सारे पूर्वानुमानों को नकारते हुए कहीं तेज़ी से आगे बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था
देश में कोरोना महामारी के चलते दिनांक 27 नवम्बर 2020 को वर्ष 2020-21 की द्वितीय तिमाही में, सकल घरेलू उत्पाद में, वृद्धि सम्बंधी आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। विभिन्न वित्तीय एवं शोध संस्थानों के पूर्वानुमानों को पीछे छोड़ते हुए भारत में सकल घरेलू उत्पाद में तेज़ गति से वृद्धि दर्ज की गई है। जहां अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में प्रथम तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में ऋणात्मक वृद्धि दर में भारी कमी करते हुए बहुत तेज़ सुधार दृष्टिगोचर हुआ है तो वहीं विशेष रूप से कृषि क्षेत्र, विनिर्माण क्षेत्र एवं बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य जनोपयोगी सेवाओं में तो सकारात्मक वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। इन आंकड़ों को देखकर तो अब यह कहा ही जा सकता है कि भारत में विकास दर V आकार की होने जा रही है और इसकी पूरी सम्भावना है कि आगे आने वाले समय में भी यह प्रवाह जारी रहेगा। आईये, अब हम अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के विकास के सम्बंध में वर्ष 2020-21 की द्वितीय तिमाही में दर्ज किए गए कुछ आंकड़ों पर ग़ौर करते हैं।
जुलाई-सितम्बर 2020 की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद में 7.5 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गई है जबकि अप्रेल-जून 2020 की अवधि में यह 23.5 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर थी। बहुत ही तेज़ गति से इस ऋणात्मक वृद्धि दर को कम किया गया है। कृषि क्षेत्र पर कोरोना महामारी का असर लगभग नहीं के बराबर रहा है क्योंकि कृषि क्षेत्र में द्वितीय तिमाही में भी 3.4 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की गई है, जो कि प्रथम तिमाही में दर्ज की गई विकास दर के बराबर है। इसी प्रकार, विनिर्माण क्षेत्र में भी विकास दर द्वितीय तिमाही में 0.6 प्रतिशत सकारात्मक रही है जो कि प्रथम तिमाही में ऋणात्मक 39.3 प्रतिशत थी। बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य जनोपयोगी सेवाओं में द्वितीय तिमाही में 4.4 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है जबकि प्रथम तिमाही में वृद्धि दर ऋणात्मक 7 प्रतिशत की रही थी। उक्त तीन क्षेत्रों, जिनमें सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है के अलावा अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी द्वितीय तिमाही में बहुत अधिक सुधार देखने में आया है। ढांचागत निर्माण के क्षेत्र में प्रथम तिमाही में ऋणात्मक 50.3 प्रतिशत की वृद्धि दर रही थी जो द्वितीय तिमाही में घटकर ऋणात्मक 8.6 प्रतिशत की रही है, खनन के क्षेत्र में भी ऋणात्मक वृद्धि दर 23.3 प्रतिशत से घटकर ऋणात्मक 9.1 प्रतिशत की हो गई है, उद्योग के क्षेत्र में ऋणात्मक वृद्धि दर 38.1 प्रतिशत से घटकर ऋणात्मक 2.1 प्रतिशत हो गई है, व्यापार, होटल, यातायात, संचार आदि से सम्बंधित सेवाओं के क्षेत्र में वृद्धि दर ऋणात्मक 47 प्रतिशत से घटकर ऋणात्मक 15.6 प्रतिशत हो गई है। कुल मिलाकर सेवा क्षेत्र में भी वृद्धि दर ऋणात्मक 20.6 प्रतिशत से घटकर ऋणात्मक 11.4 प्रतिशत हो गई है। इस प्रकार कृषि एवं विनिर्माण क्षेत्र के साथ साथ अब सेवा क्षेत्र में भी तेज़ी से सुधार दृष्टिगोचर हो रहा है।
देश के विभिन्न शोध संस्थानों में प्रथम तिमाही की 23.6 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर की तुलना में द्वितीय तिमाही में 9 से 13 प्रतिशत के बीच ऋणात्मक वृद्धि दर रहने का अनुमान लगाया गया था। परंतु, इन सभी अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था ने द्वितीय तिमाही में कहीं अधिक तेज़ गति से वृद्धि दर को अर्जित किया है। यह सब देश में हाल ही के समय में केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र में लिए गए कई निर्णयों के कारण सम्भव हो पाया है।
आगे आने वाली तृतीय तिमाही के लिए अब पूरी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद में सकारात्मक वृद्धि दर हासिल कर ली जाएगी क्योंकि अक्टोबर एवं नवम्बर माह के दौरान विभिन्न आर्थिक पैमानों पर कुछ सकारात्मक परिणाम देखने में आए हैं।
माह अक्टोबर 2020 में ऊर्जा के उपयोग में 13.38 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। ऊर्जा के उपयोग में माह अक्टोबर 2019 की तुलना में माह अक्टोबर 2020 में वृद्धि होना, दर्शाता है कि देश में उत्पादन गतिविधियों में और अधिक तेज़ी आई है। इसी प्रकार, विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन गतिविधियों में वृद्धि एवं कमी दर्शाने वाला इंडेक्स (पीएमआई) भी माह अक्टोबर 2019 के 50.6 की तुलना में माह अक्टोबर 2020 में बढ़कर 58.9 हो गया है। अक्टोबर 2020 में पीएमआई के स्तर में हुई वृद्धि पिछले 13 वर्षों में सबसे अधिक वृद्धि दर है। इस इंडेक्स का 50 के अंक से अधिक होना दर्शाता है कि उत्पादन गतिविधियों में वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है एवं यदि यह इंडेक्स 50 के अंक से नीचे रहता है तो इसका आश्य होता है कि उत्पादन गतिविधियों में कमीं हो रही है।
