ऋतु अनुकूल हवन सामग्री

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यज्ञ एक वैज्ञानिक कार्य है। यज्ञ का समस्त कार्य उसी की सम्मति से होना चाहिए जो इस विज्ञान को भली भाँति जानता है। समय पर यदि ऐसा विद्वान् न मिल सके तो कम से कम ऋतु का विचार कर के ताजी औषधियाँ जो घुनी या सड़ी न हों हवन सामग्री में प्रयोग करनी चाहिए। कपूर से ही यज्ञाग्नि प्रज्वलित करनी चाहिए। अक्सर देखा गया है कि हजारों रूपया लगाकर बड़े-बड़े यज्ञ किए जाते हैं किन्तु यह बड़ा आश्चर्य होता है कि यज्ञों में ऋतु और समय का कोई भी विचार किये बिना बाजारू सस्ती सामग्री बिना उचित मात्रा में घृत मिलाये सूखी सामग्री ही हवन में प्रयोग की जाती है। सूखी सस्ती सामग्री लाभ के स्थान पर हानिकारक हो सकती है। इसी प्रकार ऋतु अनुकूल बिना हवन सामग्री के किया गया हवन विपरीत फल देने वाला होता है। इसीलिए यज्ञ करते या कराते समय सामग्री और ऋतु का विशेष ध्यान देना आवश्यक है। नीचे ऋतुओं के अनुकूल यज्ञ सामग्री लिखी जा रही है। उस पर सदैव ध्यान देना आवश्यक है-

(१) बसन्त ऋतु

(मधु चैत्र और माधव वैशाख मास १९ फरवरी से २२ अप्रैल तक)

(क) गूगल, देशी शक्कर प्रत्येक १० भाग (ख) धूप का बुरादा, देवदारू, गिलोय, मुनक्का, गूलर की छाल, सुगन्ध कोकिला, हाओ बेर प्रत्येक 2½ भाग (ग) चिरायता, चन्दन सफेद, चन्दन लाल, जायफल, कमल गट्ठा, कपूर कचरी, इन्द्र जौ, शीतल चीनी, तालीस पत्र, अगर, तगर, मजीठ प्रत्येक एक भाग (घ) जावित्री 1/4 भाग केसर 1/8 भाग।

(२) ग्रीष्म ऋतु

(शुक्र ज्येष्ठ और शुचिमास आषाड़ २३ अप्रेल से २१ जून तक)

(क) गुगल, देशी श्क्कर प्रत्येक १० भाग (ख) गुलाब के फूल चिरोंजी शतावर, खस, गिलोय, सुपारी प्रत्येक दो भाग (ग) आमला, जटामाशी, नागरमोथा, वायविडंग, छरीला, दालचीनी, लौंग, चन्दन सफेद, चन्दन लाल, तगर, मजीठ, इलायची-बड़ी, ४ रूप का बुरादा, तालीस पत्र, उन्नाव, पदमाष प्रत्येक एक भाग (घ) केसर 1/8 भाग।

(३) वर्षा ऋतु

(नभ श्रावण और नभस्य भाद्रपद मास २२ जून से २२ अगस्त तक)

(क) गूगल १० भाग देशी शक्कर ८ भाग (ख) देवदारू, राल, गोला, जायफल, जटामासी, बच, सफेद चन्दन, छुआरे नीम के सूखे पत्ते, मकोय जड़ सहित, सुगंध कोकिला प्रत्येक 2½ भाग (ग) काला अगर, इन्द्र जौ, धूप का बुरादा, तगर, तेजपात, बेल का गूदा गिलोय, तुलसी, वायविंडग, नाग-केसर, चिरायता प्रत्येक एक भाग (घ) छोटी इलायची ½ भाग, केसर 1/2 भाग।

(४) शरद ऋतु

(इष क्वार और ऊर्जा कार्तिक मास 23 अगस्त से 22 अक्टूबर तक)

(क) गूगल चन्दन सफेद चिरोंजी गूलर की छाल, पीली सरसों, कपूर कचरी, जायफल, चिरायता, जटामासी, सहदेवी प्रत्येक 2½ भाग (ख) चन्दन लाल, चन्दन पीला, नागकेसर, गिलोय, दालचीनी, पित्तपापड़ा मोचरस, अगर, इन्द्र जौ, अश्वगंध, शीतल चीनी, पत्रज, तालमखाना, धान की खील प्रत्येक एक भाग, (ग) किशमिश 5 भाग देशी शक्कर, भाग (घ) केसर 1/8 भाग।

(५) हेमन्त ऋतु

(सह अगहन और सहस्य षौष मास २३ अक्टूबर से २१ दिसम्बर तक)

(क) गूगल 10 भाग, देशी शक्कर ८ भाग (ख) कपूरकचरी मुनक्का अखरोट की गिरी, काले तिल, गोला, सुगन्ध कोकिला, हाओ बेर प्रत्येक 21/½ भाग (ग) मूसली काली, पित्तपापड़ा, कूठ, गिलोय, दालचीनी, जावित्री, मुश्क वाला, तालिश पत्र, तेज पत्र, सफेद चन्दन प्रत्येक एक-एक भाग (घ) रासना 12 भाग, केसर 1/8 भाग।

(६) शिशिर ऋतु

(तप माघ और तपस्य फाल्गुन मास २२ दिसम्बर से 1८ फरवरी तक) (क) गूगल ५ भाग देशी शक्कर ८ भाग (ख) अखरोट की गिरी, मुनक्का, काले तिल, चन्दन लाल, चिरायता, छुआरा, जटामाशी, तुम्बरू, राल प्रत्येक 2/2 (ग) काफूर, वायविंग, इलायची बड़ी, मुलहठी, मोचरस, गिलोय, तेज, तुलसी, चिरौंजी, काकड़ा सिंगी, शतावर, दारू हल्दी, पदमाख, सुपारी प्रत्येक एक-एक भाग (घ) रेणुका, शंखपुष्पी, कोंच के बीच, भोज पत्र प्रत्येक ½ भाग। केसर 1/8 भाग।

प्रस्तुति : डॉ राकेश कुमार आर्य

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