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मुस्लिम विद्वान् खून को हराम बताने के पीछे अनेकों कुतर्क करते हैं ,लेकिन असली कारण तौरेत यानि बाइबिल में मिलता है ,खून खुदा को सबसे अधिक पसंद है .कुरान और बाइबिल के कथन देखिये
“क्योंकि हरेक देहधारी के प्राण उसके खून में रहते हैं ,और इसलिए मैंने लोगों से वेदी पर खून चढाने को कहा है .इसलिए कोई भी व्यक्ति खून नहीं खाए .
बाईबिल लेवी -17 -11 -13
“याजक पशु का खून वेदी के पास रखदे ” बाइबिल लेवी -4 : 30
क्योंकि बलि का खून तो खुदा का भोजन है .इसलिए तुम खून नहीं खाना ”
बाइबिल लेवी -3 :17
“मूसा से खुदा ने कहा ,की तुम पर मुरदार ,खून ,और सूअर और जिसपर अलह के सिवा किसी का नाम लिया गया हो ,सब हराम”
सूरा -बकरा 2 :173 और सूरा-मायदा 5 :3
“तुम मांस को प्राणों के साथ यानि खून के साथ नहीं खाना
बाइबिल उत्पति 9 :4 -5
6-खुदा मांस खाकर ऊब गया
जब कई बरसों तक खुदा जानवरों का कच्चा मांस खा कर ,और खून पी चुका तो वह अघा गया ,और उसे इन चीजों से अरुचि होने लगी थी , जो बाइबिल में इन शब्दों में वर्णित है
खुदा ने कहा अब जानवरों की कुर्बानियां मेरे किसी काम की नहीं हैं ,मैं मेढ़ों और जानवरों के खून से अघा गया हूँ .अब में बछड़ों भेड़ के बच्चों और बकरों के खून से प्रसन्न नहीं होता ”
बाइबिल .यशायाह 1 :11 -12
नोट -इन प्रमाणों से सिद्ध हो जाता है कि खून अल्लाह की प्रिय खुराक है , और जैसे कोई मांसाहारी जानवर अपनी खुराक किसी दूसरे को नहीं खाने देता उसी तरह अल्लाह ने खून को हराम कर दिया है , यही कारण है कि यहूदी और मुस्लिम खून नहीं खाते ,इसीलिए मुसलमान कुर्बानी करने के लिए जानवर की मुख्य धमनी काट कर छोड़ देते हैं , जिस से जानवर का सारा खून बह जाता है जिसे अल्लाह पी जाता है ,
तब खुदा ने सोचा कि नमक से मांस में स्वाद आयेगा ,तो उसने कहा ,
“खुदा ने कहा ,तू क़ुरबानी की बलियों को नमकीन बनाना ,और बलि को बिना नमक नहीं रहने देना ,इसलिए चढ़ावे में नमक भी रख देना ”
बाइबिल लेवी 2 :13
और जब जानवरों के नमकीन मांस खाकर और उनका खून पीकर अल्लाह का दिल भर गया तो वह मनुष्यों की क़ुरबानी मांगने लगा
7-लड़कों की कुर्बानी
जब खुदा को जानवरों कि कुर्बानियों से संतोष नहीं हुआ ,तो वह इसानों के लडके लड़कियों कि क़ुरबानी लेने लगा .इब्राहीम और इसहाक ( इस्माइल ) की कथा तो लोग जानते हैं ,लेकिन खुदा ने लड़की की क़ुरबानी भी ले ली थी .देखिये .
“खुदा ने इब्राहिम से कहा तू मेरे द्वारा बताई गयी जगह मोरिया पर जा ,और अपने प्रिय बेटे इसहाक की मेरे लिए होम बलि चढ़ा दे “Genesis 22:1-18
फिर इब्राहीम ने लडके को माथे के बल लिटा दिया ,तब हमने उसकी जन बचाने के लिए एक विशेष तरकीब पेश कर दी ”
सूरा -अस साफ्फात 37 :103 से 107
8-लड़कियों की कुर्बानी
बाद में खुदा लड़कियों की कुर्बानियां भी लेने लगा ,यानि मनुष्यभक्षी बन गया .जो बाइबिल से सिद्ध होता है .
“यिप्ताह के कोई पुत्र नहीं था,उसने मन्नत मांगी कि यदि वह युद्ध से कुशल आ जायेगा तो अपनी संतान कि क़ुरबानी कर देगा ,एक ही पुत्री मिज्पाह थी थी . उसने पुत्री की कुर्बानी कर दी .-Judges 11:29-40
विश्व के अनेकों लोग मांसाहार करते हैं ,और उसके पक्ष में तरह तरह के तर्क भी देते हैं .और कुछ ऐसे भी धर्म हैं , जिनमे पशुबलि और नरबलि की कुरीति पाई जाती है.जिसको वह लोग अपने धर्मग्रंथ की किसी कथा से जोड़कर ,रिवाज और आवश्यक धार्मिक कार्य मानते हैं .इस्लाम की ऐसी ही परंपरा क़ुरबानी की है , पैगम्बर इब्राहीम द्वारा अपने पुत्र की क़ुरबानी से सम्बंधित है . ,और इसकी कथा , बाइबिल ,और कुरान में मौजूद है . यद्यपि इब्राहीम द्वारा बाइबिल में इसहाक की क़ुरबानी , और कुरान में इस्माइल की क़ुरबानी बताई गई है .अब सवाल यह उठता है कि एक विवादग्रस्त किंवदंती के आधार हर साल करोड़ों निरीह मूक प्राणियों की क्रूर हत्या को एक धार्मिक कार्य मानना कहाँ तक उचित मानना चाहए .जबकि उसी इब्राहीम के अनुयायी यहूदियों और ईसाईयों ने क़ुरबानी को धार्मिक रूप नहीं दिया है .क्या कारण है कि दयालु , और कृपालु ईश्वर , खुदा ,God या अल्लाह अचानक इतना हिंसक और रक्तपिपासु कैसे बन गया कि वह जानवरों के साथ मनुष्यों की कुर्बानियां भी लेकर खुश होने लगा .
जो खुदा लोगों के सत्कर्मों से नाराज ,और पशुबलि (कुर्बानी ) से प्रसन्न होता है ,वह ईश्वर नहीं हो सकता .इसलिए यदि हम कहें कि अल्लाह रहमान और रहीम बल्कि “मानव मांस भक्षी और रक्त पिपासु है ,तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं होगी ”
(200/25)
बृजनंदन शर्मा