ऐसा सवाल उठाने के पीछे हमारा उद्देश्य किसी की मान्यता और आस्था को ठेस पंहुचना नहीं है , बल्कि बुखारी में दिए गए अबू बकर के उस बयान की सत्यता को परखना है , जिसमे उन्होंने अल्लाह की कसम खाकर फातिमा से कहा था
“,न तो तुम रसूल की संपत्ति की वारिस हो और न तुम रसूल की पुत्री हो ”
इसलिए इस बात की सत्यता का पता करने के लिए इतिहास और विज्ञानं के आधार पर तथ्य दिए जा रहे हैं ,ताकि पाठक स्वयं निर्णय कर सकें
कुछ समय पहले एक ऐसी खबर प्रचारित की गयी थी कि आज भी मुहम्मद साहब के वंशज मौजूद हैं ,लेकिन जब लोगों ने इस बात का खंडन किया और कहा की जब इतनी पत्निया होने पर भी मुहम्मद का कोई पुत्र नहीं हुआ था इनके वंशज कहाँ से आ गए ? तब मुस्लिम विद्वानों ने यह तर्क दिया कि इस्लाम में पुत्री की संतानों को भी वंशज माना जाता है ,इस प्रकार आज जो मुहम्मद के वंशज हैं वह मुहम्मद और उनकी पहली पत्नी से जन्मी फातिमा की संतान के वंशज है , जिनको सय्यद कहा जाता है ,
हमारे कुछ जागरूक पाठकों ने इस विषय में प्रामाणिक जानकारी मांगी है , इसलिए उनकी इच्छा का आदर करते हुए कई किताबों से तथ्य इकट्ठे करके यह शोध परक लेख दिया जा रहा है ,
मुहम्मद का जन्म 22 अप्रेल 570 ईसवी में मक्का के शहर में हुआ था , अरब के उस भाग को हिजाज कहा जाता है ,मुहम्मद के बारे में सभी जानते हैं , लेकिन यहाँ उनकी पहली पत्नी खदीजा के बारे में वह जानकारियां दी जा रही हैं जो अधिकांश लोग नहीं जानते .कि मुहम्मद खदीजा के तीसरे पति थे
1-खदीजा का परिचय
मुहम्मद की सबसे पहिली पत्नी ” खदीजा बिन्त ख़ुवैलद – : خديجة بنت خويلد ” का जन्म मका में सन 555 ई ० में हुआ था , इसके पिता का नाम “ख़ुवैलद बिन असद – خويلد بن أسد ” था .ख़ुवैलद मक्का का एक सफल व्यापारी था उसने व्यापर में इतना धन अर्जित किया था कि उसे अरब का सबसे बड़ा धनाढ्य व्यक्ति माना जाता था ,मुहम्मद के चाचा अबू तालिब भी , अपने ऊँटों से ख़ुवैलद का माल सीरिया और यमन तक लेजाया करते थे , मुहम्मद भी कई बार काफ़िले के साथ जा चुके थे , और दौनों परिवारों में परिचय था .
2-खदीजा की पहली शादी
जब खदीजा करीब 14 साल की हुई तो सन 569 ई ० खुवालिद ने खदीजा की शादी एक धनवान व्यापारी “अतीक बिन आबिद बिन अब्दुलाह बिन मख्जूम عتيق بن عابد بن عبد الله بن مخزوم، – ” कर दी .उस समय मुहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था ‘खदीजा के पहले पति अतीक से जो 3 बच्चे पैदा हुए इनमे एक पुत्र और दो पुत्रियां थीं
उनके नाम इस प्रकार हैं ,
1- अब्द इलाह इब्न अतीक -عبد الله ابن عتيق – पुत्र -बचपन में मर गया
.2-जायरा बिन्त अतीक – زائره بنت عتيك -पुत्री
3-हिंदा बिन्त अतीक -هند بنت عتيق-पुत्री
ख़ुवैलद की तरह अतीक ने भी व्यापार में बहुत धन कमाया , लेकिन कुरैश और दूसरे कबीले के साथ लड़ाई में अतीक की हत्या हो गयी , और बच्चों की जिम्मेदारी खदीजा पर आगयी , उस समय खदीजा की आयु 27 साल थी , इसलिए ख़ुवैलद ने खदीजा की फिर से शादी करा दी
3-खदीजा की दूसरी शादी
ख़ुवैलद ने सन 582 ई ० में खदीजा की शादी “मलिक इब्न अल नबाश अल तैयमी -ملك ابن النباش التميمي ” से करा दी , यह भी एक व्यापारी था ,इस दूसरे पति से भी खदीजा की जो संतानें हुईं इनके नाम इस प्रकार हैं ,
1-तय्यब इब्न मालिक -طيّب ابن ملك-पुत्र
2-ताहिर इब्न मलिक -طاحر ابن ملك- पुत्र
3-हारिस इब्न मलिक -حارث ابن ملك- पुत्र
4-जैनब बिन्त मलिक -زينب بنت ملك-पुत्री
5-हिन्द बिन्त मलिक -هند بنت ملك-पुत्री
