एक कुशल संगठन कर्त्ता और मजबूत इच्छाशक्ति के नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं जेपी नड्डा

IMG-20201006-WA0001

कभी कांग्रेस का अध्यक्ष बनना अपने आप में बहुत ही गौरव और सम्मान की बात समझी जाती थी । आजादी से पहले तो कांग्रेस का अध्यक्ष बनना मानो प्रधानमंत्री बनने का समान था । आजादी के बाद और बीते 4 दशकों की बात करें तो धीरे-धीरे यही स्थिति भाजपा के अध्यक्ष ने प्राप्त कर ली है । भाजपा का अध्यक्ष बनना भी आज की तारीख में बहुत महत्वपूर्ण और गौरव का विषय है । जेपी नड्डा ने भी भाजपा का अध्यक्ष बन कर गौरव और सम्मान को प्राप्त किया है ।पर जहां यह बात सत्य है वहीं यह बात भी सही है कि इस पद पर पहुंचना भी हर किसी के बस की बात नहीं है। निश्चय ही आज के समय में जेपी नड्डा जैसा व्यक्ति ही इस पद पर पहुंच सकता था ।

आज के इस मुकाम को हासिल करने की शुरुआत जेपी नड्डा ने एबीवीपी से आरंभ की थी । अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए 31 वर्ष की अवस्था में भाजयुमो के अध्यक्ष बन गए थे । निश्चय ही इस पड़ाव को प्राप्त करना अपने आप में एक बड़ी सफलता थी, पर उस सफलता ने यह तय कर दिया था कि वह एक दिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे ।
भारतीय जनता पार्टी ने जेपी नड्डा को अपना अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना तो यह बात साफ हो गई कि अमित शाह जैसे ताकतवर अध्यक्ष का उत्तराधिकारी बनना जेपी नड्डा के व्यक्तित्व के छुपे हुए उस गुण को प्रकट करता है जिसके कारण वह राजनीति में एक से एक जिम्मेदारियां निभाते चले गए।
यह उनकी प्रतिभा का ही चमत्कार है कि लोग उन्हें अमित शाह के बाद भाजपा में एक कुशल रणनीतिकार के रूप में मान्यता प्रदान करते हैं। उनका कुशल प्रबंधन ही उन्हें एक कुशल राजनीतिज्ञ बनाता है। वह सबका साथ सबका सम्मान करने की नीति में विश्वास रखते हैं । प्रधानमंत्री मोदी उनकी प्रतिभा का सम्मान करते हैं और यही कारण है कि शुरुआत से ही वह मोदी के करीबी माने जाते रहे हैं। इतना ही नहीं, अमित शाह ने भी अपने अध्यक्ष रहते हुए उनकी प्रतिभा का सम्मान किया है।
अपने छात्र जीवन में वह विश्वविद्यालय छात्र संघ के सचिव भी रहे थे। नड्डा को राज्य और केंद्रीय संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। जिससे वह आम कार्यकर्ता के अध्यक्ष कहे जा सकते हैं।
जेपी नड्डा उर्फ जगत प्रकाश नड्डा का जन्म 2 दिसंबर 1960 को पटना में हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1975 में संपूर्ण क्रांति आंदोलन का हिस्सा बन कर की थी । इसके बाद वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गए थे.। जब जेपी नड्डा ने पटना विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई शुरू की थी, तब उनके पिता एनएल नड्डा विश्वविद्यालय के कुलपति थे।
1977 में जेपी नड्डा ने एबीवीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के सचिव चुने गए। इसके साथ ही वह एबीवीपी में अधिक एक्टिव हो गए और कई अलग-अलग काम किए। पटना यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने हिमाचल विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई पूरी की। जेपी नड्डा की पत्नी डॉ. मलिका नड्डा, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में इतिहास पढ़ाती हैं। मलिका खुद भी एबीवीपी का हिस्सा रह चुकी हैं और 1988 से 1999 के बीच वह इसकी राष्ट्रीय सचिव भी थीं।
वर्ष 1989 में आयोजित लोकसभा चुनावों के दौरान, जेपी नड्डा को बीजेपी की युवा शाखा के चुनाव प्रभारी के रूप में एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उस वक्त वह सिर्फ 29 साल के थे।
1991 में, उन्हें 31 साल की उम्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. बाद में, वह हिमाचल प्रदेश से विधानसभा चुनाव लड़े और तीन बार जीते. वह तीन कार्यकालों के लिए हिमाचल प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रहे हैं – 1993 से 1998, 1998 से 2003 तक और फिर 2007-2012 तक. इसके अलावा वह वन, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे मंत्रालयों को भी संभाला चुके हैं। अपनी प्रसिद्ध उपलब्धियों के तहत, उन्हें एक ऐसे मंत्री के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने वन अपराधों पर लगाम लगाने के लिए राज्य में प्रभावी रूप से वन पुलिस स्टेशन स्थापित किए। उन्हें शिमला में हरित आवरण को बढ़ाने का भी श्रेय दिया गया है और इस उद्देश्य के लिए वह राज्य में कई वृक्षारोपण अभियान शुरू करने में लगे हुए हैं।
जे पी नड्डा ने भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों के हिस्से के रूप में कोस्टा रिका, ग्रीस, तुर्की, ब्रिटेन, कनाडा आदि सहित कई देशों का दौरा किया है।
वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां चाहे भाजपा के कितनी भी अनुकूल हों परंतु इन सबके उपरांत भी जेपी नड्डा के लिए पूर्णतया अनुकूल नहीं कही जा सकती हैं। उन्हें कई राजनीतिक परीक्षाओं से गुजरना है। आने वाले समय में कई प्रदेशों में विधानसभा चुनाव संपन्न होने जा रहे हैं। जिनमें उनके नेतृत्व की परीक्षा होनी है । विभिन्न प्रदेशों में यदि वह भाजपा की सत्ता में वापसी करने में सफल होते हैं तो निश्चय ही उनके लिए यह एक अच्छी उपलब्धि होगी । वैसे श्री नड्डा के राजनीतिक नेतृत्व, कौशल और उनकी एक कुशल संगठन कर्त्ता की छवि के चलते यह कहा जा सकता है कि वह अपनी होने वाली हर परीक्षा में सफल होंगे। वह एक मजबूत इच्छाशक्ति के राजनीतिज्ञ हैं और अभी तक उन्होंने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर ही अपने हर दायित्व का निर्वाह बड़ी कुशलता से किया है। उम्मीद की जाती है कि वह हर चुनौती का सामना करेंगे और भाजपा को 2024 में भी सत्ता में वापसी कराने में सफल होंगे।

रविकांत सिंह ( लेखक ‘उगता भारत’ के समाचार संपादक हैं ।)

Comment: