला देना जरूरी कर दिया गया जबकि दूसरी औऱ अल्पसंख्यक संस्थानों पर ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। यहां तक कि उन्हें अनुसूचित जाति और जनजातियों को आरक्षण देने से भी छूट दे दी गई।

 

सोनिया के दांव का घातक असर: 

1.पहले संविधान का 93वां संशोधन और फिर शिक्षा के अधिकार (RTE) के कानून के चलते ईसाई और मुस्लिमों के लिए शैक्षिक संस्थान चलाना बहुत सस्ता हो गया। दूसरी तरफ हिंदुओं के शिक्षण संस्थान बंद होने लगे।

कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के लोगों के कई मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज चलते हैं। उनके आगे जब संकट खड़ा हुआ तो उन्होंने लिंगायत को हिंदुओं से अलग धर्म की मान्यता देने की मांग शुरू कर दी।

ऐसी ही मांग साईं भक्त समुदाय से भी उठने लगी। दरअसल ये सोनिया गांधी का दांव था जिससे देखते ही देखते हिंदू धर्म के अलग-अलग समुदाय खुद को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग करने लगे।

प्लान तो यहां तक था कि आगे चलकर कबीरपंथी, नाथ संप्रदाय, वैष्णव जैसे समुदायों को भी अलग धर्म की मान्यता देने की मांग को हवा दी जाए। इसी तरह के दांव से आजादी के समय कांग्रेस ने जैन, सिख और बौद्धों को हिंदू धर्म से अलग किया था।

अगर देखा जाए तो आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस की हिन्दू विरोधी नीतियों पर ही चल रही है। जो काम कांग्रेस करने में असफल रही, उस काम फ्री की रेवड़ियों का लालच देकर सत्ता में आने वाली यह पार्टी कर रही है।

दरअसल 2004 के बाद से सोनिया गांधी के इशारे पर कांग्रेस की सरकारों ने ऐसे कई फ़ैसले लिए जो वास्तव में हिंदू धर्म की रीढ़ पर हमला थे। हैरानी की बात यह रही कि इन सभी में मीडिया ने कांग्रेस को पूरा सहयोग किया।

2.राम सेतु पर हलफनामा:

2007 में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि चूंकि राम, सीता, हनुमान और वाल्मीकि वगैरह काल्पनिक किरदार हैं इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है। जब बीजेपी ने इस मामले को जोरशोर से उठाया तब जाकर मनमोहन सरकार को पैर वापस खींचने पड़े।

3. हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़ा:

इससे पहले हिंदू के साथ आतंकवाद शब्द कभी इस्तेमाल नहीं होता था। मालेगांव और समझौता ट्रेन धमाकों के बाद कांग्रेस सरकारों ने बहुत गहरी साजिश के तहत हिंदू संगठनों को इस धमाके में लपेटा और यह जताया कि देश में हिंदू आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है। जबकि ऐसा कुछ था ही नहीं। कोर्ट में कांग्रेस की इन साजिशों की धज्जियां उड़ चुकी हैं।

4. सेना में फूट डालने की कोशिश:

सोनिया गांधी के वक्त में भारतीय सेना को जाति और धर्म में बांटने की बड़ी कोशिश हुई थी। तब सच्चर कमेटी की सिफारिश के आधार पर सेना में मुसलमानों पर सर्वे करने की बात कही गई थी।बीजेपी के विरोध के बाद मामला दब गया, लेकिन इसे देश की सेनाओं को तोड़ने की गंभीर कोशिश के तौर पर आज भी देखा जाता है।

5. चर्च को सरकारी मदद:

यह बात कम लोगों को पता होगी कि जहां कहीं भी कांग्रेस की सरकार बनती है वहां पर चर्च को सीधे सरकार से आर्थिक मदद पहुंचाई जाती है।इसका खुलासा कर्नाटक में RTI से हुआ था,जहां सिद्धारमैया सरकार ने चर्च को मरम्मत और रखरखाव के नाम पर करोड़ों रुपये बांटे थे।

 

6. शंकराचार्य को गिरफ्तार कराया: 

2004 में कांग्रेस ने सत्ता में आते ही कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को दिवाली की रात गिरफ्तार कराया था।तब इसे तमिलनाडु की तत्कालीन जयललिता सरकार का काम माना गया था। लेकिन बाद में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में इस घटना का ज़िक्र किया, जिससे यह पता चला कि वास्तव में ये खेल केंद्र सरकार की तरफ़ से रचा गया था। शंकराचार्य धर्मांतरण में ईसाई मिशनरियों के लिए रोड़ा बन रहे थ।ेलिहाज़ा कांग्रेस ने उन्हें फँसाया था।

