पत्थरबाजों की मस्जिद गिरा देना सुन्नत है
देखा गया है की आजकल मुसलामन किसी भी सार्वजनिक जगह रेलवे प्लेटफार्म बीच रास्ते या भीड़भाड़ चौराहे पर इकट्ठे हो जाते हैं और उठक बैठक करने लगते ऐसे नाम्माज पढ़ना और अपना संवैधानिक अधिकार बताते है और इसी भी जगह पर कब्ज़ा करके मस्जिद बना देते है इसलिए पहले नमाज क्या है और उसका उद्देश्य क्या होना चाहिए यह बता रहे हैं
1-नमाज क्या है
पूरी कुरान और हदीसों में “नमाज – نماز “शब्द नहीं है यह पारसी धर्म के अवेस्ता शब्द से बना है इसका अर्थ नमस्कार करना है अरबी में इबादत के लिए “सलात – (صَلَاة “है इसका अर्थ सीधा करना है ,the word Salat [الصَّـلَاةَ] is the derivative of word wasal [وصل].यानी साक्षात्कार ,अरबी अंगरेजी शब्दकोष में इसका अर्थ “righteousness,है ,सलात का उद्देश्य लोगों को सुधारना यानी सीधा करके दुर्गुणों से अलग करना है जैसा की कुरआन में कहा है
2-सलात का का उद्देश्य क्या है
कुरान की सुरा अनकबूत 29 :45 में सलात के यह फायदे बताये गए हैं
“َأَقِمِ الصَّلَاةَ ۖ إِنَّ الصَّلَاةَ تَنْهَىٰ عَنِ الْفَحْشَاءِ وَالْمُنكَرِ ۗ وَلَذِكْرُ اللَّهِ أَكْبَرُ ۗ وَاللَّهُ يَعْلَمُ مَا تَصْنَعُونَ ”
(“अकि मुस्सलात इन्न सलात तन्हा फहशा वल मुनकिर ,व जिक्रललाह अकबर )
अर्थ -और नमाज़ का आयोजन करो। निस्संदेह नमाज़ अश्लीलता और बुराई से रोकती है। और अल्लाह का याद करना तो उस से और बहुत बड़ी चीज़ है
Eng- and establish prayer. Indeed, ˺ prayer should deter ˹one˺ from indecency and wickedness. but The remembrance of Allah is ˹an˺ even greater
नोट -कुरान की इस आयात में अल्लाह के जिक्र यानी जप को सलात से बड़ा बताया है ,जबकि मुस्लिम मौलवी नमाज़ बड़ा बता कर नमाज के बहाने लोगों को परेशान करके दंगे करवाते है ,इसी लिए इसमाईली मुस्लिम न तो किसी मस्जिद में जाते हैं और न नमाज पढ़ते है सिर्फ अपने इबादत खाने में जाकर खड़े होकर अल्लाह की स्तुति करते हैं कोई उनको काफिर नहीं कहता
वास्तव में मुसलमानों को न तो कुरान की बात पर इमांन और न नमाज से लगाव है यह लोग मस्जिद के बहाने भूमि कब्ज़ा करना और मस्जिदों में षडयंत्र करके लोगों को आपस में लड़ाने का काम करते हैं मुसलमान ऐसा मुहम्मद के समय से करते आये हैं
3-फ़सादियों की मस्जिद
मुसलमानों ने मुहम्मद के समय ही मस्जिद बना कर उसको इबादत की जगह नहीं बल्कि षडयंत्र रचाने ,आपस में फूट डालने और घात लगाने का अड्डा बनाना शुरू कर दिया था जो तब से आज तक चल रहा है
इस्लामी इतिहासकार तबरी ने ऐसी ही एक मस्जिद के बारे में लिखा है जिसके बारे में कुरान में भी लिखा है की सन 630 के लगभग मदीना से कुछ दूर
“जि आरून – ذی آورن ” या “आरवान – آروان “की जगह पर 12 लोगों ने मिल कर एक मस्जिद बनवाई थी इनका मुखिया “अबू आमिर फासिक – ابوعامرفاسق ” था ,यह मस्जिद कच्ची मिटटी से बानी थी जिसकी छत खजूर के तनों से बनी थी .इस मस्जिद में इबादत की जगह लोगों को हानि पहुंचने की योजनाएं बनाई जाती थीं ,इसलिए इतिहास में इसे “मस्जिद जिरार -مسجد الضرار ” कहा गया है
[Tabari, Volume 9, The last Years of the Prophet, pp. 60–61][1
4-मस्जिद जिरार
इसके बारे में कुरान की सूरा तौबा 9 :107 में लिखा है
“وَالَّذِينَ اتَّخَذُوا مَسْجِدًا ضِرَارًا وَكُفْرًا وَتَفْرِيقًا بَيْنَ الْمُؤْمِنِينَ وَإِرْصَادًا لِّمَنْ حَارَبَ اللَّهَ وَرَسُولَهُ مِن قَبْلُ ۚ وَلَيَحْلِفُنَّ إِنْ أَرَدْنَا إِلَّا الْحُسْنَىٰ ۖ وَاللَّهُ يَشْهَدُ إِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ
अर्थ -और कुछ ऐसे लोग भी हैं , जिन्होंने मस्जिद बनाई इसलिए कि नुक़सान पहुँचाएँ और कुफ़्र करें और इसलिए कि ईमानवालों के बीच फूट डालें और उस व्यक्ति के घात लगाने का ठिकाना बनाएँ, जो इससे पहले अल्लाह और उसके रसूल से लड़ चुका है। वे निश्चय ही क़समें खाएँगे कि “हमने तो बस अच्छा ही चाहा था।” किन्तु अल्लाह गवाही देता है कि वे बिलकुल झूठे हैं। -9:107
