निर्भया कांड के दोषियों को फांसी न दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण: महिला उत्थान समिति
जमशेदपुर । ( संवाददाता ) महिला उत्थान समिति जमशेदपुर की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा पांडेय एवं राष्ट्रीय महासचिव अरूणा पोद्दार ने संयुक्त रूप से विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी नहीं दिया जाना अत्यंत ही दुखद है ।
विज्ञप्ति में इस बात पर अफसोस जाहिर किया गया है कि इन दोषियों को पहले 22 जनवरी को फांसी लगनी थी फिर उस फांसी को रोककर येन केन प्रकारेण अगली तिथि 1 फरवरी नियत की गयीं ।
परंतु कानूनी दांवपेच में फंसाकर फांसी को आज भी रोक दिया गया है । यह दर्शाता है जो कानून बनाया गया वह जनता के हित में नहीं बनाया गया ।
इस प्रकार से रेपिस्ट बार-बार कभी हाई कोर्ट में अपील करके , कभी सुप्रीम कोर्ट में अपील करके , कभी दया याचिका दाखिल करके , तो कभी दया याचिका को चुनौती दे करके बचने का प्रयास करते रहते हैं ।
महिला उत्थान समिति ने कहा है कि देश की ऐसी लचर कानून व्यवस्था से देश के जन सामान्य में अनावश्यक धर्म में भ्रांतियां उत्पन्न होती हैं ।इस प्रकार के कानून को रद्द करने का समय आ गया है । समिति ने मांग की है कि ऐसा कानून देश में लागू होना चाहिए कि अपराधी अपराध करना भूल जाए।
अभी वर्तमान का जो कानून है इससे आपराधिक मामलों में और वृद्धि होने की संभावना प्रबल हो जाती है ,इस प्रकार लोग दुष्कर्म करके बचते रहेंगे । सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ।
आंध्र प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि उनके यहां की अदालतें मात्र 21 दिनों में रेप कांड के मामलों पर फैसला सुनाये , इसी प्रकार महाराष्ट्र सरकार भी आगे बढ़ी है । झारखंड सरकार भी इस ओर प्रयासरत हैं ।
समिति ने कहा है कि उसकी इच्छा है कि भारतवर्ष की सभी राज्यों की सरकारें इस पर कानून बनाएं ।
हमारी मांग है कि केंद्र सरकार एक ऐसा कानून बनाएं कि पूरे भारत में 21 दिनों में रेप कांड के ऊपर सुनवाई हो जाए एवं फैसला भी हो जाए । रेपिस्ट निचली अदालत के फैसले के बाद कहीं भी अपील नहीं कर सके , अगर अपील की जाती है तो उसको मात्र 7 दिनों का समय दिया जाए । ऐसा कुछ किया जाए कि निर्भया रेप कांड की तरह 7 वर्ष नहीं खींचे जाएं । हाईकोर्ट को भी एक ऐसा निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह 7 दिनों में फैसला करें ।
और सुप्रीम कोर्ट भी फैसला 7 दिनों में ही करें ।
और दया याचिका को अगर करना ही है राष्ट्रपति के पास तो उसके लिए भी 7 दिन ही दिए जाएं ।
मतलब इस प्रकार 21 दिन के अलावा और 21 दिन हो जाएंगे इस प्रकार 42 दिन और उसके बाद उसको किसी भी अन्य तरीके से बचने का मौका नही दिया जाए । उसको मौत की सजा दी जाए ।
इतना ही नहीं समिति ने यह भी कहा है कि फांसी देना तो कानून में है लेकिन हम लोगों की यह भी मांग है कि ऐसे रेपिस्ट को चौराहे में आधा गाड़ दिया जाए और महिलाओं के हवाले 4 घंटे के लिए कर दिया जाए । इन 4 घंटों में महिलाएं उसका जो कुछ भी करें कर सकती हैं और उसके बाद उसको उसी समय गोली मार दी जाए ।
मुख्य संपादक, उगता भारत