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इसलाम और शाकाहार

गधा और लकड़बग्घा खाने वाले रसूल !!

जानवर चाहे शाकाहारी हों या मांसाहारी सबका स्वभाव और आदतें अलग होती हैं जो अनोखी होती हैं ,अगर किसी व्यक्ति में ऐसे जानवर के गुण या वैसा स्वभाव पाया जाता है तो लोग उसकी तुलना उसी जानवर से करने लगते हैं , जैसे गधा एक निरापद , अहिंसक और भोला जानवर होता है . इसलिए हरेक भाषा में मुर्ख को गधा कहा जाता है , गधे बारे में कई कहावतें और मुहावरे प्रचलित है . जैसे “अपने मतलब के लिए गधे को बाप बना लेना , ” लकिन मुहम्मद साहब अपने स्वार्थ के लिए गधे को खा लेते थे .
ऐसा ही एक जानवर लकड़बग्घा है . मुहम्मद साहब और उनके साथी उसे भी हड़प कर लेते थे . यही नहीं मुहम्मद साहब गिरगिट की तरह रंग भी बदलते रहते थे , पहले तो वह जिस जानवर को खाना हराम बताते रहते थे फिर कुछ समय बाद उसी को खाने के बाद हलाल घोषित कर देते थे . इस लेख में इसी बात का सप्रमाण खुलासा किया जा रहा है ,
लेख का पहला भाग गधे (donkey ) जिसे अरबी में ” हिमार – حمار ” कहते हैं , उसका गोश्त खाने के बारे में है ,इस भाग की सभी हदीसें खैबर की लड़ाई से सम्बंधित है ,

1-खैबर की लड़ाई
खैबर की लड़ाई को अरबी में ” गजवये खैबर – غزوة خيبر ” यानी Battle of Khaybar कहा जाता है , यह लड़ाई सन 629 में मुसलमानों और यहूदियों के बीच मदीना से 150 कि . मी . दूर खैबर नामके एक नखलिस्तान ( Oasis ) में हुई थी . इसीदौरान मुहम्मद साहब ने गधे का गोश्त खाया था , और उसे सदा के लिए जायज ठहरा दिया था , यह सभी हदीसें उसी प्रष्ठभूमि में कही गयी हैं ,

लेख का दूसरा भाग लकड़बग्घा के बारे में है जिसका विवरण इस प्रकार है ,
2-लकड़बग्घा-यह एक लोमड़ी , भेड़िया , और कुत्ते की प्रजाति का जानवर है , जोसर्वभक्षी है . यहाँ तक मरे हुए जानवरो की हड्डिया भी हजम कर जाता है . इसलिए इसके शरीर से अजीब सी दुर्गन्ध निकलती रहती है . अरबी में ” जबअ –ضبع- ” कहते हैं , जिसका बहुवचन “अल जबयात – الضبعيات ” है . अंगेरजी में इसे Hyena और फ़ारसी में ” कफ्तार – کفتار ”
कहते है . बदबू के कारण लोग इसे नही खाते , लकिन मुहम्मद साहब और उनके साथी इसका शिकार करके शौक से खाया करते थे , यही नहीं मुहम्मद साहब की पत्नी इसके खाने को जायज मान कर खुद खाती थी , जो इन हदीसों और इस्लाम की किताबों से सिद्ध होता है ,

1-गधा नही घोड़ा खाओ
“जबीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि खैबर की लड़ाई के समय रसूल ने कहा था किई गधे का गोश्त खाना हराम है , तुम घोड़े का गोश्त खा सकते हो ”
The Prophet prohibited the eating of donkey’s meat on the day of the battle of Khaibar, and allowed the eating of horse flesh.

