अल्लाह की किताबों पर हदीसें हावी

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वास्तव में मुसलमान क्या मानते हैं ,या किस किताब को प्रमाणिक मानते है ,इसके बारे में एक बंगलादेशी मुस्लिम विद्वान् “अबुल कासिम “ने यह कहा है कि”मुसलमान केवल यही बात मानते हैं कि ,वह कुछ नहीं मानते “,सिवाय अपने मतलब के “वह कुरान कि अहि आयतों और हदीसों को मानते हैं ,जो वक्त पर उनके अनुकूल होती है .क्योंकि कुरान और हदीसों में परस्पर विरोधी बातों की भरमार है .उसमे जोभी उनके फायदे की होती है ,उसी को सही बताते हैं .और लोगों को धोखा देते रहते हैं .यही निति मुहमद ने भी अपनाई थी .वह यहूदियों और ईसाइयों को अपने पक्ष में करने के लिए दिखावे के लिए कहता था कि हम लोग भी तुम्हारे उन सभी ग्रंथों को मानते हैं ,जो अल्लाह ने तुम्हारे नबियों को दिए थे .और सभी मुसलमान उनपर विश्वास रखते है .
लेकिन यह मुहमद कि कपट निति थी .वह अल्लाह कि किताबों कि आड में लोगोंपर अपनी बेतुकी ,जंगली और मानव विरोधी सुन्नत थोप देता था .जिसका आधार मुहमद के सम्बन्ध में सुनीसुनाई चुगलियाँ (हदीसें )थी .जो मुहम्मद के साथी इधर उधर फैलाते रहते थे .बाद में मुसलमानों ने तथाकथित अल्लाह की उन सारी किताबों लात मारकर हदीसों को सर्वोपरि बना दिया ,जिन किताबों का कुरान में वर्णन है .
देखिये मुहम्मद किन किताबों को मानने की बात करता था ,और कौन सी किताब थोप देता था .-
1 -मुसलमान किस पर ईमान रखें ?
“हे ईमानवालो ,ईमान रखो अल्लाह पर ,उसके रसूल पर ,उस किताब पर जो रसूल को दी गयी है ,और उन किताबों पर जो अल्लाह ने इस से पाहिले उतारी हैं ,और जिसने भी अल्लाह के फरिश्तों ,उसकी किताबों ,उसके रसूलों ,और अंतिम दिन से इंकार किया वह भटक कर दूर चला जायेगा “सूरा -अन निसा 4 :136 .
“हे ईमानवालो ,तुम तब तक सच्चाई पर नहीं माने जाओगे जब तक तुम तौरेत ,इंजील और अल्लाह की तरफ से उतारी गयी सभी किताबों को नहीं मानोगे ,और कायम नहीं करोगे .”सूरा-5 :68
2 -मुसलमान इन किताबों को भी माने
“क्या तुम्हें इसकी खबर नहीं है ,जो मूसा और इब्राहीम की सहिफो (किताबों )में लिखा है ”
सूरा -अन नज्म 53 :36
“बेशक यह किताब (कुरान )पाहिले की किताबों से ली गयी है ,और इब्राहिम और मूसा की किताबों से ली गयी है “सूरा अल आला 18 :89 .
“क्या काफ़िर तुम लोगों से अच्छे हैं ,जो उन बातों पर ईमान रखते हैं ,जो जबूर (Psalms )और अन्य पवित्र पत्रों (बाइबिल )के अन्दर लिखा हुआ है ”
सूरा -अल कमर 54 :43 और 52 .
“जिसे समझना है ,समझ ले कुछ ऐसे पत्र (पन्ने )हैं जो अत्यंत प्रतिष्ठित हैं ,और उच्च और सर्वथा पवित्र हैं ,और आज भी लोगों के हाथों में मौजूद हैं ,और निष्ठावान लोग उनको आदर दे पढ़ते हैं “सूरा -अबस 80 :12 -16 .
