मूर्ख वह नहीं जो कुछ नहीं जानता, मुर्ख वह हैं जो जानने की कोशिश नहीं करता*!
आचार्य वीरेंद्र शास्त्री सहारनपुर।
ग्राम पल्ला ग्रेटर नोएडा में यादराम आर्य जी के आवास पर आयोजित हो रहे ऋग्वेद पारायण यज्ञ के चौथे दिवस के सातवें प्रातः कालीन सत्र में आज यज्ञ के ब्रह्म आचार्य वीरेंद्र शास्त्री जी ने कहां मूर्ख वह व्यक्ति नहीं है जो कुछ नहीं जानता बल्कि मूर्ख वह है जो जीवन में पुरुषार्थ तपस्या कर कुछ जानने की कोशिश नहीं करता । दोषों दुर्गुणों की हानि जानकर भी उन्हें दूर करने का प्रयास नहीं करता।
आचार्य जी ने कहा प्रत्येक जड़ चेतन पदार्थ से प्रेरणा लेनी चाहिए ऋग्वेद हमें यही संदेश देता है। सूर्य से हमें उन्नति की प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्नति शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है उत +नत अर्थात उन्नति। जो ऊंचा उठकर भी झुका रहता है वही जीवन में महान बनता है।
आचार्य जी ने उपस्थित श्रोताओं यज्ञ प्रेमियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि आज धन लोगों के जीवन में मुख्य हो रहा है जबकि धर्म गौण हो रहा है जबकि वेद कहता है धर्म और धन दोनों ही व्यक्ति के पास होने चाहिए।
धर्म टॉनिक है जिसका अंदर सेवन किया जाता है जबकि धन मल्हम है जिसका बाहरी तौर पर प्रयोग होता है। आज उल्टा हो रहा है धर्म के नाम पर केवल प्रतीको का प्रयोग कर रहे हैं सत्य दम तप आदि रूपी धर्म को धारण नहीं कर रहे हैं।
ऋग्वेद का यह पारायण 10 नवंबर से चल रहा है वेद पाठ वैदिक विदुषी ब्रह्मचारिणी तितिक्षा आर्या, कोमल आर्या कर रही हैं। दोनों समय यज्ञ होता है। प्रातः 7:30 से 10:30 से सायं 3 से 6:00 बजे। आज के यज्ञ में अतिथि के तौर पर मास्टर ब्रह्म प्रकाश आर्य उनके सुपुत्र सूरत आर्य आर्य सागर खारी मास्टर प्रताप आर्य बलबीर प्रधान हरस्वरूप महाशय रामेश्वर सरपंच आदि उपस्थित रहे।
आप सभी से अनुरोध वैदिक धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसारार्थ आयोजित इस अनुष्ठान के कम से कम एक सत्र में सह परिवार उपस्थित होकर धर्म लाभ उठाएं इससे आपके बच्चे धार्मिक राष्ट्रभक्त बनेंगे अच्छे संस्कार उन पर पड़ेंगे आपको भी अपने कर्तव्यों का भान होगा वैदिक विद्वानों के उपदेश प्रवचन सुनने चाहिए। यज्ञ याग में सहभागी होने से महान पुण्य मिलता है हमारी संस्कृति ब्राह्मण ग्रंथ महाभारत आदि में में तो यह भी उल्लेख मिलता है बिना निमंत्रण के भी यज्ञ में जाना चाहिए।
लेखक आर्य सागर तिलपता