- जब 6 जून 1674 को शिवाजी महाराज ने ” हिंदवी स्वराज्य ” की स्थापना करते हुए राज्य सत्ता संभाली तो उन्होंने मुगलिया राज्य होने के कारण प्रशासनिक शब्दावली में आ गए अरबी और फारसी के शब्दों को दूर करने का अभियान आरंभ किया। उन्होंने अपने एक मंत्री रामचंद्र अमात्य को शासकीय उपयोग में आने वाले फारसी शब्दों के लिए उपयुक्त संस्कृत शब्द निर्मित करने का कार्य सौंपा । रामचंद्र अमात्य जी ने महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय कार्य करते हुए धुंधीराज नामक विद्वान की सहायता से ” राज्यव्यवहार कोश ” नामक ग्रंथ निर्मित किया। इस कोश में 1380 फारसी के प्रशासनिक शब्दों के तुल्य संस्कृत शब्द रखे गए। इस प्रकार शिवाजी महाराज ने आगे चलकर बनने वाली हिंदी भाषा के लिए महत्वपूर्ण कार्य का शुभारंभ किया। शिवाजी महाराज द्वारा डाली गई इसी परंपरा को पकड़कर सावरकर जी ने भी संस्कृत निष्ठ हिंदी को अपनाया। उन्होंने भी अनेक शब्दों का निर्माण किया। भाषाशुद्धि पर काम करते हुए सावरकर जी ने मराठी भाषा को अनेक पारिभाषिक शब्द दिये, उनके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं –
- मराठी शब्द ( हिन्दी शब्द, अंग्रेज़ी शब्द )
दिनांक ( तारीख, डेट )
क्रमांक ( नंबर, नंबर )
बोलपट ( — , टॉकी )
नेपथ्य
वेशभूषा ( — , कॉश्च्युम )
दिग्दर्शक ( — , डायरेक्टर )
चित्रपट ( — , सिनेमा )
मध्यंतर ( — , इन्टर्व्हल )
उपस्थित ( हजर, प्रेसेन्ट )
प्रतिवृत्त ( — , रिपोर्ट )
नगरपालिका ( — , म्युन्सिपाल्टी )
महापालिका ( — , कॉर्पोरेशन )
महापौर ( — , मेयर )
पर्यवेक्षक ( — , सुपरवायझर )
विश्वस्त ( — , ट्रस्टी )
त्वर्य/त्वरित ( — , अर्जंट )
गणसंख्या ( — , कोरम )
स्तंभ ( — , कॉलम )
मूल्य ( — , किंमत )
शुल्क ( — , फी )
हुतात्मा ( शहीद, )
निर्बंध ( कायदा, लॉ )
शिरगणती ( खानेसुमारी, — )
विशेषांक ( खास अंक, — )
सार्वमत ( — , प्लेबिसाइट )
झरणी ( — , फाऊन्टनपेन )
नभोवाणी ( — , रेडिओ )
दूरदर्शन ( — , टेलिव्हिजन )
दूरध्वनी ( — , टेलिफोन )
ध्वनिक्षेपक ( — , लाउड स्पीकर )
विधिमंडळ ( — , असेम्ब्ली )
अर्थसंकल्प ( — , बजेट )
क्रीडांगण ( — , प्लेग्राउंड )
प्राचार्य ( — , प्रिन्सिपॉल )
मुख्याध्यापक ( — , प्रिन्सिपॉल )
प्राध्यापक ( — , प्रोफेसर )
परीक्षक ( — , एक्झामिनर )
शस्त्रसंधी ( — , सिसफायर )
टपाल ( — , पोस्ट )
तारण ( — , मॉर्गेज )
संचलन ( — , परेड )
गतिमान
नेतृत्व ( — , लिडरशीप )
सेवानिवृत्त ( — , रिटायर )
वेतन ( पगार, सॅलेरी )
आर्य समाज ने सावरकर जी की संस्कृत निष्ठ हिंदी की इस परंपरा को पकड़कर और आगे बढ़ाया। उधर कांग्रेस के नेहरू हिंदी के स्थान पर ” हिंदुस्तानी ” के गीत गाने में लगे हुए थे।
वह भारत के लिए एक ऐसी भाषा बनाने का काम कर रहे थे जिसमें सारी भाषाओं के शब्द लेकर उसे खिचड़ी भाषा बना दिया जाए ।
…..और पता है नेहरू जी को यह प्रेरणा कहां से मिली थी ? उन्हें यह प्रेरणा मोहम्मद शाह रंगीला से मिली थी। जिसने अपने दरबार में होने वाले अश्लील नाच गानों के लिए हिंदुस्तानी भाषा को खोजा था। जिसमें उसने विभिन्न भाषाओं के शब्दों को स्थान दे दिया था। नेहरू जी ने इसी भाषा को आगे बढ़ाया। इस प्रकार नेहरू जी के लिए मोहम्मद साहब रंगीला आदर्श था, जबकि आर्य समाज के लिए सावरकर और शिवाजी आदर्श थे। अंतर् आप देखिए, कौन ठीक था कौन गलत था ? शिवाजी संस्कृत को जीवंत भाषा मानते थे। जबकि नेहरू इसे मृत भाषा कहते थे।
डॉ राकेश कुमार आर्य
( लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं।)
मुख्य संपादक, उगता भारत
One reply on “हिंदी भाषा को लेकर कांग्रेस के लिए मोहम्मद शाह रंगीला तो आर्य समाज के लिए सावरकर और शिवाजी आदर्श रहे”
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