3 -कुरान की माँ को मानो
“अल्लाह जिसको चाहता है ,उसे कायम रखता है .और उसी के पास “उम्मुल किताब اُمُّ الكتاب )कुरआन की माँ मौजूद है “सूरा -रा अद 13 :39
“अल्लाह उसे (रसूल )को तौरेत ( توراة )और इंजील ( انجيل )का ज्ञान देगा ”
सूरा -आले इमरान 3 :48
4 -लोग पिछली किताबों से सबूत मांगते थे
“लोग अक्सर यह सवाल करते हैं कि,यह रसूल पिछली आसमानी किताबों से कोई हवाला प्रस्तुत क्यों नहीं कर पा रहा है .क्या इसके पास पिछली किताबों से कोई प्रमाण या दलील नहीं है .सूरा -ताहा 20 :133
इन बातों से साबित होता है कि ,मुहम्मद यहूदी और ईसाई किताबों से अपनी बात सही साबित करने में असफल हो गया था .क्योंकि उसकी सभी बातें इन किताबों के विपरीत थीं .मुहम्मद सिर्फ इन किताबों का नाम लेकर लोगों को गुमराह कर रहा था .और जब ईसाइयों और यहूदियों को मुहम्मद की चालाकी का पता चला तो उन्होंने मुहम्मद को रसूल मानने से इंकार कर दिया .
तब मुहम्मद ने फिर एक चाल चली .उसने इन सभी किताबों लात मारकर अपनी सुन्नत को इन किताबों से श्रेष्ठ बना दिया .और अपनी उलजलूल बातो को सुन्नत के नामपर अल्लाह की इन किताबो के स्थान पर हदीसों को अल्लाह की किताबों का दर्जा दे डाला .
5 -सुन्नतسُنّت क्या है ?
सुन्नत का अर्थ है रास्ता Path ,परम्परा Tradition ,रिवाज Custom ,या अनुसरण Imitation होता है .यानी मुहमद के कामों فعل actions ,उसके कथन قول Sayings ,को मानकर और उसकी नक़ल करके वैसे ही काम करना .सुन्नत का मुख्य आधार हदीसें हैं .मुहमद ने सुन्नत को अटल और अपरिवर्तनीय कहा है .-
“तुम कभी नहीं पाओगे कि,यह अल्लाह की रीति (सुन्नत )बदल दी गयी हो ,या टाल दी गयी हो “सूर -फातिर 35 :43 .
“यह तो अल्लाह की रीति (सुन्नत )है ,तुम इसमे कोई परिवर्तन नहीं कर पाओगे ”
सूरा -अहजाब 33 :62 .
“यह तो अल्लाह की बनायीं गयी रीति (सुन्नत )है .इसमे तुम कोई बदलाव नहीं पाओगे ”
सूरा-अल फतह 48 :23 .
इस तरह मुहम्मद के साथियों ने मुहम्मद के बारे में जो चुगलियाँ कानोंकान फैलाई थीं उनको हदीस के नाम से धर्मग्रंथ का दर्जा दे दिया .और बलपूर्वक लोगों पर लागू करने लगे .
इसी को मुसलमान शरियत شريعتभी कहते हैं .
सुन्नी मुसलमानों की प्रमुख 6 हदीसों की किताबें हैं ,जिन्हें किताबे सित्तः كُتُب سِِتّه कहा जाता है इनके नाम इस प्रकार हैं –
1 .सहीह बुखारी 2 .सहीह मुस्लिम 3 .सुन्नन अबू दाऊद 4 .तिरमिजी 5 .अन नसाई और 6 इब्ने माजा .
मुहम्मद सन 632 में मर गया था .उसकी मौत केबाद करीब 60 साल से लेकर 200 तक हदीसें एक दुसरे तक पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रहीं .फिर लोगों से सुनकर हदीसों को किताबों के रूप में जमा किया गया था .हदीसों के मुख्य विषय यह है –
6 -हदीसें क्या हैं ?
हदीस का अर्थ है ,कथानक Story ,बयान Narration ,खबर News या वचन Sayings है.मुहम्मद के साथी ‘सहाबी Companions मुहम्मद से जो कुछ भी कहीं से सुन लेते थे ,या उसके बारे में जो भी जानकारियाँ प्राप्त करते थे वही हदीसें हैं .जैसे –
मुहमद ने जोभी कहा ,मुहम्मद ने अपने जीवन में जो भी कम किया ,मुहम्मद ने जिस काम को उचित बताया ,या किसी के जिस काम का अनुमोदन किया हो ,और मुहमद के निजी जीवन की बातें हदीसों में शामिल हैं .सुन्नी मुसलमान मानते हैं कि जोभी व्यक्ति एकबार भी कहीं भी मुहमद को देख लेता था उसे सहाबी का दर्जा प्राप्त हो जाता था .और जो सहाबी के देख लेता था उसे ताबईन कहा जाता है .इसी तरह जो भी ताबईन को देख लेता था उसे तबये ताबईन मनाकर उनके द्वारा सुनी गयी बातों को प्रमाणिक और सही मान लिया जाता है .
