गायत्री मंत्र का विज्ञान
ऊं भूर्भुव: स्व:। तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य: धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।
गायत्री मंत्र संक्षेप में
गायत्री मंत्र को वेद माता कहकर वैदिक हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है। यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है। इस मंत्र का अर्थ है-हे प्रभु, आप सर्वजगत के उत्पत्ति कर्त्ता, पालनहार और दुखहर्त्ता हैं। आपके वरणीय, तेजस्वरूप का हम ध्यान करते हैं। आप कृपा करके हमारी बुद्धि को ज्ञान का उजाला प्रदान कीजिये और हमारी बुद्घियों को सन्मार्ग में प्रेरित करो अर्थात धर्म का सही रास्ता दिखाईये। यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है।
हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं
आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के विधाता
हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्ज्वल शक्ति प्राप्त कर सकें
कृपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें
मंत्र का पद्यात्मक अनुवाद
तूने हमें उत्पन्न किया, पालन कर रहा है तू।।
तुझसे ही पाते प्राण हम दुखियों के कष्ट हरता है तू।।
तेरा महान तेज है छाया हुआ सभी स्थान।।
सृष्टिï की वस्तु वस्तु में तू हो रहा है विद्यमान।।
तेरा ही धरते ध्यान हम मांगते तेरी दया।।
ईश्वर हमारी बुद्घि को तू श्रेष्ठ मार्ग पर चला।।
इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन पहलुओं के वर्णं है-स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना। इसमें ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना तीनों एक साथ की गयीं हैं, इसीलिए इस मंत्र को महामंत्र, गुरूमंत्र अथवा गायत्री मंत्र कहा जाता है। गायत्री का अर्थ है जिसके गाने से अथवा गायन से हमारा त्राण या कल्याण हो जाए, वह गायत्री कहलाती है। ऋषि मुनियों ने ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना का अद्भुत संगम इस मंत्र में समाहित किया है, जिससे जनसाधारण का भला हो सकता है। इसी पर अमेरिका ने खोज की तो उपरोक्त आश्चर्यजनक परिणाम उसके वैज्ञानिक को देखने को मिले।