، عَنْ جَابِرِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ، قَالَ نَهَى النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم يَوْمَ خَيْبَرَ عَنْ لُحُومِ الْحُمُرِ، وَرَخَّصَ فِي لُحُومِ الْخَيْلِ‏.‏

सही बुखारी – जिल्द 7 किताब 67 हदीस 433

2-गधा नही घोड़ा खाओ
“जबीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि खैबर की लड़ाई के समय रसूल ने कहा था किई गधे का गोश्त खाना गैर कानूनी है इसलिए तुम घोड़े का गोश्त खाया करो ”
“Allah’s Messenger made donkey’s meat unlawful and allowed the eating of horse flesh ”

، عَنْ جَابِرِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ ـ رضى الله عنهم ـ قَالَ نَهَى النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم يَوْمَ خَيْبَرَ عَنْ لُحُومِ الْحُمُرِ، وَرَخَّصَ فِي لُحُومِ الْخَيْلِ‏.‏

सही बुखारी – जिल्द 7 किताब 67 हदीस 429

3-गधा मार कर खाया
“अब्दुल्लाह बिन अबू कतदा ने कहा कि खैबर के समय हम लोग इहराम की हालत में , और दुश्मन छुपे हुए थे तभी हमारी नजर एक गधे पर पड़ी हमने उसे भाले से मार दिया और काट कर उसका गोश्त पका कर रसूल के साथ मिल कर खा लिया ”
” we saw a ass. and attacked It with a spear and we ate its meat.”

حَدَّثَنِي عَبْدُ اللَّهِ بْنُ أَبِي قَتَادَةَ، قَالَ انْطَلَقَ أَبِي مَعَ رَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم عَامَ الْحُدَيْبِيَةِ فَأَحْرَمَ أَصْحَابُهُ وَلَمْ يُحْرِمْ وَحُدِّثَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم أَنَّ عَدُوًّا بِغَيْقَةَ فَانْطَلَقَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم – قَالَ – فَبَيْنَمَا أَنَا مَعَ أَصْحَابِهِ يَضْحَكُ بَعْضُهُمْ إِلَى بَعْضٍ إِذْ نَظَرْتُ فَإِذَا أَنَا بِحِمَارِ وَحْشٍ فَحَمَلْتُ عَلَيْهِ فَطَعَنْتُهُ فَأَثْبَتُّهُ فَاسْتَعَنْتُهُمْ فَأَبَوْ

सही मुस्लिम – किताब 7 हदीस 2710

4-गधे के साथ घोड़ा भी खाया
“अबू जुबैर और जबीर बिन अब्दुल्लाह ने बताया कि खैबर में हमने गधे के साथ घोड़े का गोश्त भी खाया था ”

“At the time of Khaibar we ate horses and donkeys.”

، حَدَّثَنَا ابْنُ جُرَيْجٍ، أَخْبَرَنِي أَبُو الزُّبَيْرِ، أَنَّهُ سَمِعَ جَابِرَ بْنَ عَبْدِ اللَّهِ، يَقُولُ أَكَلْنَا زَمَنَ خَيْبَرَ الْخَيْلَ وَحُمُرَ الْوَحْشِ ‏.‏

सुन्नन इब्ने माजा – किताब 27 हदीस 3312

5-गधे के गोश्त पर अस्थायी पाबंदी
“इब्ने अब्बास ने कहा कि रसूल ने अस्थायी ( temporarily) रूप से गधे का गोश्त खाने से मना किया था . क्योंकि उस समय लोग गधों पर सामान ले जाने का काम लेते थे ”
” Prophet forbade the eating of donkey-meat temporarily because they were means of transportation ”

، عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ ـ رضى الله عنهما ـ قَالَ لاَ أَدْرِي أَنَهَى عَنْهُ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم مِنْ أَجْلِ أَنَّهُ كَانَ حَمُولَةَ النَّاسِ، فَكَرِهَ أَنْ تَذْهَبَ حَمُولَتُهُمْ، أَوْ حَرَّمَهُ فِي يَوْمِ خَيْبَرَ، لَحْمَ الْحُمُرِ الأَهْلِيَّةِ‏.‏