लेकिन शिया इस बात से सहमत नहीं हैं .उनके अनुसार कई सहाबी शराबी ,व्यभिचारी ,और चरित्रहीन थे .जैसे अबूबकर ,उस्मान और उमर वगैरह .शिया सुन्नियों की हदीसों को नहीं मानते .उनकी अलग हदीसें है .इसीतरह इसमैलियों और बोहराओं की अपनी अपनी हदीसें हैं .
7 -हदीसों के स्रोत और संकलन
मुहम्मद न कोई अच्छा वक्ता था ,और न उपदेशक ही था .उसने जीवन में कोई भाषण भी नहीं दिया था .उसकी आवाज भी भार्र्राती थी .लोग उसकी बातें ठीक से नहीं सुन पाते थे .उस समय अरब में अरबी भाषा की 6 उपबोलियाँ थी .जिनका उच्चारण एक दूसरे से भिन्न था .मुहम्मद अपने कबीले कुरैश की बोली में बोलता था ,लेकिन मुहम्मद साथियों कई ऐसे लोग भी थे जो फारसी ,यमनी ,हब्शी ,भाषा बोलते थे ,और लूट के लालच में मुहम्मद के साथ जुड़ गए थे .कुछ लोग ऐसे भी थे जो मुहमद की निजी बातें छुपकर सुनते थे ,फिर चुगली करके सब को सुनते रहते थे .और यह क्रम एक कान से दूसरे कान तक पहुँच जाता था .जैसे-
हदीस-1
“अनस ने कहा कि एकबार जब रसूल दिन को ही अपनी औरतों केसाथ सम्भोग कर रहे थे ,तो हम लोग बाहरही बैठे थे ..रसूल सम्भोग करते हुए अपनी औरतों से जो बातें कर रहे थे ,हम साफ सुन रहे थे
https://sunnah.com/muslim:1462
Reference : Sahih Muslim 1462
In-book reference : Book 17, Hadith 61
USC-MSA web (English) reference : Book 8, Hadith 3450
हदीस-2
.”अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल जिस समय दिन को भी अपनी औरतों के साथ सामूहिक संभोग करते थे ,तो हम में से कोई एक व्यक्ति दरवाजे के छेद से चुपचाप सब हाल देखता रहता था
Narrated Anas:
A man peeped into one of the dwelling places of the Prophet. The Prophet got up and aimed a sharp-edged arrow head (or wooden stick) at him to poke him stealthily.
https://sunnah.com/bukhari:6900
Reference : Sahih al-Bukhari 6900
In-book reference : Book 87, Hadith 39
USC-MSA web (English) reference : Vol. 9, Book 83, Hadith 38

“अनस ने कहा कि लोग रसूल के सम्भोग को चुपचाप देखते थे ,और आनंद लेते थे
https://sunnah.com/muslim:2157
Reference : Sahih Muslim 2157
In-book reference : Book 38, Hadith 56
USC-MSA web (English) reference : Book 25, Hadith 5369
हदीस-4

“सहल बिन साद ने कहा कि ,जब रसूल अपनी औरतों ,या दसियों के साथ सामूहिक सम्भोग करते थे ,तो एक आदमी छुप कर देखता रहता था .और सारी बातें सबको बता देता था
Narrated Anas:
A man peeped into one of the dwelling places of the Prophet. The Prophet got up and aimed a sharp-edged arrow head (or wooden stick) at him to poke him stealthily.
https://sunnah.com/bukhari:6900
Reference : Sahih al-Bukhari 6900
In-book reference : Book 87, Hadith 39
USC-MSA web (English) reference : Vol. 9, Book 83, Hadith 38

8 -हदीसों के चुगलखोर
जब सन 632 में मुहम्मद मर गया तो उसके साथी मुहम्मद के बारे में जोभी उलटी सीधी जानकारियाँ रखते थे ,उन्हीं को नमक मिर्च लगाकर लोगों को सुनाते रहे .लेकिन उसे लिखा नहीं गया था .इन हदीसों के कहने वालों को “रावी راوي “या Naraator ,पाठक Reciter ,और कहने वाला Teller कहा जाता है .इनके माध्यम से ही हदीसें लोगों तक मौखिक रूप से पहुंचती रहीं .ऐसे हजारों रावी थे .उन में से मुख्य रावियों के नाम इस प्रकार हैं .
