30 साल में पहली बार केसर के भाव गिरने का आखिर कारण क्या है ?

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*30 सालों में पहली बार केसर के दाम गिरे, जानिये क्या है नया भाव..*
370 हटने बाद की उपलब्धि -उत्पादक, व्यापारी व उपभोक्ता तीनों खुश …
*”#नये_कृषि_कानून के लाभ का सीधा व सही उदाहरण-“*


जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म होने के बाद पहली बार केसर ढाई लाख रुपये किलो से 90 हजार रुपये प्रति किलो पर आ गयी है.
शहर के कारोबारियों का कहना है कि 30 सालों में केसर सबसे कम दाम पर मिल रही है. दुनिया में कश्मीर, केसर का सर्वोत्त्म उत्पादक माना जाता है, जानकारों के अनुसार #टेररिस्ट_टैक्स के खत्म होने के बाद पहली बार कीमतें ऐतिहासिक रुप से घटी है..तीस सालों में पहली बार व्यापारी कश्मीर जाकर सीधे किसानों से सौदा कर रहे.
उत्पादक पहले से डेढ़ गुना अधिक दर स्वयं ले रहे है ,पहले इसपर 300% तक #दलाली आतंकी ले जाते थे,
अब वह नही देना पड रहा , दलाली खत्म हो गयी है .
इसी का लाभ सभी को मिल रहा है..
*केसर की खेती जम्मू-कश्मीर के बडगाम,पुलवामा, श्रीनगर और किश्तवाड़ में होती है..पहले कारोबारियों को केसर खरीदने के लिए कश्मीरी व्यापारियों की मदद लेनी पड़ती थी-*
लेकिन धारा 370 के खत्म होने के बाद कारोबारी सीधे कश्मीर जा रहे हैं,बीते नवरात्र के समय केसर का दाम 1.75 लाख रुपए पर आ गया था, वहीं दिसंबर खत्म होते-होते केसर के दाम 90 हजार रुपए पर आ गये हैं. *नयागंज के केसर कारोबारी ब्रजेश पोरवाल से मिली जानकारी के मुताबिक ,इस बार स्वाद और रंग में ईरानी केसर भी कश्मीरी केसर को चुनौती दे रहा…*
“#केसर_कारोबारी शारिक अहमद ने बताया कि पहले केसर कई चैनल को पार करते हुये हमारे पास आया करता था. इसलिये काफी महंगी होती थी,
लेकिन इस बार सौदा सीधे किसानों से हुवा है. इसलिये- #केशर_सस्ती_है- ”
वहीं इस मामले में द किराना मर्चेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश वाजपेयी ने बताया कि,कि आंतक व दलाली के कारण उत्पादक द्वारा खुद केसर के दाम तय नहीं किया जा सकता था…
और मोलभाव करना गुनाह होता,अब हालात बदलने पर केसर का वास्तविक व्यापार शुरु हो गया है..
*#केसर_के_दाम..*
वर्तमान समय में स्पेनिश केसर एक लाख 35 हजार रुपए बिक रहा है. वही अगर कश्मीरी केसर की बात करें तो वह 90 हजार रुपए प्रति किलो बिक रहा. साथ ही बाजार में ईरानी केसर के दाम 80 हजार रुपए प्रति किलो हैं..
*धान व गेंहू के उत्पादक समझ लें-*
जब विदेश से व्यापारी को जिन्स सस्ती मिलेगी तो वह यहां मंहगी क्यों खरीदेगा-और व्यापारी जब खरीदेगा नहीं तो तुम्हारे धान व गैंहू का क्या होगा-?
*यह है कम्यूनिस्टों का असली खेल- उत्पादक व व्यापारी दोनों को बर्बाद कर देश में अराजकता फैलाना-🚩🇮🇳🚩*

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