कोरोना महामारी में लगने वाले मास्कों का विश्लेषण
डॉ. सुधा कुमारी
फ्रांस की क्रांति में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मांग करनेवालों ने या भारत के संविधान में अभिव्यक्ति और विचरण की स्वतंत्रता का प्रावधान रचनेवालों ने कभी सपने में भी यह नहीं सोचा होगा कि एक दिन मानव समय की ऐसी सुरंग से गुजरेगा जब उसे खुलकर साँस लेने की भी स्वतंत्रता नहीं रहेगी। इसी तरह, नकाब या घूँघट को फिजूल और अनावश्यक समझनेवालों ने भी कभी यह नहीं सोचा होगा कि एक दिन यही नकाब उसका जीवन-रक्षक साधन बन जाएगा। पिछले डेढ़ साल से विश्व के सभी मनुष्य समय की उस घुटन भरी सुरंग से गुजरते जा रहे हैं जब साँस लेने की भी स्वतंत्रता समाप्त हो चुकी है और हवा को फ़िल्टर करके साँस लेने के लिए हमें मास्क का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। पिछले साल एक मास्क लगाना पड़ा जो काफी दुखदायी था और इस साल से डबल मास्क लेने की हिदायत मिल रही है। यहाँ तक कि घर में भी मास्क लगाना जरूरी बताया जा रहा है।
अब जबकि मास्क हमारे व्यक्तित्व और सामान्य दिनचर्या का एक अनिवार्य अंग हो चुका है तो इसे इस्तेमाल करने में स्वास्थ्य और सावधानी दोनों का होना आवश्यक है ताकि हम लगातार बंद नाक की वजह से ही बीमार न पड़ जाएँ। मास्क से दम घुटना या साँस में लेने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। मास्क का इस्तेमाल चेहरे पर करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वह पर्याप्त ओक्सिजन साँस में जाने दे तथा बाहर के हानिकारक कणों को फ़िल्टर कर सके और वह आसानी से धुल सके या फेंका जा सके। इसके लिए कपड़े का या डिस्पोजेबल 3 प्लाई सर्जिकल मास्क को लगाना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।
मास्क के प्रकार:
नॉन- मेडिकल या कपड़े का मास्क– यह हवा से एयरोसोल कणों को 60% तक फ़िल्टर करता है। इसे बनाना या खरीदना और साफ़ करना आसान है और साँस लेने में आरामदायक है। यह आम लोगों के लिए उपयोगी है।
मेडिकल या सर्जिकल मास्क– सफ़ेद, हलके नीले या हरे रंग का यह मास्क 3 प्लाई या 4 प्लाई (परत वाला) होता है। यह हवा से एयरोसोल कणों को 75% तक फ़िल्टर करता है खरीदने और साँस लेने में आरामदायक है। इसे लगाने वक्त इसकी प्लीट्स या चुन्नट नीचे की ओर होती है। यह डिस्पोजेबल होता है और इसका इस्तेमाल करके फेंक देना होता है। इसे खरीदना आसान है और साँस लेने में आरामदायक है। यह स्वास्थ्य-कर्मियों, मरीज या अन्य लोगों के लिए उपयोगी है।
एन. 95 रेस्पिरेटर– यह हवा से एयरोसोल कणों को 95% फ़िल्टर करता है और पालिमर से बना होता है। यह स्वास्थ्य-कर्मियों के लिए उपयोगी है। के.एन. 95 रेस्पिरेटर भी हवा से एयरोसोल कणों को 95% फ़िल्टर करता है और 5 तहों में बना हुआ आकार में छोटा, सफ़ेद रंग में सुलभ है। दोनों में अंतर यह है कि एन. 95 अमेरिका में बना है और उसके नियमों से बंधा है और के.