सुन्नन इब्ने माजा -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 536

6-रसूल ने सबको गधा खिलाया
और जब पाबंदी हट गयी तो रसूल खुद गधा खाने लगे और साथियों को भी खिलाने लगे , यह इस हदीस से पता चलता है ,
“तल्हा बिन अब्दुल्लाह ने बताया कि रसूल ने गधे का गोश्त पकाया , और हम लोगों में वितरित करके सब के साथ खाया ”
“Prophet gave us some donkey meat, and told him to distribute it among his Companions ”

، عَنْ عِيسَى بْنِ طَلْحَةَ، عَنْ طَلْحَةَ بْنِ عُبَيْدِ اللَّهِ، أَنَّ النَّبِيَّ ـ صلى الله عليه وسلم ـ أَعْطَاهُ حِمَارَ وَحْشٍ وَأَمَرَهُ أَنْ يُفَرِّقَهُ فِي الرِّفَاقِ وَهُمْ مُحْرِمُونَ ‏.‏

सुन्नन इब्ने माजा – किताब 25 हदीस 3211

7-घी और पनीर के साथ गधा
“सलमान फ़ारसी ने बताया कि रसूल ने घी और पनीर के साथ गधा खाया , और कहा इसका खाना हलाल है ,क्योंकि केवल वही जानवर हराम हैं , जिनके नाम अल्लाह की किताब में दिए गए हैं , और गधे के बारे में अल्लाह की किताब में कुछ नहीं कहा है , इसलिए इसका खाना माफ़ है ”
“Messenger of Allah was asked about ghee, cheese and donkeys. He said: ‘What is lawful is that which Allah has permitted, in His Book and what is unlawful is that which Allah has forbidden in His Book. What He remained silent about is what is pardoned.’”

، عَنْ سَلْمَانَ الْفَارِسِيِّ، قَالَ سُئِلَ رَسُولُ اللَّهِ ـ صلى الله عليه وسلم ـ عَنِ السَّمْنِ وَالْجُبْنِ وَالْفِرَاءِ قَالَ ‏ “‏ الْحَلاَلُ مَا أَحَلَّ اللَّهُ فِي كِتَابِهِ وَالْحَرَامُ مَا حَرَّمَ اللَّهُ فِي كِتَابِهِ وَمَا سَكَتَ عَنْهُ فَهُوَ مِمَّا عَفَا عَنْهُ ‏”‏ ‏.‏

सुन्नन इब्ने माजा – किताब 29 हदीस 3492
जब गधा खाने के बाद भी रसूल और उनके साथियों का दिल भर गया तो , वह लकड़बग्घा भी खाने लगे , और रसूल ने जिस कुतर्क के सहारे गधा खाने को हलाल बता दिया था ,उसी कुतर्क के सहारे लकड़बग्घा खाने को जायज सिद्ध कर दिया , इसके बारे में दो हदीसें मौजूद है ,

8-लकड़बग्घा भी खाया
“इब्ने अबी अम्मार ने कहा कि जब जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने मुझ से लकड़बग्घा खाने को कहा ,तो मैंने उस से पूछ कि क्या यह हलाल है ? उसने कहा हाँ ,फिर मैंने पूछा कि क्या तुमने यह बात रसूल से सुनी है ? तो वह बोला हाँ .

“I asked Jabir bin Abdulla about hyenas, and he told me to eat them. I said: “Is it lawfull ? He said: ‘Yes’ I said: ‘Did you hear that from the Messenger of Allah?’ He said: ‘Yes.'” (Sahih)

، عَنِ ابْنِ أَبِي عَمَّارٍ، قَالَ سَأَلْتُ جَابِرَ بْنَ عَبْدِ اللَّهِ عَنِ الضَّبُعِ، فَأَمَرَنِي بِأَكْلِهَا ‏.‏ قُلْتُ أَصَيْدٌ هِيَ قَالَ نَعَمْ ‏.‏ قُلْتُ أَسَمِعْتَهُ مِنْ رَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم قَالَ نَعَمْ ‏.‏

