कोरोना महामारी से बच्चों को कैसे बचाई की सरकार ?
नरपत दान बारहठ
कोरोना की दूसरी लहर बड़ी संख्या में युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है, लेकिन इसी बीच वैज्ञानिकों ने तीसरी लहर में 6 से 12 साल के बच्चों पर मंडराते खतरे की ओर दुनिया का ध्यान खींचा है। इसी के चलते मंगलवार को कोरोना वैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक को 2 से 18 साल के बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल करने की मंजूरी मिल गई। यह ट्रायल दिल्ली, पटना और नागपुर में लगभग सवा पांच सौ लोगों पर होगा।
वैज्ञानिकों की चेतावनी के मद्देनजर बच्चों को बचाने की कवायद शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में बच्चों के लिए अलग कोविड केयर वॉर्ड बनाने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। जिला और नगरपालिका अधिकारियों को इसके लिए निर्देश दे दिए गए हैं। हालांकि भारत में दूसरी लहर ही नवजात शिशुओं से लेकर 15 साल तक के बच्चों के लिए बहुत घातक साबित हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और दिल्ली में अब तक कुल 79688 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2020 में आई रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में बच्चों और किशोरों में रिपोर्ट किए गए मामले लगभग 8 प्रतिशत हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों को तीसरी लहर से बचाने के लिए वैक्सिनेशन ट्रायल तेज करने की जरूरत है। इसी बीच खबर है कि फाइजर की वैक्सीन 12 वर्ष से ऊपर के बच्चों के लिए अप्रूवल पाने वाली दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन हो गई है। कनाडा के ड्रग रेगुलेटर हेल्थ ने 12 से 15 साल के बच्चों के लिए यह वैक्सीन लगाने की इजाजत दे दी है।
वहीं, अमेरिका की दवा निर्माता कंपनी फाइजर इंक और बायोनटेक एसई ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोरोना वायरस टीके का परीक्षण शुरू कर दिया है। कंपनी ने मार्च में 6 महीने से 11 साल तक के छोटे बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल्स शुरू किए। ट्रायल के पहले फेज में कंपनी ने तीन ऐज ग्रुप्स में वॉलंटियर्स को बांटा है- 6 महीने से 2 साल, 2 से 5 साल और 5 से 11 साल तक के बच्चे। पहले 5 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए डोज तय होगी, फिर उससे कम उम्र के बच्चों के लिए डोज तय की जाएगी। कंपनी को उम्मीद है कि वर्ष 2022 के शुरुआती दिनों में कोरोना वायरस वैक्सीन छोटे बच्चों के लिए भी आ जाएगी।
अमेरिका में ही मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के भी बच्चों पर ट्रायल्स हो रहे हैं। मार्च के दूसरे हफ्ते में मॉर्डना ने अमेरिका में बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया। इसे किड-कॉव अभियान नाम दिया गया है। इसके तहत अमेरिका और कनाडा में 6 महीने से 11 साल तक के 6750 बच्चों को रजिस्टर्ड किया गया है। मॉडर्ना की mRNA-1273 वैक्सीन के इस ट्रायल में पता लगाया जा रहा है कि क्या कोरोना वायरस के संपर्क में आने पर वैक्सीन बच्चों में उससे सुरक्षा करने की क्षमता विकसित कर पाती है? ये ट्रायल अमेरिका के नेशनल एलर्जी और इंफेक्शस डिजीज इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर किया जा रहा है।
मॉडर्ना की इस वैक्सीन के ट्रायल्स के नतीजे अगले महीने जून में आने की उम्मीद है। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के नतीजे उसके बाद आएंगे। यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के डॉ. जेम्स कॉन्वे के मुताबिक 5 से 11 साल तक के बच्चों के लिए 2021 के आखिर तक वैक्सीन आने की उम्मीद है और 6 महीने से 4 साल तक के बच्चों के लिए 2022 की शुरुआत में वैक्सीन आ सकती है।
अपने यहां भारत बायोटेक ने फरवरी में बच्चों को को-वैक्सिन ट्रायल्स में शामिल करने का आवेदन दिया था। पर ड्रग रेगुलेटर ने यह कहकर आवेदन खारिज कर दिया था कि पहले वयस्कों पर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस साबित करो। मंगलवार को भारत बायोटेक को बच्चों पर ट्रायल करने की मंजूरी तो मिल गई है, मगर आबादी और विदेशों में चल रहे ट्रायल मॉडल के मद्देनजर यह कहना गलत नहीं होगा कि अभी अपने यहां इसकी स्पीड बहुत कम है।