शाहीन बाग : प्रदर्शनकारी तबरेज को हुआ कोरोना : आखिर कब तक आयोजक बेगुनाहों की जान से खिलवाड़ करते रहेंगे ?
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार कई दिनों से जिसका डर जताया जा रहा था, आख़िर वही हुआ। सीएए विरोध के नाम पर शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारी कई दिनों से धरने पर बैठे हुए थे और लगातार नियम-क़ानून को धता बता रहे थे। हाल के दिनों में उन्होंने कोरोना वायरस से बचाव व सावधानी को लेकर सरकार, डॉक्टरों व विशेषज्ञों की सलाहों को धता बताया था। किसी ने कहा था कि ये क़ुरान का वायरस है जो मुसलमानों को कुछ नहीं करेगा, तो किसी ने पूछा था कि क्या गारंटी है कि भीड़ न जुटाने से कोरोना वायरस नहीं होगा? कहते थे, “हम पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ते हैं, वजू करते हैं, हमें कोरोना नहीं होगा। कोरोना के नाम पर डराना बंद करो।” अराजक तत्व अराजकता फ़ैलाने को आतुरकोरोना वायरस को लेकर देश दुनिया में बेहद सावधानी बरती जा रही है, वहीं दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारी अब भी धरनास्थल खाली नहीं करने की जिद पर अड़े हैं। प्रदर्शनकारियों को जिला प्रशासन की ओर से मेडिकल टीम भेजने का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। शाहीन बाग में महिला प्रदर्शनकारी रविवार को ‘जनता कर्फ्यू’ के दिन भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (मार्च 22, 2020) को ‘जनता कर्फ्यू की घोषणा की है और लोगों से अपने घरों के अंदर ही रहने की अपील की है।प्रधानमंत्री की अपील पर देश भर में रविवार को जनता कर्फ्यू की तैयारी की जा रही है। मगर शाहीनबाग की महिलाओं ने जनता कर्फ्यू में शामिल होने से इनकार कर दिया है। हालाँकि जारी प्रदर्शन में कुछ बदलाव किए जाने की बात कही जा रही है, जिसमें कहा गया कि अब बच्चों और बुजुर्गों को प्रदर्शन स्थल पर आने की अनुमति नहीं होगी। वहीं किसी भी प्रदर्शनकारी को धरनास्थल पर 4 घंटे से अधिक रुकने की अनुमति नहीं होगी। यानी 4 घंटे तक ही कोई प्रदर्शनकारी वहाँ रुक सकता है। एक प्रदर्शनकारी महिला ने बताया कि विरोध स्थल पर 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और 10 साल से कम उम्र के बच्चों के आने की अनुमति नहीं होगी।इसके अलावा अब माइक से कोई भी अनाउंसमेंट नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर शाहीन बाग में 96 दिन से धरना जारी है। इसी बीच देश में कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए किसी भी स्थान पर 20 से अधिक लोगों के एकत्र होने की मनाही है। बावजूद इसके, शाहीन बाग में लोगों की भीड़ एकत्र हो रही है। बता दें कि पहले एक जगह पर 50 लोगों के एकत्रित होने पर मनाही थी।गुड़ खाएं गुलगुलों से परहेज वैसे दिल्ली चुनाव के बाद से शाहीन बाग़ में सन्ना होना शुरू हो गया था, परन्तु जब कभी कोई विरोधी मीडिया वहां जाता था, हूटर बजाकर भीड़ को जमा कर लिया जाता था। ये तो कोरोना के चक्कर में कोई न कोई मीडिया के वहां पहुँचने की वजह से इतनी भीड़ दिख रही है। कोरोना का डर इन अराजक तत्वों को भी सता रहा है, लेकिन अपनी अराजकता प्रवित्ति के कारण जगजाहिर नहीं किया जा रहा। ये अराजक तत्व गुड़ तो खाना पसंद करते हैं, लेकिन गुलगुलों से परहेज करते है। देखिए प्रमाण, इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जबसे सरकार ने 50 से ज्यादा लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया था, तब वे 50-50 के समूह में धरना दे रही थीं, लेकिन अब वे 20-20 के ग्रुप में धरना देंगी। लेकिन किसी भी हालत में वे अपना प्रदर्शन जारी रखेंगी। क्योंकि उनके लिए नागरिकता कानून का मुद्दा कोरोना वायरस से भी ज्यादा बड़ा है।एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “रविवार को, हम छोटे टेंटों के नीचे बैठेंगे। केवल दो महिलाएँ प्रत्येक टेंट के नीचे बैठेंगी और अपने बीच एक मीटर से अधिक दूरी बनाए रखेंगे।” वहीं एक अन्य प्रदर्शनकारी रिजवाना ने कहा कि महिलाएँ हर सावधानी बरत रही हैं और वे हर समय बुर्के में ढकी रहती हैं। उन्होंने कहा, “नियमित रूप से हाथ धोना हमारी जीवनशैली का हिस्सा है। हम दिन में पाँच बार नमाज अदा करते हैं और हर बार हाथ धोते हैं।” प्रदर्शन के प्रमुख आयोजकों में से एक तासीर अहमद ने कहा कि पर्याप्त संख्या में सैनिटाइटर और मास्क की व्यवस्था की गई है और प्रदर्शन स्थल को नियमित अंतराल पर संक्रमण-मुक्त किया जा रहा है।इस्लामी तीर्थयात्रा पर गई बहन से फैला रोगअब जहाँगीरपुरी में 2 प्रदर्शनकारियों को कोरोना वायरस ने अपना शिकार बना लिया है। पहले उक्त प्रदर्शनकारी की बहन को कोरोना हुआ था, जिसके बाद उसे भी कोरोना वायरस के टेस्ट के दौरान पॉजिटिव पाया गया। प्रदर्शनकारी की बहन 11 मार्च को सऊदी अरब से आई थी। वो इस्लामी तीर्थयात्रा के लिए गई थी। इस मजहबी तीर्थयात्रा को ‘उमराह’ कहा जाता है, जिसे साल में कभी भी कर सकते हैं और ये सबके लिए अनिवार्य भी नहीं होता। सऊदी अरब ने हाल ही में सभी प्रकार की मजहबी तीर्थयात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि इससे कोरोना के फैलने का ख़तरा है।प्रदर्शनकारी ने दावा किया कि उसी बहन से जब उसने मुलाक़ात की थी, उसके 2 दिनों के बाद उसे कोरोना हुआ। वो अपनी बहन से मिलने के बाद भी प्रदर्शन स्थल पर जाता रहा। हालाँकि, उसने दावा किया है कि कोरोना के लक्षण दिखाई देते ही उसने हॉस्पिटल में संपर्क किया और सारी जानकारियाँ दी। 35 वर्षीय तबरेज को 16 मार्च को कफ आने के बाद कोरोना के लक्षण का शक हुआ। फिर जब उसे क्वारंटाइन कर के जाँच किया गया तो पता चला कि उसे भी कोरोना वायरस ने जकड़ लिया है। चूँकि सीएए विरोधी आंदोलन में कई लोग जा रहे हैं और वो लोग वहाँ से निकलने के बाद अपने परिवार व अन्य लोगों से मिलते होंगे, शाहीन बाग़ अब पूरी दिल्ली के लिए ख़तरा बन चुका है।
मुख्य संपादक, उगता भारत