7. केंद्रीय विद्यालय की प्रार्थना पर एतराज़:

ये 2019 का मामला है जब एक वकील के ज़रिए केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना के तौर पर ‘असतो मा सदगमय’ को बदलवाने की अर्ज़ी कोर्ट में दाखिल की गई थी।दावा किया जाता है कि इसके पीछे सोनिया गांधी का ही दिमाग़ था। 2014 से पहले अपने कार्यकाल में भी उन्होंने इसकी कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हो पाई थीं।

8. दूरदर्शन का लोगो:

दूरदर्शन के लोगो मे से सत्यम शिवम सुंदरम को हटाया मनमोहन सरकार ने किसके इशारों पर, ये भी सभी जानते हैं।

क्योंकि कांग्रेस ने सोचा था कि भारत 2020- 22 तक इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा इसलिए  2011 से लेकर 2013 तक कम्युनल वायलेंस लॉ को कांग्रेस ने तीन बार लोकसभा में प्रस्तुत किया, परन्तु बीजेपी ने लोकसभा में इसका जोरदार विरोध किया जिस कारण यह हिन्दुओं को गुलाम बनाने वाला कानून पास नहीं हो सका,यदि कानून पास हो जाता तो हिंदू निश्चित रूप से गुलाम हो जाता l इसलिए पहले हीं गाँधी परिवार ने प्रियंका वाड्रा के बेटे का नाम रेहान  रखा गया जो एक मुस्लिम नाम है कि कांग्रेस के लोग कह सके कि हमारा तो नेता रेहान है   और यह मुस्लिम हैl यह रेहान वाड्रा कि जगह रेहान खान हों जाता  फिर यह कांग्रेस पीढ़ी दर पीढ़ी राज्य करती रहती l क्या है यह कानून  नीचे  पढ़े

Communal violence Law

हिंदुओ के लिए फांसी का फंदा तैयार करने को कांग्रेस किस तरह से तैयार थी। इस लेख को पूरा पढ़िए।  इसे पढ़कर कांप उठेंगे। अफसोस! मरते न जिन्दा रहते तड़प 2 कर जीते। बहन बेटिया आपके ही सामने हबस का शिकार अलग बनती।

“Communal violence bill”

कांग्रेस के लिये जान फूंकने वाले हिंदुओं सुनो मैं कांग्रेस का घोर विरोधी क्यों हूँ ।

“एंटोनी माइनो” की भयानक खतरनाक साजिश।

जिसे पढ़कर रोंगटे खड़े हो जायेगा। अगर लागू हो गया होता तो मरना भी दूभर हो जाता। जीने की बात ही छोड़ो। तुम्हारे विनाश वाला बिल जिसे काँग्रेस ने दो बार संसद मे पेश किया। 2005 मे और फिर 2011में। कांग्रेस हिंदुओ के खिलाफ ऐसा बिल लेकर आई थी जिसको सुनकर आप कांप उठेंगे। परन्तु भाजपा के जबरदस्त विरोध के कारण वह पास नहीं करवा सकी। मुझे यकीन है कि 96% हिन्दुओ को  तो अपने खिलाफ आये इस बिल के बारे में कुछ पता भी नहीं होगा जिसमें शिक्षित हिंदू भी शामिल है क्योंकि हिंदू सम्पत्ति जुटाने में लगा है उसको इन सब बातों को जानने के लिए समय नहीं है । जबकि मुसलमान के अनपढ़ भी इतने जागरूक है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश,अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये गए हिन्दू व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता देने वाले CAA क़ानून के खिलाफ मुसलमान का बच्चा बच्चा उठ खड़ा हुआ। अगर काँग्रेस दुबारा सत्ता में आई तो यह बिल फिर लेकर आएगी।

हिंदू समाज के लिए फांसी का फंदा, कुछ एक लोगों को इस बिल के बारे में पता होगा, 2011 में इस बिल की रुप रेखा को सोनिया गाँधी की विशेष टीम ने बनाया था जिसे NAC भी कहते थे, इस टीम में दर्जन भर से ज्यादा सदस्य थे और सब वही थे जिन्हें आजकल अर्बन नक्सली कहा जाता है.. कांग्रेस का कहना था की इस बिल के जरिये वो देश में होने वाले दंगों को रोकेंगे। अब इस बिल में कई प्रावधानो पर जरा नजर डालिए :–

