मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उगता भारत की मांग : राजस्व अभिलेखों में जारी हिजरी साल फसली को बदला जाए

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माननीय

योगी आदित्यनाथ जी
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ

विषय : प्रदेश के राजस्व अभिलेखों में मुगलों की गुलामी के प्रतीक के रूप में चले आ रहे हिजरी साल फसली को समाप्त कर वैदिक सृष्टि सम्वत और विक्रमी संवत को स्थापित कराने के संदर्भ में

महोदय

सादर प्रणाम। सर्वप्रथम आपको वैदिक हिंदू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
आप के यशस्वी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। आपने कितने ही ऐसे यशस्वी कार्य किए हैं जिनसे प्रदेश का जन गण आपके साथ उसी मजबूती के साथ खड़ा है जिस मजबूती के साथ 2017 में जनादेश देते समय खड़ा था। प्रत्येक प्रकार की सांप्रदायिकता और तुष्टिकरण की नीति को त्याग पर आपने प्रदेश के बहुसंख्यक समाज को सुरक्षा प्रदान की है, अन्यथा पूर्ववर्ती सरकारें बहुसंख्यक समाज के हितों की उपेक्षा और सौदा करके तुष्टीकरण के माध्यम से सांप्रदायिकता का खेल खेल रही थीं। यह और भी अधिक उल्लेखनीय बात है कि आप के शासनकाल में अल्पसंख्यक समाज भी अपने आप को सुरक्षित अनुभव कर रहा है और प्रदेश में कहीं पर भी कोई दंगा नहीं हो सका है।
आपने प्रदेश को जहां आर्थिक विकास की रफ्तार में अग्रणी किया है वहीं अनेकों ऐसे शहरों, स्थानों, कस्बों या उप नगरों के नाम परिवर्तन कर हिंदू इतिहास को गौरव प्रदान किया है जो किसी ना किसी काल में मुस्लिमों ने जबरन कब्जा लिए थे और उनका नाम परिवर्तित कर दिया था। किस दिशा में किए गए आपके कार्यों में इलाहाबाद का नाम सर्वोपरि है जिसको आपने उसकी गौरवमयी पुरानी पहचान दी। आपके ऐतिहासिक कार्यों का जनगण अभिनंदन करता है। आपकी निर्भीकता और निडरता निश्चय ही बहुसंख्यक समाज को हृदय से प्रभावित करती है।
आज वैदिक हिंदू नव वर्ष के इस पावन अवसर पर ‘उगता भारत’ समाचार पत्र परिवार विनम्रता पूर्वक आपका ध्यान इस ओर आकृष्ट करता है कि उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व अभिलेखों में खतौनी आदि पर साल फसली लिखा होता है जो कि अकबर बादशाह के समय से डाला गया है । दुर्भाग्यवश कांग्रेस की मुस्लिमपरस्त सरकारों ने इस परंपरा को आजादी के बाद भी जारी रखा। क्योंकि अकबर बादशाह कांग्रेस का ‘आइकॉन’ रहा है । इसी मानसिकता के चलते कांग्रेस ने इलाहाबाद का नाम भी प्रयागराज करने का कभी विचार तक नहीं किया।
अकबर ने अपने शासन के वर्ष अर्थात 1555 ईस्वी में इस साल पसली का प्रचलन आरंभ किया था। उसकी सोच थी कि हिंदुओं का वैदिक सृष्टि सम्वत या विक्रमी संवत उतना उपयुक्त और अच्छा नहीं है जितना हिजरी संवत है। उसने भारतीय वैदिक सृष्टि संवत और विक्रमी संवत की वैज्ञानिकता ,उपयुक्तता और उससे जुड़े सांस्कृतिक गौरव को अपने एक आदेश से ही समाप्त कर दिया। तब से हम इस अभिशाप से अभिशप्त चले आ रहे हैं और आजादी के बाद भी उत्तर प्रदेश के राजस्व अभिलेखों में ‘बाबत साल फसली’ जैसा शब्द लिखा होता है, जिसे देखकर कष्ट होता है।
उल्लेखनीय है कि अकबर के शासनकाल के आरम्भ होने के समय 963 हिजरी सन चल रहा था, उसने भारत में अपनी इसी परंपरा को लागू करने के लिए नई परंपरा आरंभ की जो कि पूर्णतया अवैज्ञानिक थी। क्योंकि भारत के सृष्टि संवत की तरह यह साल फसली मार्च या अप्रैल के महीने में न बदलकर 1 जुलाई को बदलती है और 30 जून को पूर्ण होती है।
कांग्रेस सरकार ने यद्यपि दिखाने के लिए भारतीय शक संवत को राष्ट्रीय शक संवत घोषित किया, परंतु व्यवहार में गुलामी के प्रतीक साल फसली को भी बना रहने दिया जो कि कांग्रेस की दोगली मानसिकता को प्रकट करने का एक अच्छा सबूत है। जब भारत के संविधान के अनुसार स्थापित सरकार या शासन के लिए विक्रमी संवत माननीय सम्वत है तो व्यवहार में हिजरी संवत या साल पसली का क्या औचित्य है ?
ऐसे में आपसे विनम्र अनुरोध है कि कांग्रेस की चली आ रही है तो दोगली नीति के प्रतीक हिजरी साल के प्रचलन को बंद कर प्रदेश के राजस्व अभिलेखों में भारतीयता के प्रतीक सृष्टि संवत और विक्रमी संवत को लागू कराने के निर्देश जारी करने का कष्ट करें।
आशा है आप हमारे अनुरोध पर अवश्य ही विचार करेंगे और तदनुसार कृत कार्यवाही से हम सबको कृतार्थ करेंगे।
वैदिक सृष्टि संवत एक अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हजार 122 और विक्रमी संवत 2078 की आपको एक बार पुनः हार्दिक शुभकामनाएं।
इन्हीं सद भावनाओं के साथ —

  • डॉ राकेश कुमार आर्य
    संपादक : उगता भारत

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