6-हालाह बिन्त मलिक -هاله تنت ملك- पुत्री
खदीजा के दूसरे पति ने भी खूब धन इकठ्ठा किया , लेकिन दुर्भाग्य अपनी 6 संतानें (3 पुत्र और 3 पुत्रियां ) छोड़ कर मर गया ,
और इसके कुछ महीने बाद ही एक युद्ध में खदीजा का पिता ख़ुवैलद भी सन 585 ई ० में मर गया ,
3-खदीजा की शादी मुहमद से कैसे हुई
जब खदीजा का पिता और दूसरा पति भी मर गए तो उसके ऊपर बच्चों और व्यापर सँभालने की जिम्मेदारी आन पड़ी ,इसके लिए किसी भरोसेमंद मर्द की जरुरत थी ,तब खदीजा ने अपनी सहेली “नफीसा ‘ के द्वारा यह समस्या अपने चचेरे भाई “वर्का बिन नौफल बिन असद बिन अब्दुल उज्जा बिन कुसैय अल कुर्शी – ورقه بن نوفل بن أسد بن عبد العزّى بن قصي القرشي ” को बताई जो उस समय मक्का का बिशप था और ईसाई था , और काफी बूढ़ा और बीमार था , वर्का मुहम्मद और उनके चाचा अबू तालिब को जनता था , वर्क को पता था कि इन दिनों मुहम्मद बेरोजगार है ,और फुर्सत के समय “अल किताब ” नामक किताब की बातें करता रहता है , इसलिए वर्क ने मुहम्मद के सामने खदीजा से शादी का प्रस्ताव रखा , पहले तो मुहम्मद इस प्रस्ताव से यह कहके मना किया कि “मेरे पास इतने बच्चों का खर्चा उठाने के लिए पैसा नहीं है , तब वर्का ने पूछा कि क्या अगर तुम्हें काफी धन दे दिया जाये तो तुम शादी कर लोगो ? इस पर मुहम्मद शादी के लिए राजी हो गया ,वर्का ने यह भी कहा कि अगर तुम खदीजा से शादी कर लोगे तो लोग तुम्हें वही नबी मानने लगेंगे जिसकी प्रतीक्षा की जा रही है “Waraqah said that Muhammad was the prophet of the people, who was already expected.”यह सुनते ही मुहम्मद तुरंत शादी के लिए तैयार हो गया ,तब सन 595 ई ० में मुहम्मद खदीजा का तीसरा पति बन गया , इस शादी को निकाह नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उस समय इस्लाम और कुरान कुछ भी नहीं थे , यह आपसी मौखिक स्वीकृति थी
4-खदीजा से मुहम्मद के 7 बच्चे ?
इस्लामी इतिहासकारों के अनुसार जब मुहम्मद और खदीजा का विवाह हुआ तो मुहम्मद की आयु 25 साल और खदीजा की आयु 40 साल थी , यानि वह मुहमद से 15 साल बड़ी थी ,क्योंकि खदीजा का जन्म सन 555 ई ० में और मुहम्मद का जन्म सन 570 ई ० माना गया है ,इनके जो बच्चे पैदा हुए उनके नाम जन्म वर्ष और उस खदीजा की आयु दी जा रही है ,
1-कासिम बिन मुहम्मद – सन 598-ख़दीजा की आयु -43वर्ष
2-जैनब बिन्त मुहम्मद -सन 599-ख़दीजा की आयु -44-वर्ष
3-रुकैय्या बिन्त मुहम्मद -सन 601-)-ख़दीजा की आयु -46-वर्ष
4-उम्म कुलसुम बिन्त मुहम्मद -सन 603-ख़दीजा की आयु -48-वर्ष
5-अब्दुल्लाह इब्न मुहम्मद -सन 615-ख़दीजा की आयु -60-वर्ष
6-फातिमा बिन्त मुहम्मद -सन 615-)-ख़दीजा की आयु -60-वर्ष
7-इब्राहीम बिन मुहम्मद -सन 630-ख़दीजा की आयु 75-वर्ष
https://en.wikipedia.org/wiki/Children_of_Muhammad
5-खदीजा -मुहम्मद की संतानों पर शकाएँ
मुहम्मद द्वारा खदीजा से पैदा किये बच्चों के बारे में तीन शंकाएं हैं ,
पहली शंका –
यदि आप खदीजा से पैदा किये गए बच्चों की जन्म तारीख पर गौर करें तो यही साबित होता है कि यह सभी बच्चे खदीजा की 43 साल की आयु हो जाने के बाद ही हुए थे , सब जानते हैं कि अरब एक गर्म देश है ,इसलिए वहां की लड़किया जल्दी रजस्वला हो जाती है , और अन्य के मुकाबले जल्दी ही उनकी “रजोनिवृत्ति (Menapouse ) हो जाती है , सामान्यता इसकी आयु 40 से 50 साल होती है , मेनापोज के बाद स्त्री के अंडाणु (Ovum )बनना बंद हो जाते है , यानि ऐसी स्त्री के बच्चे नहीं हो सकते , जबकि मुहम्मद की छठवीं संतान फातिमा के जन्म के समय खदीजा की आयु 60 साल बताई जाती है , ऐसा होना असंभव है ,
