कोरोना के खिलाफ भयमुक्त वातावरण बनाना जरूरी : बाबा नंद किशोर मिश्र
नई दिल्ली ( विशेष संवाददाता ) अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा नंद किशोर मिश्र ने कहा है कि कोरोना के खिलाफ भयमुक्त वातावरण बनाना समय की आवश्यकता है । उन्होंने कहा कि दुनिया के अनेक कोरोना प्रभावित देशों में भारतीय फंसे हैं, सरकार ने फिर एक बार ईरान और अन्य देशों में रहने वाले भारतीयों को वहां से लाने का संकल्प दोहराया है। सरकार की इस प्रकार की नीति का हिंदू महासभा समर्थन करती है । उन्होंने कहा कि भारतीय लोगों की जीवन रक्षा के लिये यह समय सरकार के लिये एक बड़ी चुनौती का समय है।
हिंदू महासभा के नेता ने कहा कि भय का एहसास हमारे सारे उत्साह और इस महामारी से लड़ने की ताकत को फीका कर सकता है। कभी-कभार भयभीत सब होते है, स्वाभाविक भी है। पर हर समय भयभीत बने रहना अनेक समस्याओं को आमंत्रण देना है। भय की यह चरम पराकाष्ठा बताती है कि सोच, विश्वास, जीवन व काम के स्तर पर बदलाव की जरूरत है। स्वामी विवेकानन्द ने कभी कहा था कि भय से दुःख आते हैं, भय से मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयों जन्म लेती है।’ सिर्फ कोरोना का डर ही बाधक नहीं बनता और भी बाधक बनते हैं। मौत का डर, कष्ट का डर, अनिष्ट का डर, अलाभ का डर, जाने-अनजाने अनेक डर सताने लग जाते हैं, पर जिस व्यक्ति का निश्चित लक्ष्य होता है, दृढ़ संकल्प होता है, वह कभी डिगता नहीं और वह कोरोना से लड़ने की क्षमता अर्जित कर लेता है, हमें मिलकर इस वायरस से लड़ना है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि भारत में भयमुक्त वातावरण बनाना जरूरी है। महामारी से जितने लोगों का नुकसान होता है उससे कई गुणों नुकसान भय के कारण होता है। भय एक संवेग है, इमोशन है, एक विकृति है। भय से ही उपजता है तनाव। यह तनाव आदमी से अकरणीय करवाता है। तनाव में आकर आदमी या तो दूसरे को मार देता है या स्वयं को समाप्त कर लेता है। भारत में कोरोना वायरस के भय से मुक्त वातावरण बनाने के लिए बहुत जरूरी होता है कत्र्तव्य-बोध और दायित्व-बोध। कत्र्तव्य की चेतना का जागरण और दायित्व की चेतना का जागरण। क्या यह भय निरंतर सबके सिर पर सवार ही रहेगा? भयभीत समाज सदा रोगग्रस्त रहता है, वह कभी स्वस्थ नहीं हो सकता। भय सबसे बड़ी बीमारी है। भय तब होता है जब दायित्व और कर्त्तव्य की चेतना नहीं जगती। जिस समाज में कर्त्तव्य और दायित्व की चेतना जाग जाती है उसे डरने की जरूरत नहीं होती। ऐसे समाज में कोरोना वायरस निष्प्रभावी ही होगा।
मुख्य संपादक, उगता भारत