आर्य समाज अस्तौली का 97 वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से हुआ संपन्न

ग्रेटर नोएडा ( विशेष संवाददाता) यहां स्थित ऐतिहासिक आर्य समाज अस्तौली का 97 वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से संपन्न हो गया। इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय संत स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज की विशेष उपस्थिति रही। जिन्होंने दो दिन तक लोगों का निरंतर मार्गदर्शन किया और वर्तमान में हिंदुत्व के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए युवाओं का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि अभी नहीं तो कभी नहीं के आधार पर हमें काम करना होगा। क्योंकि शत्रु अपनी प्रत्येक प्रकार की तैयारी में लगा हुआ है। देश के विस्फोटक हालातो की चर्चा करते हुए स्वामी जी महाराज ने कहा कि हमें किसी भी प्रकार के संकट के लिए 24 घंटे तैयार रहने की आवश्यकता है। देश के सम्मान को बचाने के लिए युवाओं को विशेष रूप से सावधान रहना होगा उन्होंने कहा कि देश का एक बटवारा हम देख चुके हैं, दूसरा बंटवारा कदापि किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए। इसके लिए हमें इतिहास बोध होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि देश धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए जिस राष्ट्र का युवा जागृत रहता है वही राष्ट्र आगे बढ़ पाता है और वही सभ्यताओं की प्रतिस्पर्धा में अपना स्थान सुरक्षित रख पाता है। भारत को अपने सनातन की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार की लापरवाही अब नहीं करनी है।
इस अवसर पर विशेष वक्ता के रूप में अपना संबोधन देते हुए आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के प्रधान डॉक्टर राकेश कुमार आर्य ने कहा कि हमारे देश की कई बार गोद खाली हुई है लेकिन कोख कभी खाली नहीं हुई अर्थात यहां पर संभावनाएं अनंत रही है और जैसे ही किसी एक संभावना का अंत हुआ तो दूसरी ने आकर अपनी आंखें खोल दीं । उन्होंने इतिहास के उदाहरण देकर बताया कि यहां के लोगों ने तप , त्याग और तपस्या के माध्यम से राष्ट्र की रक्षा करने में अपने प्राणों की बाजी लगा दी। उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्र का नेतृत्व किया। स्वामी दयानंद जी महाराज ने मानव निर्माण से राष्ट्र निर्माण की एक सशक्त योजना प्रस्तुत की। जिसके आधार पर उन्होंने विदेशी सत्ता को चुनौती दी। जो लोग आलस्य और प्रमाद के कारण विदेशी सत्ता के साथ समन्वय स्थापित कर चुके थे, उनको पकड़ कर झकझोरा और राष्ट्र रक्षा के लिए आर्यों की एक नई टीम खड़ी की ,उनके मार्गदर्शन में हमने क्रांति का पद निर्मित करना आरंभ किया।
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए आर्य समाज अस्तौली के प्रधान गिरिराज आर्य ने हमें बताया कि कार्यक्रम में विभिन्न विद्वानों ने वेदों के मर्म को बताने के लिए सार्थक और गंभीर प्रयास किया। विद्वानों की मान्यता रही कि वैश्विक शांति के लिए हमें वेदों की शिक्षा का ही सहारा लेना पड़ेगा। विद्वानों का कहना था कि भारत की संस्कृति ही विश्व संस्कृति कहलाने कि अधिकारी है। जिसके भीतर विश्व बंधुत्व की विशिष्टता का भाव छिपा हुआ है। विश्व को आर्य बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए विद्वानों ने इस बात पर बल दिया कि जब तक विश्व समाज को श्रेष्ठ पुरुषों का समाज नहीं बनाया जाएगा तब तक इसी प्रकार की कलह पूर्ण स्थिति बनी रहेगी।
इस आर्य समाज के बारे में जानकारी देते हुए आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के सह कोष अध्यक्ष और आर्य विद्वान आर्य सागर ने बताया कि 1929 में इस संस्था की स्थापना हुई थी। तब से आज तक लगभग 100 वर्ष के अपने कालखंड में लोगों ने बहुत महत्वपूर्ण ढंग से आर्य समाज के लिए यहां पर कार्य किया है। आज भी यहां की टीम जिले की सशक्त टीमों में से एक है। जिसका रिकॉर्ड बहुत ही साफ सुथरा है। सभी आर्यजन परस्पर मिलकर अपना कार्य करते हैं और बहुत ही ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हैं। याद रहे कि यह संस्था इस समय बहुत ही भव्यता के साथ निर्मित होकर अपने नए स्वरूप में आई है। इस कार्यक्रम में आर्य प्रतिनिधित्व जनपद गौतम बुद्ध नगर के प्रधान महावीर सिंह आर्य, मंत्री धर्मवीर सिंह आर्य , संरक्षक बलबीर सिंह आर्य, सरपंच रामेश्वर सिंह, गिरीश मुनि, शिव मुनि ,ओम मनी बहन अलका आर्या, सुनीता आर्या, जगमाल महाशय, सत्यवीर आर्य, मूलचंद आर्य, महेंद्र सिंह आर्य सहित कई आर्य विद्वानों ने अपनी उपस्थिति दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता देव मुनि जी महाराज द्वारा की गई। इस अवसर पर श्री जीतराम आर्य, अनार सिंह आर्य व उनके साथियों द्वारा आर्य जगत के मूर्धन्य विद्वान स्वामी भीष्म जी महाराज के भजन संग्रह की छपवाई गई पुस्तकों को सभी उपस्थित विद्वानों को वितरित किया गया।