उल्टा पानी नहीं उलीच

—————————–

सच को सच तू कहना सीख
सच से अब मत आँखें मींच

मत गोदी में उनकी बैठ
यदि है सच्चा खबर नबीस

नदिया बहती गहरी धार
उल्टा पानी नहीं उलीच

कुछ नेता हैं बड़े खराब
बात चीत में लगें अजीज़

असली राष्ट्र भक्त है जो
वही चढ़े हैं यहाँ सलीब

अलग बना अपनी पहिचान
रहकर के उन सब के बीच

यदि हो लाइलाज़ बीमार
काम नहीं आता ताबीज़

सभी धर्म है एक समान
मत बोयें नफरत के बीज

उनके श्वान न खाते खीर
हमको रोटी-दाल लजीज़

जब भी दिखे कहीं मज़बूर
उसको दें आवश्यक चीज

मन से जो सेवा में लीन
तू उनकी मत टाँगे खींच

कविता के हैं वह उस्ताद
जय खुश हैं होकर नाचीज़
*
25 मई 2020
~जयराम जय,कानपुर
‘पर्णिका’,11/1,कृष्ण विहार,कल्याणपुर,
कानपुर-208017(उ.प्र)
मो.नं.9415429104;9369848238
ई-मेलःjairamjay2011@gmail.com

Comment: