योग हमारा
- संजय पंकज
जिसे साध कर जीवन चलता
चल देता है रोग हमारा!
साधक पुरखों का संवेदन
जग का चंदन योग हमारा!
जोड़ो जोड़ो का गायन है
तो तोड़ो तोड़ो कारा भी;
हमीं पूजते अंबर धरती
चंदा सूरज ध्रुव तारा भी,
शिव से चलकर मधुसूदन तक
मानस का संयोग हमारा!
योग नहीं बस मनुज मनुज को
यह जोड़े सकल चराचर से;
आम जनों के संग विचरते
गोपाल जुड़े निशि वासर से,
तन मंदिर में मन ईश्वर जब
तब है सच्चा भोग हमारा!
सांसों की आवाजाही में
एक नासिका दो द्वार मिले;
वाम चले या फिर दक्षिण ही
सच तो यह एकाधार मिले,
एक हृदय के सम पर आते
आलोकित है लोग हमारा!
- ‘शुभानंदी’
नीतीश्वर मार्ग, आमगोला
मुजफ्फरपुर-842002
मोबाइल 6200367503
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