मुसलमानों ने काबा को पेशाबघर बना दिया था !
हमारा उद्देश्य किसी की आस्था पर प्रहार करना नहीं ,लेकिन हमें विश्वास है कि यह शीर्षक पढ़ते ही ओवैसी जैसी सोच रखने वाले जरूर बौखला जायेंगे , क्योंकि इस लेख में दिए गए तथ्य सौ प्रतिशत सत्य हैं ,इसलिए आप इस लेख को ध्यान से पूरा पढ़िए .
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कुछ समय पहले जब एक टी वी चैनल पर राममंदिर के बारे में बहस हो रही तो , मौलाना अब्दुल रहमान आबिदी ने कहा था कि अल्लाह ने ही राम को पैदा किया था ,क्योंकि अल्लाह सबसे बड़ा और सर्वशक्तिमान है , लेकिन सब जानते हैं कि मुसलमानों की तरह मुहम्मद साहब ने अपने कल्पित अल्लाह को सबसे बड़ा साबित करने के लिए सभी धर्म स्थलों को ध्वस्त कर दिया और करोड़ों निर्दोष लोगों की हत्या की है , यद्यपि इस्लाम के अनुसार अल्लाह को निराकार माना जाता है , परन्तु काबा को उसका घर या निवास भी माना जाता है .इसलिए जरुरी हो गया था कि लोगों के सामने अल्लाह की असली औकात बता दी जाये कि अल्लाह सर्वशक्तिमान है या कायर और भगोड़ा है ? इस बात को साबित करने के लिए मक्का के इतिहास की दो घटनाये दे रहे हैं ,एक इस्लाम से पहले की है , और दूसरी तब की है जब पुरे अरब में इस्लाम फ़ैल चूका था ,
1– काबा एक देवालय था
इस्लाम से पहले अरब के लोग कई देवताओं और देवियों की उपासना करते थे चूँकि मक्का यमन और सीरिया बीच व्यापर मार्ग पर स्थित था और इसी मार्ग से काफिले गुजरते थे इसलिए मुहम्मद के पुरखे व्यापारियों से मंदिर यानि काबा के लिए दान लिया करते थे मुहम्मद के दादा काबा के मुख्य पुजारी थे , अरब में कई कबीले थे हरेक का अपना अपना देवता या देवी थे जिन्हे एक साथ काबा में रखा गया था कुछ के नाम इस प्रकार हैं
नस्र ,वद्द ,यऊस ,यऊक ,सुआक और हुब्ल और कुछ देवियां भी थीं , जैसे लात , मनात ,मनाफ़ और उज्जा इत्यादि , मुहम्मद का कबीला कुरैश था इनका देवता इलाह था जिसका चिन्ह चन्द्रमा था , बाद में जब मुहम्मद ने इस्लाम चलाया तो इसी इलाह को अल्लाह बना दिया यानि आज का अल्लाह उस समय इलाह था
2-अल्लाह पर पहला हमला
जिस साल मुहम्मद का जन्म हुआ था यानी सन 570 ईसवी में इथोपिया के राजा “अबरह अशरम – أبرهة الأشرم ” ने मक्का पर आक्रमण कर दिया था , इस्लामी इतिहासकारों के अनुसार राजा अपने साथ हाथिओं की सेना लाया था , और काबा को गिरा कर उसको नष्ट कर दिया था , इसलिए इस्लामी इतिहास में इस घटना को “आमुल फील – عام الفيل ” ( Year of the Elephant ) कहा जाता है , अबरह अक्सुम साम्राज्य का राजा था जिसे आज यमन कहा जाता है ,अबरह काबा को नष्ट और बर्बाद करके यमन लौट गया था , चूँकि उसी साल मुहम्मद पैदा हुआ था इसलिए मुहामद के दादा मुहम्मद को अशुभ मानते थे और बाद में जब मुहमद ने इस्लाम चलाया तो मुहम्मद का एक चाचा मुस्लमान नहीं बना , ऊपर से जब मुहम्मद माँ के पेट में थे उनका बाप भी मर गया , लेकिन जब मुहमद ने इस्लाम बनाया तो अपने कल्पित अल्लाह को बड़ा साबित करने के लिए एक कहानी बना दी और उसे कुरान में शामिल कर दिया
यह घटना कुरान की सूरा फील 105 में भी दी गयी है , कुरान कहा गया है कि
अल्लाह ने इस राजा की हाथी सेना को नष्ट करने के लिए आसमान से “अबाबील – أبابيل ” नामकी चिड़ियों के झुण्ड भेज दिये थे , जिन्होंने अपनी चौंच से आग की तरह गर्म पत्थर की वर्षा कर उस हाथी सेना कर मार कर नष्ट कर दिया था .लेकिन यह बात केवल दन्त कथा है राजा मक्का को बर्बाद करके खुद लौट गया था और अपनी मौत मारा था
