जब सुप्रीम कोर्ट ने वक़्फ़ बोर्ड से पूछा – ताजमहल का मालिक शाहजहाँ था, इसके काग़ज़ कहाँ हैं। वक़्फ़ को तो वह ताजमहल तब देगा, जब वह उसका मालिक होगा। काग़ज़ तो दिखाना पड़ेगा।
सच्चा किस्सा
2005 में जब यूपी मे मुलायम सिंह और केंद्र में मनमोहन सिंह थे, तब ताजमहल वक़्फ़ को दे दिया गया था। फिर क्या हुआ? कैसे प्राइवेट प्रॉपर्टी बनने से बचा ताजमहल?
मुस्लिम वोट की सबसे दिलचस्प जंग कांग्रेस और सपा के बीच है। इसके चक्कर में ताजमहल थोड़े समय के लिए वक़्फ़ प्रॉपर्टी यानी प्राइवेट बन गया था।
यूपीए शासन में मुसलमानों को खुश करने के लिए वक़्फ़ क़ानून, जामिया को मुस्लिम यूनिवर्सिटी, मुस्लिम आरक्षण, माइनॉरिटी मंत्रालय, रंगनाथ और सच्चर चल रहा था तो यूपी की सपा सरकार ने आगे आकर कहा कि हम ताजमहल को ही वक़्फ़ को दे देते हैं!
13 जुलाई 2005 को यूपी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का बाक़ायदा आदेश पारित हो गया। वक़्फ़ बोर्ड के सीईओ को चेयरमैन का निर्देश चला गया। ताज महल वक़्फ़ प्रॉपर्टी रजिस्टर हो गया। ताजमहल प्राइवेट बन गया।
इस समय यूपी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन हफ़ीज़ उस्मान समाजवादी पार्टी के विधायक थे। वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष भी हुआ करते थे।
मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि – “राज्य सरकार वक़्फ़ बोर्ड के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।”
उन्होंने कहा कि “जिनको शिकायत है वे कोर्ट में जाएँ।”
भारतीय पुरातत्व विभाग यानी एएसआई भागी भागी सुप्रीम कोर्ट पहुँची। वहाँ आगे चलकर वक़्फ़ बोर्ड का पक्ष रखने के लिए कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद खड़े हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने वक़्फ़ बोर्ड से पूछा – ताजमहल का मालिक शाहजहाँ था, इसके काग़ज़ कहाँ हैं। वक़्फ़ को तो वह ताजमहल तब देगा, जब वह उसका मालिक होगा। काग़ज़ तो दिखाना पड़ेगा।”
चीफ़ जस्टिस ने कहा कि “हमें शाहजहाँ की हैंड राइटिंग और सिग्नेचर वाला काग़ज़ चाहिए कि उसने संपत्ति वक़्फ़ को दी थी। जब वह जेल में था तो उसने साइन कब किया? उसका वसीयत कहाँ है?”
काग़ज़ थे नहीं तो वक़्फ़ बोर्ड का आदेश स्टे हो गया।
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2018 में यूपी वक़्फ़ बोर्ड ने अपना दावा वापस ले लिया और ताजमहल प्राइवेट संपत्ति बनने से बाल-बाल बच गया। सरकार बदलने के साथ ही माहौल बदल चुका था।
देश में अजीब क़िस्सा चल रहा है।
ज़मीन भारत की। संगमरमर भारत का। सारे कारीगर भारत के। पसीना यहाँ के लोगों का गिरा। बनाने का खर्चा यहाँ के किसानों की लगान से आया।
पर जायदाद शाहजहाँ की हो गई? शाहजहाँ ने ज़मीन अपने नाम रजिस्ट्री थोड़ी न कराई थी।
वैसे तो देश का काफ़ी हिस्सा ही बादशाहों के क़ब्ज़े में था। अगर वे सारा देश वक़्फ़ के नाम कर देते तो?
दावा करने में किसी का कुछ जाता नहीं है। कल लाल क़िले पर दावा आ जाएगा। कांग्रेस ने क़ानून वक़्फ़ बोर्ड के पक्ष में बना दिया है। अनलिमिटेड पावर दे दिया गया है।
भारत की राष्ट्रीय महत्व की ऐतिहासिक इमारतें प्राइवेट नहीं, भारतीय जनता की संपत्ति हैं।
ताजमहल 18 नवम्बर, 1920 के सरकारी आदेश से सरकार की संपत्ति है। भारत सरकार ने ये जायदाद ब्रिटिश सरकार से ली है।
वीडियो शीर्षक- बहुत बड़ा खुलासा
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