समाज विरोधी और आतंकियों के नहीं होते कोई मानवाधिकार : हिंदू महासभा
नई दिल्ली । ( विशेष संवाददाता ) अखिल भारत हिंदू महासभा की एक चिंतन बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया है कि देशद्रोहियों , देशविरोधियों , समाज विरोधियों और आतंकवादियों के कोई मानव अधिकार नहीं होते । इस संबंध में जानकारी देते हुए पार्टी के कार्यालय मंत्री विपिन खुराना ने बताया कि मानवाधिकार आयोग के द्वारा हैदराबाद बलात्कार केस में पुलिस एनकाउंटर की जांच मानवाधिकारों का संदर्भ देकर किए जाने की बात कहना हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पार्टी की एक विशेष बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बाबा नंद किशोर मिश्र की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमें यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि जो लोग अपने समाज विरोधी और मानवता विरोधी कार्यों में सम्मिलित हैं , उन्होंने क्योंकि पहले ही किसी ना किसी के मानवाधिकारों का हनन किया है इसलिए उनके मानव अधिकार उस समय समाप्त हो गई जिस समय उन्होंने अपनी किसी ऐसी समाज विरोधी राष्ट्र विरोधी और धर्म विरोधी घटना को अंजाम दिया था ।
इसलिए रेपिस्ट जैसे किसी भी व्यक्ति के कोई मौलिक अधिकार नहीं हो सकते । उन्होंने न केवल एक महिला की हत्या की बल्कि पूरी की पूरी व्यवस्था को ध्वस्त करने का प्रयास किया । जिससे मानवता शर्मसार हुई । इसलिए मानव अधिकार आयोग को यह सोचना चाहिए कि वह जिन लोगों को संरक्षण दे रहा है उनके लिए उसका गठन नहीं हुआ है , बल्कि समाज के शांतिप्रिय लोगों को संरक्षण देने के लिए उसका गठन हुआ है।
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