एन. 95 चीन से नियमित होता है और वहीं से आयात किया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश एवं सुझाव: दिसम्बर, 2020 में अंतरिम तकनीकी निर्देश जारी किये गए थे। इसके अनुसार सूती या लिनेन के तीन या ज्यादा परत वाले चेहरे पर फिट होने वाले मास्क सामाजिक अवसर या आम लोगों से मिलने जुलने के समय लगाना चाहिए। हाल में इसने 18.04.2021 को ट्विटर पर एक विडियो के द्वारा मेडिकल और नॉन-मेडिकल मास्क लगाने के लिये एक कार्यक्रम भी साझा किया था। नॉन- मेडिकल या कपड़े के मास्क सामाजिक स्थान में और सार्वजनिक स्थिति में इस्तेमाल किये जा सकते हैं जबकि मेडिकल या सर्जिकल मास्क अस्पताल में या मरीज की देखभाल के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा, 60 वर्ष से ऊपर के लोगों और कोविड के मरीजों द्वारा इस्तेमाल करने चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन मास्क के इस्तेमाल पर एक घंटे का कोर्स भी प्रदान करता है।
डबल मास्क के लिए निर्देश: सी.डी.सी. (सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन), यू.एस.ए., जो एन- 95 मास्क का नियमन करता है, कपड़े के मास्क को सर्जिकल मास्क से बेहतर मानता है । डबल मास्क का उपयोग कोविड के मरीज से मिलने के लिए या स्वयं इसके लक्षण या सर्दी जुकाम होने पर करना चाहिए । डबल मास्क के कुछ खतरनाक कॉम्बिनेशन नीचे दिए गए हैं जो कभी भी इस्तेमाल नहीं करने चाहिए:
– डबल सर्जिकल मास्क,
– के.एन. – 95 और कोई अन्य मास्क
– एन. – 95 और कोई अन्य मास्क
भारत में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी तथा 25.02.2019 को रिवाइज किये गए निर्देश के अनुसार 3 प्लाई डिस्पोजेबल मास्क अस्पताल के ओ.पी.डी. में इस्तेमाल किये जा सकते हैं और एन. 95 क्रिटिकल केयर विभाग, प्रयोगशाला या एयरोसोल से सम्बंधित प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल करना चाहिए। हाल में 10.06.2021 को निर्देशों को रिव्यु किया गया और यह तय किया गया कि 5 वर्ष से छोटे बच्चे मास्क नहीं लगाएंगे और 6-11 वर्ष के बच्चे अभिभावक या डॉक्टर की निगरानी में मास्क लगाएंगे।
नकली सामान से बचने की भी बहुत जरूरत है। ई.सी.आर.आई. (इमरजेंसी केयर रिसर्च इंस्टिट्यूट, यू.एस.ए.) में शोध से यह पता लगा कि के.एन. 95 ( सफ़ेद रंग का छोटा, गोल सा मास्क) जिसे चीन से आयात किया जाता है, हवा से एयरोसोल कणों को फ़िल्टर करने में एन.आई.ओ.एस.एच. ( यू.एस.ए. की मास्क नियमन एजेंसी) के मानक पर खरा नहीं उतरता है। खतरनाक परिस्थितियों में यह अधिक लाभदायक नहीं है। इस परिणाम की पुष्टि जुलाई, 2020 में हार्वर्ड और एम.आई.टी. की एक टीम जिसका नाम ग्रेटर बोस्टन पान्डेमिक फेब्रिकेशन टीम है, ने भी की है। इस मास्क के नाम पर नकली सामान मिलने की भी सम्भावना है क्योंकि इस तरह के नकली मास्क पर एफ.डी.ए. (फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यू.एस.ए.) के लोगो / मान्यता / स्वीकृति छपे मिले हैं जबकि एफ.डी.ए. मास्क की मान्यता देने का कार्य नहीं करता है। एफ.डी.ए. के रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट दिखाने वाली कम्पनियां भी नकली मास्क का काम कर सकती है क्योंकि रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का तात्पर्य स्वीकृति नहीं होता।
अतः स्वस्थ रहें, सावधान रहें और प्रसन्न रहें क्योंकि जान है तो जहान है और जबतक साँस, तबतक आस।