नींबू और मिर्च का रक्षा कवच*
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(घर या दुकान के आगे नींबू मिर्ची की माला लटकाना –एक अंधविस्वास या गहरी सोच)
डॉ डी के गर्ग
आजकल पढ़े लिखे लोग खासकर दुकानों के दरवाजों पर नींबू और हरी मिर्च को एक धागे में बांधकर लटकाते है ।और सूख जाने पर या अगले दिन इसको फैक देते है। इसे ‘नजरबट्टू’ कहते हैं। मान्यता है की एक नींबू के साथ तीन, पांच या सात मिर्च को काले धागे से बांधना चाहिए, इससे किसी भी प्रकार की नजर-बाधा , जादू-टोने से बचा जा सकता है , बुरी आत्मा प्रवेश नहीं होता और तरक्की के लिए ऐसा करते है और कुछ का कुतर्क है नीबू और मिर्च के एक साथ होने वाली गंध से वातावरण के कीटाणु खत्म हो जाते हैं. इसके तीव्र गंध से मच्छर, मक्खी भी दूर रहते हैं. यह वातावरण को शुद्ध करता है। लेकिन ये भी अवैज्ञानिक है।
सच तो ये है कि उच्च शिक्षित लोग भी इस भय और भ्रम में रहते है। कुछ लोग दुकानों और घरों के बाहर नींबू-मिर्च टांग दी जाती है। तीन निम्बू और तीन मिर्च कितने के होंगे 5 रूपये के ज्यादा से ज्यादा 20 रूपये या 50 रूपये में यह बेचा जाता है। करोड़ों की इमारत की रक्षा क्या 20 रुपए की निम्बू-मिर्च कर सकती है ? क्या ये लोग अपने बच्चो की एक ऐसी विकलांग पीढ़ी पैदा कर रहे है जो झिझक व अनावश्यक भय को जन्म देती है।
विश्लेषण : रूढ़िवादी से चलती आ रही परंपराओं को आज हमने उनको अपने जीवन का एक हिस्सा मान लिया है।लेकिन इसमें भी कोई शंका नहीं है कि हमें पंडितों नें अज्ञान से परिपूर्ण कर दिया, हम बुरी नजर से, तथा भूत प्रेत से बचने के उपाय घर में नींबू और मिर्ची लटकाने से मान बैठे हैं। जिसका शास्त्रों में कहीं वर्णन नहीं है। एक अन्य कुतर्क भी दिया जाता है जिसके लिए वास्तु शाश्त्र का झूठा उल्लेख करते है की वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस घर में नींबू का पेड़ होता है वह घर शुद्ध माना जाता है. निंबू नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर घर में सकारात्मक शक्ति उत्पन्न करता है. नींबू का उपयोग वास्तु शास्त्र के मुताबिक बुरी एवं अदृश्य शक्तियों को भी दूर करने में भी किया जाता है।
गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 के अनुसार –जो लोग शास्त्रों के आदेशों को त्यागकर, कामना के आवेग में आकर कार्य करते हैं, वे न तो सिद्धि प्राप्त कर पाते हैं, न सुख, न ही जीवन में परम लक्ष्य प्राप्त कर पाते हैं।
निंबू मिर्च आदि वहां और घर के दरवाजे पर लटकाने को लेकर एक अन्य विचार –इस विषय में तर्क शास्त्री कहते है ये एक अत्यंत पुरानी परम्परा है जो की सामाजिक है। एक व्यक्ति जो सड़क मार्ग से जा रहा है और उसकी पोटली में रोटियां बंधी हुआ है। मार्ग काफी लम्बा है ,पहले कई कई किलोमीटर और कहो कई कई दिनों तक राहगीर की सहायता के लिए “अथिति देवो भव ‘ के आलोक में एक पुरातन परम्परा हो सकती है की वह अपनी आवश्यकता के अनुसार घर के दरवाजे से लटकी नीबी ,मिर्च की पोटली स्वतः उठा ले और नीबू , मिर्च ,प्याज आदि के उपयोग से रोटियां खाकर तत्समय अपनी भूख का सामना कर सकता है। यानी बुरी नजर कट जाती है और उन्नति सफलता और शांति पहले की तरह बढ़ती रहती है । इसीलिए लोग नींबू और मिर्ची बांधकर दरवाजे पर लटका देते हैं
वेदो में उल्लेखित पंच प्रकार यज्ञ में एक अथिति यज्ञ भी है। जहा अथिति यज्ञ नहीं होता वहां की उन्नति, शांति और सफलता रुक जाती है या समाप्त हो जाती है।