देश में उत्पाद को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने के लिए ई-वे बिल जारी किया जाता है। आज ई-वे बिल जारी किए जाने का स्तर भी कोविड-19 के पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है। अर्थात, जितने ई-वे बिल प्रतिदिन औसतन जनवरी एवं फ़रवरी 2020 में जारी किए जा रहे थे लगभग इसी स्तर पर आज भी जारी किए जाने लगे है। हाल ही में जारी किए गए खुदरा महंगाई की दर के आंकड़ों में भी थोड़ी तेज़ी दिखाई दी है। इसका आश्य यह है कि देश में उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है।
माह अक्टोबर 2020 में वस्तु एवं सेवा कर की उगाही में बहुत अच्छी वृद्धि दर्ज हुई है। यह माह सितम्बर 2020 में हुई 95,480 करोड़ रुपए की उगाही से बढ़कर माह अक्टोबर 2020 में 105,155 करोड़ रुपए हो गई है। यह माह अप्रेल 2020 में घटकर 32,172 करोड़ रुपए हो गई थी एवं माह मई 2020 में बढ़कर 62,151 करोड़ रुपए तथा माह अगस्त 2020 में 86,449 करोड़ रुपए की रही थी। अब माह नवम्बर 2020 में वस्तु एवं सेवा कर की उगाही और आगे बढ़कर 110,000 करोड़ रुपए के आसपास रहने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है।
अक्टूबर एवं नवम्बर माह में वाहनों की बिक्री में भी बढ़त दर्ज की गयी है। ग्राहकों के बीच खरीदारी धारणा में सुधार और मांग बढ़ने से देश की दो प्रमुख कार कम्पनियों मारुति सुजुकी और हुंदै मोटर्स की बिक्री में इस दौरान दहाई अंक की वृद्धि दर्ज की गयी है। होंडा कार्स इंडिया, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और महिंद्रा एंड महिंद्रा की घरेलू बिक्री में भी अक्टूबर में बढ़त रही है। दोपहिया वाहन श्रेणी में देश की सबसे बड़ी कंपनी हीरो मोटोकॉर्प के लिए मासिक बिक्री के लिहाज से अक्टूबर सबसे अच्छा महीना रहा। टाटा मोटर्स का भी कहना है कि अब उनकी कंपनी के छोटे व्यावसायिक वाहनों की बिक्री कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर पर पहुंचने लगी है। महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिये देश भर में लगाये गये लॉकडाउन का सबसे बुरा असर स्वरोजगार तथा कम-मध्यम आय वाले वर्ग के ऊपर हुआ था। छोटे व्यावसायिक वाहनों की बिक्री से इस वर्ग के आर्थिक हालात में भी सुधार हुआ है।
उपभोक्ता सामानों जिसमें तमाम इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद, होम फर्निशिंग और फर्नीचर आदि शामिल हैं, की बिक्री भी नये रिकॉर्ड बना रही है। यही नहीं रियल एस्टेट क्षेत्र में भी तमाम डिस्काउंट्स के चलते अच्छी रौनक देखने को मिल रही है। सभी कम्पनियों के मोबाइल फोन भी खूब बिक रहे हैं। लैपटॉप की बिक्री में तो लगातार तेजी दिख रही है क्योंकि ऑनलाइन क्लासेज और वर्क फ्रॉम होम न्यू नॉर्मल हो गये हैं।
यही नहीं अक्टूबर 2020 महीने में यूपीआई के जरिये 200 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया जो कि अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है और अर्थव्यवस्था में तेजी का सूचक भी है।
बुआई की दृष्टि से कृषि क्षेत्र में विस्तार हुआ है, जिसके चलते इस वर्ष ख़रीफ़ सीज़न की पैदावार में बहुत अच्छे स्तर पर वृद्धि देखने को मिलेगी। इस वर्ष, वर्षा भी सामान्य से लगभग 10 प्रतिशत अधिक रही है, जिसके कारण, ख़रीफ़ सीज़न के बाद रबी सीज़न में भी अधिक पैदावार होने की सम्भावना बलवती हो गई है। अतः अब ग्रामीण क्षेत्रों से उत्पादों की मांग में स्पष्टत: वृद्धि दिखाई दे रही है। देश में उपभोक्ता वस्तुओं यथा, वाहनों, रेफ़्रीजेटरों, एयर कंडीशनरों, आदि की मांग भी ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक देखने में आ रही है, जिसके चलते वाहनों की बिक्री अक्टोबर एवं नवम्बर 2020 माह में, पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान की तुलना में, अधिक रही है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी दिनांक 20 नवम्बर 2020 को 57,530 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है जो 22 नवम्बर 2019 को 44,860 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर था। इस प्रकार पिछले एक वर्ष के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 12,670 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है, जो 28.24 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर है। इसी प्रकार, अप्रेल से नवम्बर 2020 के दौरान देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी बहुत अच्छी वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। इस प्रकार, विदेशी निवेशकों का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास झलक रहा है।
लेखक भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवर्त उप-महाप्रबंधक हैं।