1 -अबू हुरैरा .681 में मौत हदीसें 5374
2 -अब्दुल्लाह इब्ने उमर .मौत 692
3 -अनस बिन मलिक.मौत 712 हदीसें 2286
4 -अब्दुल्लाह इब्न अब्बास .मौत 687
5 -जबीर बिन अब्दुल्लाह .मौत 693
6 -सईदुल खुदरी .मौत 683
7 -अब्दुल्लाह इब्न अम्र .मौत 693
अर्थात मुहम्मद की मौत सन 632 से सन 693 तक करीब 60 सालों तक हदीसों में कितने बदलाव हो गए होंगे ,और हर व्यक्ति ने एक ही हदीस को अपने ही शब्दों में किस तरह कहा होगा .मुसलमानों के पास इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं है .फिर भी वे हदीसों को अल्लाह की किताबों से अधिक प्रमाणिक बताते हैं .हमने कई बार सिद्ध किया है कि कई हदीसें सामान्य ज्ञान के विपरीत तो हैं ही ,लेकिन खुद कुरान कि शिक्षा के विरुद्ध हैं .
9 -हदीसों का लिखित स्वरूप
सातवीं सदी में अरबी लुटेरे मुसलमानों ने जिहाद के नाम पर आस पास के क्षेत्रों पर हमले शुरू कर दिए और कई जगहों पर अपनी हुकूमतें कायम कर दीं.वहां मुसलमान गैर मुस्लिमों ,और महिलाओं को प्रताडिद करने के लिए कानून बनाना चाहते थे .इसके लिए उनको हदीसें सबसे उपयोगी दिखाई दीं .क्योंकि हदीसों में एक जगह जिस बात को हराम कहा गया है ,तो दूसरी जगह उसी बात को जायज कहा गया है .मुसलमान सिर्फ अपनी मनमर्जी चलाना चाहते थे .इस लिए मुहम्मद की मौत के करीब 200 साल बाद मुल्लों ने लोगों से पूछ पूछ कर हदीसें लिख कर किताब का रूप दे दिया .इन लेखकों को इमाम कहा जाता है .और उन्हीं के नाम पर हदीसों की किताबों का नाम भी है .यह इस प्रकार है –
1 -बुखारी .मौत 870 हदीस 7275
2 -मुस्लिम .मौत 875 हदीस 9200
3 -अबू दाऊद.मौत 888
4 -तिरमिजी .मौत 892 हदीस 1679
5 -इब्न माजा .मौत 887
6 -नसाई .मौत 915
इन सभी हदीसों की किताबों में अबू हुरैरा ने अकेले ही 19 महीनों में 5374 हदीसें जमा की थी .जो उसने परिवार के लोगों ने चुगली के रूप से हुरैरा को बतायी थी .जिसमे आयशा से 2210 , उमर खत्ताब से 537 ,अली से 536 और अबू बकर से 142 हदीसें बयान की हैं सब में आयशा की मुहमद के साथ अय्याशी की चर्चा है .बाकी में घरेलु बातें हैं .अर्थात 5374 में से 3425 या 63 .7 %हदीसों में किसी भी ज्ञान या अध्यात्मिकता का कोई अंश नहीं है .सब बे सर पैर की बातें हैं
आज भी मुल्ले तरह तरह के ऊंटपटांग फतवे देकर अपनी दादागिरी करते रहते .और नए नए कानून बनाते रहते हैं .मुहम्मद की तरह मुसलमानों को न कुरान से मतलब है और न हदीसों से .वे इन किताबों की आड़ में लोगों पर अपनी मर्जी थोपते रहते हैं .
मुसलमान चाहे किसी भी किताब की कसम खाएं ,उनपर कभी विश्वास नहीं करें !

(87/17)

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