*इस बिल में प्रावधान था कि दंगों के दौरान दर्ज अल्पसंख्यक से सम्बंधित किसी भी मामले में सुनवाई कोई हिंदू जज नहीं कर सकता था।

*अगर कोई अल्पसंख्यक सिर्फ यह आरोप लगा दे कि मुझसे भेदभाव किया गया है तो पुलिस को अधिकार था कि आपके पक्ष को सुने बिना आपको जेल में डालने का हक होगा और इन केसों में जज भी अल्पसंख्यक ही होगा..

*इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि कोई भी हिन्दू दंगों के दौरान हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़ के लिये अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध केस दर्ज नहीं करवा सकता।

 

*इस बिल में प्रावधान किया गया था कि अगर कोई अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति हिन्दू पर हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, हत्या का आरोप लगाता है तो कोर्ट में साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है केवल मुकदमा दर्ज करवा देना ही काफ़ी है। बल्कि कोर्ट में निर्दोष साबित होने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की है जिस पर आरोप लगाया गया है। 

*इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय को हुए किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए बहुसंख्यक को जिम्मेदार मानते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के नुकसान की भरपाई हिंदू से की जाए। जबकि बहुसंख्यक के नुकसान के लिए अल्पसंख्यक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता था।

*अगर आपके घर में कोई कमरा खाली है और कोई मुस्लिम आपके घर आता है उसे किराए पर मांगने के लिए तो आप उसे कमरा देने से इंकार नहीं कर सकते थे क्योंकि उसे बस इतना ही कहना था कि आपने उसे मुसलमान होने की वजह से कमरा देने से मना कर दिया यानि आपकी बहन बेटी को छेड़ने वाले किसी अल्पसंख्यक के खिलाफ भी हम कुछ नहीं कर सकते थे। मतलब कि अगर कोई छेड़े तो छेड़ते रहने दो वर्ना वो आपके खिलाफ कुछ भी आरोप लगा देता….. आपकी सीधी गिरफ़्तारी और ऊपर से जज भी अल्पसंख्यक..

*देश के किसी भी हिस्से में दंगा होता, चाहे वो मुस्लिम बहुल इलाका ही क्यों न हो, दंगा चाहे कोई भी शुरू करता पर दंगे के लिए उस इलाके के वयस्क हिन्दू पुरुषों को ही दोषी माना जाता और उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांचें शुरू होती। और इस स्थिति में भी जज केवल अल्पसंख्यक ही होता ऐसे किसी भी दंगे में चाहे किसी ने भी शुरू किया हो..

*अगर दंगों वाले इलाके में किसी भी हिन्दू बच्ची या हिन्दू महिला का रेप होता तो उसे रेप ही नहीं माना जाता । बहुसंख्यक है हिन्दू इसलिए उसकी महिला का रेप रेप नहीं माना जायेगा और इतना ही नहीं कोई हिन्दू महिला बलात्कार की पीड़ित हो जाती और वो शिकायत करने जाती तो अल्पसंख्यक के खिलाफ नफरत फ़ैलाने का केस उस पर अलग से डाला जाता..

*इस एक्ट में एक और प्रस्ताव था जिसके तहत आपको पुलिस पकड़ कर ले जाती अगर आप पूछते की आपने अपराध क्या किया है तो पुलिस कहती की तुमने अल्पसंख्यक के खिलाफ अपराध किया है, तो आप पूछते की उस अल्पसंख्यक का नाम तो बताओ, तो पुलिस कहती – नहीं शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जायेगा..

*कांग्रेस के दंगा नियंत्रण कानून में ये भी प्रावधान था की कोई भी इलाका हो बहुसंख्यको को अपने किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से पहले वहां के अल्पसंख्यकों का NOC लेना जरुरी होता यानि उन्हें कार्यक्रम से कोई समस्या तो नहीं है। ऐसे हालात में अल्पसंख्यक बैठे बैठे जजिया कमाते क्योकि आपको कोई भी धार्मिक काम से पहले उनकी NOC लेनी होती, और वो आपसे पैसे की वसूली करते और आप शिकायत करते तो भेदभाव का केस आप पर और ऐसे हालात में जज भी अल्पसंख्यक..

