ममता बनर्जी नंदीग्राम में फंसी संकट में : श्याम सुंदर पोद्दार
—————— ममता बनर्जी नंदीग्राम में चुनाव लड़ने को दो कारणो से मजबूर हुवी। भवानी पुर की सीट सुरक्षित नही रही। नंदिग्राम में पिछले लोकसभा चुनाव में TMC को राज्य में सबसे अधिक ६८ हज़ार वोटों की बढ़त मिली। लोकसभा चुनाव में भाजपा को १२१ बिधान सभा की सीटों पर बढ़त मिली टीएमसी को १६१ व कांग्रेस लेफ़्ट को १२ सीट्स पर बढ़त मिली।
अर्थरत टीएमसी यदि१५ सीट हार जाती है तो वह मेजिक फ़िगर १४७ के नीचे आ सत्ता गवालेती है। भाजपा यदि २८ सीट पा जाती है तो उसकी सरकार बन जाती है। ममता बनर्जी अपनी पार्टी को ठीक से नही सम्भाल सकी, उसके बहुत से कुशल योद्धा उसको छिड़काव कर भाजपा में चले गए। सुभेंदु अधिकारी के जाने से उसकी दोनो मिदनापुर में ३५ सीट संकट में है। ममता इनहि ३५ सीट को बचाने के लिए नंदीग्राम से लड़ रही है। ममता बनर्जी ने समझ रखा है उसकी शुरुआत नंदीग्राम में २१ प्रतिशत मुस्लिम वोटर होने से सुभेंदु अधिकारी पर ४३ हज़ार वोट की बढ़त है। लोकसभा चनाव में नंदीग्राम में २०६००० वोट पड़े। ममता भूल जाती है शुभेंदु भाजपा के केनडीडेट है। जिसे लोकसभा चुनाव में ६२ हज़ार वोट मिले। अर्थार्थ ममता नही सुभेंदु ममता से १९००० वोटों से आगे रहकर शुरुआत कर रहा है। टीएमसी को लोकसभा चुनाव में १३०००० वोट मिले। यानी ८७ हज़ार हिंदू वोट मिले।यानी ममता को जीतने के लिए ५३००० हिंदू चाहिए वही सुभेंदु को चुनाव जीतने के लिए ३४००० वोट चाहिए। राज्य चुनाव में हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण की स्तिथि उत्पन्न हो गयी है उस स्तिथि में ममता के लिये ५३००० हिंदू वोट पाना गम्भीर चुनौती है। वही नंदीग्राम से पूर्व से सम्पर्क रहने के कारण सुभेंदु के लिए ३४००० वोट पाना अति सहज मामला है।