पुस्तक समीक्षा : ज्ञानवर्धक रोचक कहानियां
ज्ञानवर्धक रोचक कहानियां
साहित्यिक संसार में डॉ बानो सरताज देश में वरिष्ठ बाल साहित्यकार के रूप में अपना स्थान रखती हैं।
सुकोमल बालमन पर कथा कहानियों के माध्यम से उत्कृष्ट संस्कारों को उकेरने की भारत की पुरानी परंपरा है । उसी को इस पुस्तक में नए जमाने के अनुसार अपने ढंग से और अपनी शैली में प्रस्तुत कर डॉ बानो सरताज ने बाल जगत के लिए बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया है।
‘ज्ञानवर्धक रोचक कहानियां’ भारत के बाल साहित्य को समृद्ध करने की दिशा में लेखिका द्वारा उठाया गया एक सफल कदम है। वह इस बात को स्वीकार करती हैं कि बच्चों को नई और महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना बाल साहित्यकार का काम है । बचपन से बड़ी यदि कोई पाठशाला नहीं है तो किसी बच्चे से उसका बचपन न छीना जाए इसका ख्याल रखना बाल साहित्यकार का दायित्व है। कुतूहल से बड़ा यदि कोई गुरु नहीं है तो कुतूहल दूर करने का पुण्य कार्य बाल साहित्यकार को करना चाहिए। …. और हम देखते हैं कि डॉक्टर बानो सरताज ने प्रस्तुत पुस्तक की प्रत्येक कहानी में ही नहीं बल्कि प्रत्येक पृष्ठ पर अपने कहे हुए इस कथन का पूरा ध्यान रखा है।
पुस्तक में केवल 5 कहानियों को स्थान दिया गया है।
जिनमें ओलंपिक खेलों की कहानी , पुलों की कहानी ,रोबोट की कहानी, मोगली की कहानी और मोमबत्ती की कहानी सम्मिलित हैं। इस प्रकार प्रत्येक कहानी केवल मन बहलाव के लिए लिखी गई कहानी नहीं है , अपितु पुस्तक के नाम अर्थात ‘ज्ञानवर्धक रोचक कहानियां’ – को भी सार्थक सिद्ध करने वाली हैं। बच्चे ओलंपिक ,रोबोट, मोगली, मोमबत्ती सभी से बड़ी नजदीकी से जुड़े होते हैं। उनके बारे में उनके मन में कई प्रकार की जिज्ञासाएं भी उठते हैं जिनका पूर्ण समाधान करने में पुस्तक सफल रही है।
रोबोट के निर्माण की पूरी कहानी इस पुस्तक में दी गई है । मोगली की कहानी को लेकर कभी दूरदर्शन पर एक सीरियल भी चला था। यह नाम उस सीरियल में इंसान के एक ऐसे बच्चे को दिया गया था जो इंसानों से दूर जंगलों में भेड़ियों के झुण्ड में पला था। वर्तमान समय में भी ऐसा देखा गया है कि कई बच्चे इसी प्रकार जंगलों में पले हैं। ऐसी चीजों को स्पष्ट कर कई प्रकार की शंकाओं का समाधान करने में लेखिका सफल रही हैं। उनका प्रयास वंदनीय है। भाषा शैली बहुत ही सरल है, साथ ही ज्ञानवर्धक भी है। वास्तव में समाज को ऐसी ज्ञानवर्धक रोचक कहानियों की बहुत आवश्यकता है, साथ ही ऐसी लेखिकाओं की भी नितांत आवश्यकता है।
वास्तव में ऐसी पुस्तकों को आजकल माता-पिताओं को भी पढ़ना चाहिए और जो बच्चे अभी पुस्तक नहीं पढ़ सकते हैं उन्हें इन ज्ञानवर्धक कहानियों को अपने शब्दों में सुनाना ,बताना व समझाना चाहिए।
पुस्तक बहुत ही उपयोगी ,ज्ञानवर्धक और बच्चों के विकास में बहुत अधिक सहायक है।
उपरोक्त पुस्तक के प्रकाशक साहित्य जगत में अपना महत्वपूर्ण और सम्मानित स्थान रखने वाले ‘साहित्यागार’ धामाणी मार्केट की गली ,चौड़ा रास्ता, जयपुर हैं। पुस्तक का मूल्य ₹200 है।
पुस्तक मंगाने के लिए संपर्क सूत्र 041- 2310785 व 4022382 है।