धरी रह गई पुलिस की तैयारी
_-राजेश बैरागी-_
भारत को बंद क्यों करना चाहिए? किसानों के आह्वान पर आज आम जनता ने ज्यादा कान नहीं दिया। इसलिए बंद के बावजूद भारत लगभग खुला रहा। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों में बंद को बेअसर करने के लिए पुलिस प्रशासन ने कमर कस रखी थी। बंद को समर्थन देने वाले राजनीतिक दलों के हल्काई नेताओं को फिजा बिगाड़ने पर भुगतने की चेतावनी ने काम किया। नेता बाहर निकले तो परंतु उनके हौसले पस्त थे।
उन्होंने सप्रयास फोटो खिंचवाए, सरकार कीऔपचारिक आलोचना की और वापस अपने दड़बों में चले गए। पुलिस ने अपनी कामयाबी पर छाती और पीठ दोनों ठोंकी और व्हाट्स ऐप ग्रुप पर बयान जारी कर दिया कि बंद के दौरान शांति व्यवस्था बनी रही। क्या बंद के आह्वान का असर था? किसानों के साथ पूरा देश खड़ा है। किसानों की जायज मांगों को देश का हर एक जागरूक नागरिक समर्थन दे रहा है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए चल रहे आंदोलन की मंगलवार को तेरहवीं थी। सरकार बात कर रही है।कल फिर वार्ता होगी। इस बीच भारत को बंद करने का आयोजन जनता की पसंद नहीं बन सका। आंदोलनों को सरकारें अब कुचलने के इतर थकाने में विश्वास करती हैं। किसान आंदोलन थक चुका है।कल निर्णायक बातचीत होने की उम्मीद है। उसके बाद? दिल्ली से सबको वापस घर ही जाना चाहिए।
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