और भी अनेको प्रावधान थे कांग्रेस के इस दंगा नियंत्रण कानून में जिसे अंग्रेजी में Communal Violence Bill भी कहते है..

सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल का सबसे पहले विरोध शुरू किया था और उन्होंने इस बिल के बारे में लोगों को जब बताया था तो 2012 में हिन्दू काँप उठे थे तभी से कांग्रेस के खिलाफ हिन्दुओं ने एकजुट होना शुरू कर दिया था। सुब्रमण्यम स्वामी का पूरा लेक्चर इस “Communal Violence Bill” पर आज भी मौजूद है, 45 मिनट से ज्यादा का है। आप चाहे तो यू टयूब पर सर्च कर लें, और अच्छे से सुन लें..

अब इस के बाद भी जो हिन्दू कांग्रेस को support करता है वे जाने अनजाने अपने ही लोगो के लिए नरक का  द्वार खोल रहे हो इसे जानो।

कांग्रेस को मिले श्राप 

ये “7” “श्राप”…,”कांग्रेस पार्टी” को दिये थे – “किसी ब्राह्मण” ने,एक समय में ….? जो – अब -“शत प्रतिशत”, “सत्य” होती दिख रहीं हैं..?

1. एक दिन आएगा ,जब – “वोट” के लिए-” कांग्रेसी नेता”… “कोट पर जनेऊ” पहनेंगे..।

-वीर सावरकर, 1959

2. एक दिन -“पूरे देश पर”… “भाजपा” का-” राज”होगा। –अटल जी 1999, संसद में

3. मैं आज -“कांग्रेस” छोड रहा हूं…, पर – “मैं शपथ” लेता हूं…, कि – “मैं” इसी -“कांग्रेसी विचारधारा” के -“विरुद्ध”…, ऐसा “संगठन” खडा करूंगा… जो – इसका -“नामोनिशान” मिटाकर रख देगा। चाहे इसके लिये – “100 साल” क्यों न लगें?  800 साल की “गुलामी” में 100 साल और सही…? , पर – यही “संगठन”, भारत को फिर “अखंड भारत” बनाकर रहेगा।केशव बलिराम हेडगेवार, संस्थापक एवं प्रथम सरसंघचालक, 1922, नागपुर

4. जिस दिन “मरा हुआ हिंदुत्व”….,”गर्व से कहेगा”:-  कि – “मैं हिंदू हूं”…,उस दिन “अमेरिका” भी, “भारत” की “परंपराओं” के सामने – “नतमस्तक” होगा …,और… कहेगा कि:-  “फलां देश” को “समझाओ”..।स्वामी विवेकानन्द, 1893, शिकागो, अमेरिका में।

5. आज – “गौहत्याबंदी” “आंदोलन” में – “संसद के सामने”…, “इंदिरा गांधी” ने – एक घंटे में -“400 साधुओं” को -“गोली चलाकर मार डाला”..। मैं -“कांग्रेस पार्टी” को -“श्राप” देता हूं…, कि – एक दिन, “हिमालय” में “तपश्चर्या” कर रहा “एक साधू”…, “आधुनिक वेशभूषा” मे ,इसी “संसद पर कब्जा” करेगा …,और… “कांग्रेसी विचारधारा” को “नष्ट” कर देगा। यह एक “ब्राह्मण” का “श्राप” है…? और …”ब्राह्मण” का “श्राप” कभी “खाली” नहीं जाता। –करपात्री महाराज, संसद के सामने रोते और साधुओं की लाशें उठाते हुए, 7 नवम्बर 1966

6. “कांग्रेस पार्टी”…”वोट बैंक” के लिये …”इतनी नीचे गिर जायेगी”? कि – वो “JNU” जैसे – “नेहरू के वामपंथी सेक्स केंद्र” के “नारों” का “समर्थन” करेगी….,? और “गौहत्या” का “समर्थन” “खुलेआम” करके “स्वयं” को, “नक्सली” साबित करेगी। डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, आप की अदालत में 2009

7. नरेंद्र मोदी ही भारत का भविष्य है। 2002 गुजरात “दंगों का दोष” उस पर मत दो। वो- “निष्पाप” है। अटलजी और RSS को कहता हूं,कि – वे उन्हें “continue” करें….l वरना – “भारत” से “हिंदुत्व खत्म” हो जायेगा। –बालासाहब ठाकरे , 6 जून 2002

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