दूसरी शंका यह है कि हदीसों में कहा है मुहमद साहब में 400 मर्दों के बराबर सम्भोगशक्ति थी और वह एक बार में इतनी वीर्य निकाल देते हैं ,और इस्लामी किताबों के अनुसार मुहम्मद साहब ने जीवन भर में 40 औरतों से सहवास किया था , जिनमे उनकी पत्निया और रखैलों के आलावा ऐसी औरतें भी है जिनसे मुहम्मद ने सहवास किया था , लेकिन क्या कारन है कि इनमे एक में से भी कोई संतान नहीं हुई , ऐसा हो सकता है जब पुरुष “शुक्राणु हीनता ” (Azoospermia ) रोग से ग्रस्त हो , ऐसा व्यक्ति देखने में स्वस्थ दीखता है , आम व्यक्ति की तरह सहवास भी कर सकता है ,लेकिन उसके वीर्य में शुक्राणु (Sperms) बिलकुल नहीं होते , जो औरत को गर्भिणी कर सकें ‘
तीसरी शंका पहले खलीफा , रसूल के ससुर , आयशा के पिता अबू बकर से पैदा होती है जिनको सिद्दीक यानि सत्यवादी कहा जाता है , इन्होने फातिमा के बारे में कहा था जब फातिमा उनसे रसूल की सम्पति से अपना हिस्सा मांगने गयी थी अबूबकर ने कहा ,
“आयशा ने कहा की जब फातिमा अबू बकर के पास गयी तो उसने कहा यदि तुम ख़ुम्स रूपया नहीं दे सकते तो ” फदक” के लूट का धन मुझे दे दो , इस बात पर सभी सहबा , अंसार और मुहाजिर फातिमा का पक्ष लेने लगे .लेकिन अबू बकर ने मना कर दिया और कहा तुम रसूल की वारिस नहीं हो
. because he did not allow Fatima to inherit the legacy of the Prophet..
“لأنه لا يسمح فاطمة أن ترث تركة النبي .. ”
1. Sahih al Bukhari Volume 4, Book 53, Number 325, Book /of Khums
https://sunnah.com/bukhari/57
Sahih al-Bukhari 3092, 3093
In-book reference : Book 57, Hadith 2
USC-MSA web (English) referenceVol. 4, Book 53, Hadith 325
“आयशा ने कहा की जब फातिमा अबू बकर से फदक का पैसा मांगने लगी तो , अबू बकर ने कहा ” मैं उस अल्लाह की कसम खता हूँ जिसके हाथों में मेरी जान है , मैं सच बताता हूँ कि न तो तुम्हारा रसूल से कोई रिश्ता है और न तुम नबी की संतान हो ”
“كنت جيدة لا لعائلته لم تكن جيدة للنبي ”
https://sunnah.com/bukhari:4035
Reference : Sahih al-Bukhari 4035, 4036
In-book reference : Book 64, Hadith 83
USC-MSA web (English) reference: Vol. 5, Book 59, Hadith 368
، عَنْ عَائِشَةَ، أَنَّ فَاطِمَةَ ـ عَلَيْهَا السَّلاَمُ ـ وَالْعَبَّاسَ أَتَيَا أَبَا بَكْرٍ يَلْتَمِسَانِ مِيرَاثَهُمَا، أَرْضَهُ مِنْ فَدَكٍ، وَسَهْمَهُ مِنْ خَيْبَرَ.
فَقَالَ أَبُو بَكْرٍ سَمِعْتُ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم يَقُولُ “ لاَ نُورَثُ، مَا تَرَكْنَا صَدَقَةٌ، إِنَّمَا يَأْكُلُ آلُ مُحَمَّدٍ فِي هَذَا الْمَالِ ”. وَاللَّهِ لَقَرَابَةُ رَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم أَحَبُّ إِلَىَّ أَنْ أَصِلَ مِنْ قَرَابَتِي.
पाठक इस लेख में दिए गए प्रमाणों और तथ्यों पर गौर करके बताएं कि ,
अबूबकर ने फातिमा को रसूल का वारिस क्यों नहीं माना ?मुसलमान अबूबकर को पहला खलीफा और सिद्दीक अर्थात सत्यवादी कहते हैं अबूबकर ने फातिमा को मुहम्मद का वारिस इसलिए नहीं माना क्योंकि वह जानता था कि फातिमा का पिता मुहम्मद नहीं बल्किखदीजा का दूसरा पति मलिक इब्न अल नबाश अल तैयमी था मुहम्मद तो संतान पैदा करने में असमर्थ था
(421)
बृजनंदन शर्मा
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।