सुन्नन अन नसाई – जिल्द 3 किताब 24 हदीस2839

9-लकड़ बग्घा का शिकार
“इब्ने अबी अम्मार ने कहा कि जब जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने मुझ से लकड़बग्घा खाने को कहा ,तो मैंने उस से पूछ कि क्या यह शिकार करने योग्य जानवर है ? उसने कहा हाँ ,फिर मैंने पूछा कि क्या तुमने यह बात रसूल से सुनी है ? तो वह बोला हाँ . “I asked Jabir bin ‘Abdullah about hyenas and he told me to eat them. I said: ‘Are they game that can be hunted)? He said: ‘Yes,’ I said: ‘Did you hear that form the Messenger of Allah He said: ‘Yes,” (Sahih)

، عَنِ ابْنِ أَبِي عَمَّارٍ، قَالَ سَأَلْتُ جَابِرَ بْنَ عَبْدِ اللَّهِ عَنِ الضَّبُعِ، فَأَمَرَنِي بِأَكْلِهَا فَقُلْتُ أَصَيْدٌ هِيَ قَالَ نَعَمْ ‏.‏ قُلْتُ أَسَمِعْتَهُ مِنْ رَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم قَالَ نَعَمْ ‏.‏

सुन्नन अन नसाई – जिल्द 5 किताब 42 हदीस 4328

10-आयशा ने लकड़बग्घा खाया
अभी तक तो हदीसों से साबित हो गया कि रसूल और उनके साथी लकड़बग्घा खाया करते थे , लेकिन मलिकी फिरके के सुन्नी इमाम “अबू अल वलीद मुहम्मद बिन अहमद बिन रशद – أبو الوليد محمد بن احمد بن رشد‎” ने अपनी इतिहासिक किताब( textbook of Maliki doctrine in a comparative framework) “बिदायतुल मुजतहिद वल निहायतुल मुक्तहिद – بداية المجتهد و نهاية المقتصد” में इस रहस्य का भंडा फोड़ दिया कि , मुहम्मद साहब की पत्नी आयशा न केवल लकड़बग्घा खाने को हलाल बताती थी , बल्कि खुद भी खाया करती थी ,इमाम बताते हैं कि ,भले आजकल के अधिकाँश विद्वान गधे और लकड़बग्घे को खाना हराम कहते हैं ,सिवाय इब्ने अब्बास और आयशा के , क्योंकि यह दौनों इन्हें खाने को हराम नही मानते थे ,
“The majority of scholars deem the meat of donkey and hyena to be Haram ,except ibn Abbas and Ayesha as it has narrated that both of them deemed it Halal ”

فإن جمهور العلماء على تحريم لحوم الحمر الإنسية الا ما روي عن ابن عباس وعائشة انهما كانا يبيحانهما وعن مالك انه كان يكرهها

“”इब्ने अब्बास और आयशा ने कहा वह ( गधा और लकड़बग्घा ) हराम बिलकुल नही हैं ”

Ibn Abbas and aisha said that it’s not Haram ”

” قال ابن عباس وعائشة أنه ليس من الحرم. ”

Bidayat al-Mujtahid by Ibn Rushd, Volume 1 page 387:

सब जानत हैं कि जैसे गधा अपनी मूर्खता और अड़ियल स्वभाव के लिए बदनाम है , उसी तरह लकड़ बग्घा अपनी मक्कारी और धोखे से हमला करने के लिए कुख्यात है , तो बताइए जो रसूल , उसके सहाबा और पत्नी इन जानवरों को खाया करते हों उनका स्वभाव कैसा रहा होगा ?और जो लोग इनको अपना आदर्श मानते हों उनको क्या कहना चाहिए ?

(200/161)

बृजनंदन शर्मा

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