3-अल्लाह पर दूसरा हमला
मुहम्मद साहब ने जितने मुसलमान बनाये वह लूट के माल के लालच में , पकड़ी गयी औरतों के लिए , या जन्नत की हूरों के लोभ में बने थे लेकिन जब मुहम्मद का देहांत हो गया तो इन मुसलमानों में कई फिरके बन गए और एक दूसरे के दुश्मन हो गए ,
ऐसे ही फिरके का नाम “इस्लामिया – الإسماعيلية ” है ,यह शिया मुस्लिम हैं जो सात इमामों को मानते है ,यह लोग पूर्वी अरब के ” किरामत – قرامطة ” प्रान्त में फैले हुए थे , जिसे आज” बहरीन – ٱلْبَحْرَيْن) ” भी कहा जाता है ,यह सन 930 ई ० की बात है ,इस्माइलियों के लीडर “अबू ताहिर सुलेमान अल जन्नाबी – ابو طاهر سلیمان الجنّابي ” ने 700 घुड़सवारों की सेना लेकर मक्का के बैतूल हराम यानि काबा पर हमला कर दिया और काबा के आसपास जितने भी हाजी ,नमाजी मिले सबको क़त्ल कर दिया , और उनकी लाशों से जमजम का कुंड भर दिया ,और फिर पुरे मक्का शहर में कत्लेआम मचा कर हजारों को मौत के घाट उतार दिया ,
,फिर इसके बाद जो लोग बचे उनके सामने यह कविता सुनाई ,
” أنا بالله، وبالله أنا يخلق الخلق، وأفنيهم أنا
“युख्लिक़ अल खल्क व् अफ ति हुम् अना -अना बिल्लाह व् बिल्लाह अना ”
मैं ही अल्लाह हूँ ,मुझ में ही अल्लाह है जो सृजन करता है और विनाश भी करता है ”
“I am by God, and by God I am … he creates creation, and I destroy them”.
फिर मौजूद लोगों से पूछा तुम्हारा महान अल्लाह कहाँ है ?और चिड़ियों (अबाबील ) से और आग की वर्षा करके काबा को बचाने वाला अल्लाह कहाँ है ?तुम्हारा महान अल्लाह मैं ही हूँ ..
“اين هو الهك أنا إلهك العظيم. أين طيور الله (طير العبابيل) التي تحمي الكعبة؟ اين حجارة النار
“ऐन हुव इलाहुक ?अना इलाहुक अल अजीम ऐन तूयूर अल्लाह अल्लती तहमी अल काबा ?ऐन हिजरातून अन्नार ?
Where is your God? I am your great God. Where are the birds of God (Tayr al ababeel) that protect the kaaba? where are the stones of fire
और जब किसी ने कोई जवाब नहीं दिया तो जन्नाबी ने काबा का पर्दा उतार कर उसमे आग लगा दी ,
(इस से साबित हो गया की कुरान की सूरा फील 105 में दी गयी कहानी झूठी है जो मुहम्मद के दिमाग की उपज थी )
फिर अपने लोगों को काबा के अंदर पेशाब करने को कहा , और मुसलमान जिस हज्रे अस्वद (काला पत्थर ” को चूमते थे उसे उखड़वा कर यमन भिजवा दिया ,जन्नाबी का शासन मक्का में 21 साल रहा इस दौरान उसके लोग रोज काबा में नियमित रूप से पेशाब करते रहे इसलिए न तो कोई हज कर सका और न काबा में अजान और नमाज हो सकी, और कला पत्थर भी चालीस साल बाद मिला था .
इन तथ्यों से दो बातें स्पष्ट रूप से सिद्ध होती हैं ,
1- अल्लाह न इस्लाम से पहले सर्वशक्तिमान था , और न इस्लाम के बाद , अल्लाह मुहमद द्वारा कल्पित चरित्र है , जो खुद भी नहीं बचा सका , वह मुसलमानों को कैसे बचा सकेगा ? इसलिए अल्लाह के साथ “अकबर ” (यानी महान )लगाना मूर्खता के सिवा कुछ नहीं है
2-कुरान कोई आसमानी किताब नहीं बल्कि मुहम्मद की रचना है , क्योंकि मुहम्मद झूठी कहानियों को कुरान में शामिल करके लोगों अपने द्वारा कल्पित अल्लाह से लोगों को डरा डरा कर मुस्लमान बनाया करते थे ,
लेकिन यह एक निर्विवाद सत्य है कि कोई कितना ही पाखंड करे एक न एक दिन उसका भंडा जरूर फूट जाता है
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बृजनंदन शर्मा