सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया का सार [ हिंदू राजनीतिक दल की आवश्यकता माला ] – भाग – 2

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१२. स्वयं वस्कोदेगामा ने लिखा है कि जब मैं भारत आया तो अनेक इतालवी और यूरोपीय सैनिक मालाबार एवं पश्चिमी तट के विभिन्न राजाओं के यहाँ सैनिक की नौकरी कर रहे थे ,तब भी भारत में जो अभागे यह पढ़े और पढाये जा रहे हैं कि कोलंबस ने अमेरिका खोजा (भयंकर झूठ)और वास्को ने भारत , वे मेधा के स्तर पर क्या हैं ,अप स्वयं तय कीजिये.. वास्को एक डकैत नाविक था और लूट के लिए निकला था ,खोज के लिए नहीं यह आज दुनिया में सब पढ़ते हैं सिवाय भारतीयों के .ऐसी पढाई कराने वाला भारत द्रोही कहा जाये तो आपको बुरा लगेगा न ?तब स्वयं के भीतर झांकिए कि आपकी निष्ठ सत्य और देश धर्म में है या शासकों की भक्ति में
१३ . स्वयं वास्को की डकैत टोली के दो नाविक वास्को का साथ छोड़कर भारतीय राजा की नौकरी में चले गए थे .
१४. शाहजहाँ के समय हजारों अंग्रेज मुग़ल सेना के नौकर थे और उनको शाहजहाँ ने अलग एक जगह बसाया जिसे तब से आज तक फिरंगिपुरा कहा जाता है .
१५. पुर्तगीज इतिहासकार जोया द बरो ने लिखा है कि१५६५ में विविध भारतीय राजाओं के यहाँ २००० अंग्रेज ,पुर्तगीज और फ्रेंच नौकरी कर रहे थे सिपाही के रूप में .
१६. महाराज श्री रामचंद्र जी के वंशजों में से एक महान सूर्यवंशी सम्राट छत्रपति श्री शिवा जी महाराज ,जिनकी कुंडली और वंशावली सर्व विदित है , की सेना में .पुर्तगीज ,फ्रेंच और अमेरिकी सैनिक थे . मुगलों ने पुर्तगाली सैन्य प्रबंधक (जिसे यूरोपीय लोग वायसराय कहते हैं और देश द्रोही लिक्खाड़ वायसरायों को भारत के शासक लिखते हैं )एंटोनियो द मेलो इ केस्त्रो से शिकायत की तो उसने जवाब दिया कि वे भाड़े के सैनिक हैं ,न तो हम उन्हें शिवाजी महाराज के यहाँ जाने से रोक सकते ,न ही आपके यहाँ
ऐसे महाप्रतापी भारत सूर्य को भारत का शासक और टुच्चे मुगलों को विद्रोही न पढ़ाकर जो लोग इसका उल्टा पढ़ाते हैं उन्हें सच्चे शासक सूली पर टांग देंगे इस से सिद्ध है कि भारत में अभी सच्चे भारतीयों का राज्य नहीं है और जो वह राज्य लाने का संकल्प कर पुरुषार्थ करे वह अति विशिष्ट व्यक्ति होंगे. आप भी ऐसे अति विशिष्ट हो सकते हैं
यह मांग संसद में उठानी चाहिए कि शिवाजी को विद्रोही आदि लिखने वाले को दण्ड का कानून भारत की संसद तत्काल पारित करे. ,बाहर सर काटने की मूर्खता पूर्ण घोषणा कर अपने लक्ष्य का अहित मत कीजिये ,संसद में ये सब मांगे उठाई जा सकती हैं।(क्रमशः)
(साभार) प्रस्तुति -श्रीनिवास आर्य

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