Eng-There are also those ˹hypocrites˺ who set up a mosque ˹only˺ to cause harm, promote disbelief, divide the believers, and as a base for those who had previously fought against Allah and His Messenger.1 They will definitely swear, “We intended nothing but good,” but Allah bears witness that they are surely liars.9:107
यह आयत उस समय नाजिल हुई थी जब अक्टूबर 630 में मुहम्मद तबूक के युद्ध के बाद मदीना आ रहे थे औऱ आरून रुके थे जैसे ही मुहम्मद आये तो अबू फासिक ने उनको अपने द्वारा बनवाई मस्जिद दिखा कर कहा . या रसूल हमने कमजोर और गरीब लोगों के लिए यह मस्जिद बनाई है ताकि वह लोग सर्दी और बरसात से बचे रहें इसलिए आप यहाँ आकर हमारे लिए दुआ करें
‘O Messenger of God, we have built a mosque for the sick and needy and for rainy and cold nights, and we would like you to visit us and pray for us in it
लेकिन इस आयत की तफ़सीर मारफ़ुल कुरान में यह है
5-आयत की तफ़सीर
पवित्र पैगम्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) तबूक से लौटकर मदीना के निकट “धी-अवारान” या “अरवान” स्थान पर पहुँचे, तो सूरह अत-तौबा की 107वीं आयत पाखंडियों के बारे में नाज़िल हुई: ईमानवालों में से उन लोगों से सावधान रहो, जिन्होंने अल्लाह और उसके रसूल से उसके पहले युद्ध किया और (मुनाफिकों में से) ऐसे लोग हैं जिन्होंने ईमानवालों के बीच हानि, अविश्वास और विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से मस्जिद बनाई, और उनके लिए घात लगाया जो पहले ख़ुदा और रसूल से लड़ चुके हैं, वे ज़रूर क़सम खाएँगे कि हम नेक इरादे के अलावा कोई इरादा नहीं रखते और अल्लाह गवाही देता है कि वे झूठे हैं। (107
6-मुहम्मद ने मस्जिद को आग लगवाई
इसके बाद मुहम्मद ने मस्जिद जीरार में आग लगवा कर ध्वस्त करा दिया यह बात शिया वेबसाईट से ली गयी है इसमें लिखा है
उसके बाद, अल्लाह के दूत ने मलिक बिन दुख़्शुम (مالک بن دُخْشُم ) और मान बिन अदी यस (مَعْن بن عَدی یا س ) के भाई आसिम बिन अदी (عاصم بن عدی )और एक कहावत के अनुसार, जिस बर्बर व्यक्ति ने हज़रत हमज़ा को मार डाला था, उसके साथ एक समूह को आदेश दिया कि इस मस्जिद को ध्वस्त कर दिया जाए और इसमें आग लगा दी जाए। [11] साथ ही आपके आदेश से इस स्थान को गन्दगी और कूड़ा-कचरा इकट्ठा करने का स्थान भी निर्धारित किया गया। [12] अबू लबाबा बिन अब्द अल-मुंज़िर (ابو لبابہ بن عبد المنذر ) लकड़ी से मस्जिद बनाने में पाखंडियों की मदद करते थे। मस्जिद के विध्वंस के बाद, उन्होंने मस्जिद के बगल में एक लकड़ी का घर बनाया। ऐसा कहा जाता है कि इस घर में किसी का जन्म नहीं हुआ था और न ही कोई कबूतर यहां बैठा था और न ही किसी पक्षी ने अपना घोंसला बनाया था।
इस घटना के बाद सन 630 से आज तक मुसलमान मस्जिदों का उपयोग भूमि पर कब्ज़ा करने के लिए और राजनीतिक लाभ के लिए करते आए हैं मस्जिदों का उपयोग नमाज के लिए नहीं पत्थर फेकने के लिए होता हैं मस्जिदों में हथियार छुपाये जाते है मौलवी कुकर्म करते है यह सब जानते है इसलिए ऐसी मस्जिदों को ध्वस्त कर देना चाहिए जैसा मुहम्मद ने किया था
हमारा सुझाव है कि भारत की सभी मस्जिदों रिकार्ड तैयार करे की मस्जिद किसने और कब बनवायी थी और मस्जिद का कुल क्षेत्र और उसकी कमिटी के सदस्यों के नाम पते भी लिखे जाएँ फिर उनसे एक एफिडेविट लिया जाये जिसमे कमिटी द्वारा वादा किया हो कि इस मस्जिद का उपयोग केवल इबादत और मजहबी काम के लिए होगा और अगर इसमें गैर कानूनी काम पाया जायेगा तो अगर सरकार इस पर बुलडोजर चला देगी तो हम विरोध नहीं करेंगे
दस्तख़त सदरइन्तजामिया मस्जिद जीरार
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बृजनंदन शर्मा