मिले योगी मोदी और जय श्रीराम, हवा में उड़ गए टीपू सुल्तान
🙏बुरा मानो या भला🙏
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—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
मीडिया स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार अभी हाल ही में समाजवादी पार्टी, बिजनौर के एक नेताजी ने अपने एक वक्तव्य में कहा कि – “भाजपा ने बस समाज को बांटने वाली राजनीति को ही अपनाया है और उसे ही बढ़ावा दिया है। वह नफ़रत फैलाती है जबकि सपा सद्भाव और विकास के लिये प्रतिबद्ध है। सपा की सरकार में नफ़रत के लिए कोई स्थान नहीं है।”
सपा नेता के इस बयान को सुनकर एक कहावत याद आ गई- छाज बोले सो बोले, छलनी बोल रही जिसमें 72 छेद।
उधर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि गाजियाबाद में उम्मेद पहलवान ने सपा नेताओं की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। बेचारे पहलवान शायद यह भूल गए थे कि उत्तरप्रदेश में “अब्बा” की नहीं बल्कि “पूज्य पिताजी” की सरकार है। अब “मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम” का नारा गया, अब तो नया नारा है- “मिले योगी-मोदी और जयश्रीराम, हवा में उड़ गए टीपू सुल्तान”.
सपा नेताओं की याददाश्त थोड़ा कमज़ोर है इसीलिए वह अपनी ही पार्टी के उम्मेद पहलवान को भूल गए जिसने कथित रूप से एक ऐसी साज़िश रची थी कि अगर वह कामयाब हो जाता तो पूरे उत्तरप्रदेश में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत में साम्प्रदायिक हिंसा की अग्नि प्रज्वलित हो जाती और उसमें लाखों-करोड़ों लोगों के प्राणों की आहुति चली जाती, कई लाख लोग बेघर हो जाते और सम्भव था कि पूरा देश एक अघोषित गृहयुध्द की आग में जल जाता। वह तो समय रहते ही योगी सरकार ने उचित कदम उठा दिए वरना अनर्थ हो जाता।
नेताजी यह भी भूल गए कि अभी कुछ दिन पहले ही बिजनौर जिले के नजीबाबाद में भी एक सपा नेता ने बेहद भड़काऊ और आपत्तिजनक बयान दिया था। जिसका एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। जिसपर स्थानीय पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए नेताजी को उनकी सही जगह पहुंचा दिया।
मीडिया स्रोतों के माध्यम से कानपुर से भी खबरें आ रही हैं कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा कुछ दलित भाइयों का जबरन धर्मांतरण कराने का प्रयास किया जा रहा है। इन गुंडों और असामाजिक तत्वों के सर पर भी एक सपा विधायक का हाथ बताया जा रहा है।
नेताजी यह भी भूल गए कि जिला बिजनौर से कुछ दूरी पर ही मुजफ्फरनगर है जहां सपा शासनकाल में ही दंगे हुए थे और निर्दोषों का खून बहा था। उस समय केंद्र में कांग्रेस सरकार थी।
“केवल मुस्लिम बेटियां ही हमारी बेटियां हैं” कहने वाली सपा को कथित तौर पर “साम्प्रदायिक पार्टी” भी कहते हैं। यह शायद इसलिए कि
माना जाता है कि अगर उत्तरप्रदेश में साम्प्रदायिक दंगों का इतिहास उठाया जाए तो मालूम होगा कि सबसे अधिक साम्प्रदायिक हिंसा समाजवादी सरकार में हुई है।
यह भी कहा जाता है कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय मुलायम सिंह अपने नाम से पहले “मुल्ला” लगाने में बहुत गर्व महसूस करते हैं। हालांकि इस विषय में माननीय मुलायम सिंह की ओर से कोई अधिकृत बयान कभी जारी नहीं हुआ।
आजम खान, शफीकुर्रहमान बर्क, एस.टी हसन, और अबु आज़मी जैसे कट्टरपंथी नेताओं और मुख़्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे गुंडे-माफियाओं के कंधों पर जुआ रखकर राजनीति का हल जोतने वाली पार्टी के खेत में शांति और सद्भाव की फसल तो उगने से रही, उससे तो उम्मेद पहलवान और फरजान खान जैसे ही पैदा होंगे।
वैसे यह नेताजी अभी हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में भी अपनी दबंगई को लेकर काफी चर्चा में रहे थे। जिसका एक वीडियो भी काफी वायरल हुआ था। यह अलग बात है कि फिलहाल यह शांति के कबूतर उड़ा रहे हैं। लेकिन यह पब्लिक है साहब, यह सब जानती है, शांतिदूतों को ख़ूब पहचानती है।
🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
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