चीन की नरमी पर भरोसा न करे सरकार , किसी भी आकस्मिकता के लिए सेना रहे तैयार
सारी दुनिया में अपने आप को अलग-थलग पड़ता देख चीन इस समय सीमा पर भारत के खिलाफ नरमी बरतने को तैयार हुआ दिखाई देता है । पर चीन के इतिहास पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि इस देश की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर होता है । कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि उसके नरम पड़ने का अर्थ नरम पड़ना ही है या फिर किसी ‘उचित अवसर’ की तलाश में ड्रैगन ने अपने आपको नरम दिखाया है ?
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव को लेकर हुई दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने रविवार को बयान जारी किया है। सरकार ने कहा है सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति का हल निकालने और शांति सुनिश्चित करने और लिए दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक तौर पर जुड़े रहेंगे।
चुशुल-मोल्दो क्षेत्र में शनिवार को हुई बैठक पर विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्वक हल निकालने के लिए सहमत हुए हैं। यह फैसला विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों और नेताओं के बीच हुए समझौते को ध्यान में रखते हुए लिया गया है कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।
चीन की सीमा के अंतर्गत मोलडो चुशुल में हुई बातचीत करीब साढ़े पांच घंटे चली थी। सूत्रों ने बताया था कि दोनों पक्षों ने अपनी मांग एक दूसरे के सामने रखी है। सूत्रों के मुताबिक बातचीत सकारात्मक माहौल में खत्म हुई है। इससे आगे बातचीत का रास्ता खुला हुआ है।
माना जा रहा था कि इस बातचीत में भारत ने दो टूक कहा है कि अप्रैल 2020 की स्थिति सीमा पर कायम हो। वार्ता के दौरान भारत ने चीनी सेना से पीछे हटने को भी कहा है। वहीं, सीमा पर सड़क निर्माण रोकने की चीन की मांग को भी भारत ने खारिज कर दिया है। भारतीय पक्ष की ओर से बातचीत का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया था।
भारत और चीन की सेनाओं में लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत से पहले चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने संपादकीय में लिखा था कि भारत के लिए चीन बुरा नहीं चाहता है। ‘ग्लोबल टाइम्स’ के शुक्रवार को प्रकाशित हुए संपादकीय में लिखा गया था कि चीन भारत के लिए बुरा नहीं चाहता है। पिछले दशकों में अच्छे-पड़ोसी संबंध चीन की मूल राष्ट्रीय नीति रही है, और चीन सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का दृढ़ता से पालन करता रहा है। भारत को अपना दुश्मन बनाने का हमारे पास कोई कारण नहीं है।
पिछले महीने सिक्किम और लद्दाख सेक्टर में सैकड़ों भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़पों के बाद LAC पर तनाव बढ़ गया था। दोनों पक्षों के सेना अधिकारियों ने विवादित सीमा पर कई बैठकें कीं, लेकिन गतिरोध को तोड़ने में असमर्थ रहे। सरकार को चाहिए कि ड्रैगन की किसी बात पर भी विश्वास न करते हुए अपनी चौकसी बरतने में किसी भी प्रकार की ढिलाई न आए । हमारी सेना को सीमा पर किसी भी आकस्मिकता का सामना करने के लिए बने रहना चाहिए । इसके अतिरिक्त भारत सरकार को चीन से लगती हुई सारी सीमा पर ऐसी तैयारी भी कर लेनी चाहिए कि चीन यदि कुछ भी हरकत करता है तो उसका मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके । चीन को हर हाल में यह पता चलना चाहिए कि भारत 2020 में कितना बदल चुका है ?