आज का चिंतन-05/01/2014
भगवान जब खुश होता है
नालायकों से दूर कर देता है
– डॉ. दीपक आचार्य
9413306077
जो लोग अपने ईमान, धर्म और सत्य पर चलते हैं उनके लिए जीवन की कई सारी समस्याओं को ईश्वर अपने आप दूर कर देता है। ईश्वर हमेशा अच्छे लोगों के साथ रहता है और उन्हें हर क्षण मदद भी करता है। हमारी पूरी जिन्दगी में कई सारे काम ऎसे हुआ करते हैं जो हमारी इच्छा के बगैर पूरे हो जाते हैं।
कई बार अच्छे और सुकूनदायी कामों के पूरे होने का हमें आनंद मिलता है। जबकि इसके विपरीत कई सारे काम ऎसे होते हैं जिनसे हमें परेशानी या पीड़ा होती है और उस समय हमें लगता है कि जो कुछ हो रहा है वह ठीक नहीं है। लेकिन दुःख का अहसास पूर्ण करा चुकने के बाद जो परिस्थितियां हमारे सामने आती हैं उन्हें देखकर हमें लगता है कि ईश्वरीय विधान ठीक था । भले ही हम उस समय यथार्थ समझ न पाए हों और व्यथित हो चुके होंं।
जो लोग नैतिकता, ईमानदारी और श्रेष्ठ कर्मों को अपने जीवन में अपना चुके होते हैं उन पर ईश्वर तथा प्रकृति दोनों हमेशा मेहरबान रहते हैं। इन लोगों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि ये अपने काम से मतलब रखते हैं और हर प्रकार की होनी-अनहोनी को नियति का अनिवार्य एवं अपरिहार्य विधान मानकर चलते हैं। इन सभी विशेषताओं के साथ ही इस किस्म के लोगों के साथ एक विलक्षण बात यह सामने आती है कि दुनिया भर के अहंकारी, चोर-उचक्के , गुण्डे-बदमाश और नासमझ लोग इनसे बिना किसी वजह के खफा हो जातेे हैैं और अकारण इन्हें परेशान करने का कोई न कोई रास्ता तलाशते रहते हैं।
इस प्रकार का माहौल खड़ा होना अच्छे लोगों के हित में होता है क्योंकि इस प्रकार झटके उन्हें आरंभिक अवस्था में ही नालायकों की औकात से परिचित करवा देते हैं जिससे नालायकों और अहंकारियों के प्रति उनके मन मेें रची-बसी किंचित मात्र भी श्रद्धा को जड़ से उखाड़ फेंकते हैं और ऎसे में अच्छे लोगों के इनके प्रति किए जाने वाले सारे काम-काज में न श्रद्धा की जरूरत पड़ती है, न ज्यादा मेहनत करने की। ऎसे में जीवन में कई सारी सहूलियतों का आनंद पाया जा सकता है।
इसलिए जब कभी विपरीत माहौल सामने आए या कोई सा आदमी अपनी बिना वजह , भ्रम अथवा दुराग्रहो ं ं – पूर्वाग्रहों के कोई अवमानना करे या कुछ बुरा कह डाले तब भी हमें बुरा नहीं मानना चाहिए। कुछ लोगों के बारे में यह लोक प्रचलित हो जाता है कि वे अक्खड़ हैं और रहेंगे। उनके मुँह से कभी शालीनता या वाणी माधुर्य की कल्पना की ही नहीं जा सकती। यह वह समय होता है जब हमें ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि उसने सत्य और यथार्थ का बोध कराकर हम पर बड़़ी कृपा की है।
इन दिनों खूब सारे ऎसे लोगों की बाढ़ आयी हुई है जिन्हें न किसी की प्रतिभाओं का पता है, न प्रतिष्ठा या विलक्षणताओं। ऎसे लोग अपने घोर कालिख भरे अहंकार में इतने डूबे हुए हैं कि चाहे जिस किसी के बारे में कुछ भी बोल देते हैं। सबका अपना-अपना समय होता है। वक्त गुजर जाने के बाद इन लोगों को अपने आप अपनी औकात पता चल जाती है।
नालायकों का सामीप्य अधिक परिश्रम की आवश्यकता महसूस करता है, अपने आभामण्डल को भी दूषित करता है और अपने जीवन लक्ष्यों की प्र्राप्ति के साथ ही जीवनयात्रा की पूर्णता एवं पारलौकिक यात्रा में भी कई सारी अड़चनें पैदा करता है। इस स्थिति में यदि अपने बारे में कोई भी व्यक्ति कैसी भी धारणा बनाए, उसके प्रति बेपरवाह रहते हुए अपने अच्छे कर्मयोग में निरन्तर बने रहने चाहिए।
नालायकों के मन में अच्छे लोगों के प्रति जब गलत धारणाएं पैदा हो जाती हैं तब इसका पूरा फायदा उन श्रेष्ठ लोगों को मिलता है जो इनसे दूर रहते हैं। यह भगवान की कृपा ही समझनी चाहिए कि अहंकारी और बुरे लोगों के मन में अपने प्रति दुर्भावना पैदा कर हमें उनसे किसी न किसी बहाने दूर कर ही देता है। तमाम प्रकार की विषम परिस्थितियों में भी अपने कत्र्तव्य कर्म को जो लोग पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा से निभाते हैं उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। फिर चाहे वे साठ साला बाड़े के मरणधर्मा जीव हों या पाँच साला गलियारों वाले।
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