आज जिसे ताजमहल कहा जाता है वह तो वास्तव में तेजो महालय मंदिर है : शंकराचार्य
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
भाजपा पर इतिहास, भूगोल आदि को बदनाम करने पर आरोपित करने पर अपने इसी स्तम्भ में लाल किला से लेकर क़ुतुब मीनार तक के विषय में राष्ट्र के सच्चाई प्रस्तुत करने को कहा था, लेकिन झूठ के पैर कहाँ?सेवानिर्वित होने उपरांत हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते अपने स्तम्भ “झोंक आँखों में धूल” में लिखा था कि लाल किला शाहजहाँ ने नहीं बनवाया था, जिस कारण मेरा विरोध भी बहुत हुआ था, परन्तु तुष्टीकरण के चलते भारतीय इतिहास को दरकिनार किया जाता रहा। कहने को सियासत में बैठे हिन्दू अपने आपको हिन्दू किस आधार पर कहते हैं कि उनके सत्ता में रहते मुगलों द्वारा हिन्दू मंदिरों को मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान बनाए जाने पर चुप्पी साधे रहे।
ओडिशा के पुरी में स्थित गोवर्धन मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने ताजमहल को लेकर बड़ा दावा किया है। शंकराचार्य ने उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना नदी के किनारे स्थित मुगलिया इमारत के बारे में कहा कि ये प्राचीन काल में भगवान शिव का मंदिर था और इसका नाम ‘तेजो महालय’ था। उन्होंने कहा, “जिसे आजकल ताजमहल कहते हैं, उसका पुराना नाम तेजो महालय है। वहाँ शिवजी प्रतिष्ठित थे।“
शंकराचार्य ने कहा कि जयपुर राजपरिवार के पास ताजमहल का पूरा इतिहास सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि विदेशी यात्रियों ने भी अपनी यात्रा को लेकर जो संस्मरण लिखे हैं, उनसे ताजमहल का वास्तविक नाम ‘तेजो महालय’ ही सिद्ध होता है। उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना ‘सुपरिचित’ बताते हुए कहा कि उन्हें इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए और इतिहास के नाम पर जो दूषित प्रचार किया गया है, उस पर पानी फेरने के अविलम्ब प्रयास करें।
शंकराचार्य का ये बयान गोवर्धन मठ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक वीडियो के जरिए जारी किया गया है और योगी आदित्यनाथ को टैग भी किया गया है। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के बयान के बाद सोशल मीडिया में ताजमहल को लेकर चर्चा फिर से शुरू हो गई। लोगों का मानना है कि ताजमहल को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है और भारत के सैकड़ों हिन्दू मंदिर कलाकारी और भव्यता में इससे खासे बढ़ कर हैं।
इससे पहले श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने आगरा को अग्रवन बताते हुए कहा था कि प्राचीन काल में जो स्थल हिन्दू नाम से जाने जाते थे, उनका नाम उन्हें वापस दिया जाना चाहिए। राजस्थान सरकार द्वारा लाल पत्थर के खनन पर रोक लगाए जाने के फैसले को लेकर उन्होंने कहा कि जल्द ही बातचीत के माध्यम से इसे सुलझाया जाएगा।