भारत के ग्रामोदय का सपना अभी भी सरकारी नीतियों से गायब है
नई दिल्ली । ( विशेष संवाददाता ) हिंदूवादी चिंतक और अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री एस डी विजयन का कहना है कि ग्राम उदय से भारत उदय की संभावनाओं को तलाशती नीतियों की अभी भी देश में कमी है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में हमारी अर्थव्यवस्था का केंद्र ग्राम होते थे । जिन्हें हमारी आर्थिक नीतियों में पूर्ण स्वशासन का अधिकार प्रदान किया जाता था। प्रत्येक गांव अपने आप में आत्मनिर्भर होता था । जिसे सरकारी मदद की आवश्यकता नहीं होती थी। उल्टे वह सरकारी खजाने में अपनी ओर से कर दिया करता था।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारत की इस आदर्श व्यवस्था को उजाड़ने के लिए नए नए कानून बनाए और गांवों का शोषण करने के लिए उन्हें सीधे कलेक्टर के अधीन किया ।
श्री विजयन ने कहा कि भारत का यह दुर्भाग्य रहा कि जब देश आजाद हुआ तो देश की सरकारों ने अंग्रेजों की नीतियों को ही इस देश के अनुकूल समझकर आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। जबकि उनकी रक्त चूसने वाली नीतियों के विरुद्ध ही हमारा क्रांतिकारी आंदोलन आरंभ हुआ था। श्री विजयन ने कहा कि अखिल भारत हिंदू महासभा केंद्र सरकार से यह मांग करती है कि उन सभी कानूनों और व्यवस्थाओं को समाप्त किया जाए जिनके माध्यम से हमारे ग्रामोदय का सपना साकार नहीं हो पा रहा है और शहरों की को हम स्लम बस्ती बनाते जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा महानगरीय स्लम बस्ती योजना का विरोध करते हुए ग्रामोदय के संकल्प के प्रति सरकार को सजग करती है, जिससे गणतंत्र का वास्तविक स्वरूप साकार हो सके।
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