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सैन्य शक्ति संपन्न भारत की क्षमता का प्रतीक है तरंग शक्ति

योगेश कुमार गोयल –

भारत का पहला सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास है ‘तरंग शक्ति’
– योगेश कुमार गोयल
भारत की निरंतर बढ़ती रक्षा क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर उजागर करने तथा विविध भागीदारी अंतर्राष्ट्रीय रक्षा संबंधों को मजबूत करने में अभ्यास के महत्व को रेखांकित करने के लिए इन दिनों जोधपुर में बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ का आयोजन चल रहा है, जो भारत की रक्षा कूटनीति और सैन्य सहयोग में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। भारतीय वायुसेना की मेजबानी में जोधपुर में शुरू हुए सबसे बड़े बहुपक्षीय वायु अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ का दूसरा चरण 14 सितंबर तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें भारत के अलावा सात देशों के विमान एक साथ युद्धाभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें अमेरिका, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, ग्रीस और यूएई की वायुसेना टीम शामिल हैं। ‘तरंग शक्ति’ वायु अभ्सास का उद्देश्य विभिन्न देशों की वायु सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता में सुधार करना, आधुनिक युद्ध में सामूहिक सुरक्षा और परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाना है। इस ‘वॉर एक्सरसाइज’ में भारतीय वायुसेना और विदेशी विमान आसमान में अपना कौशल दिखाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। जोधपुर के आसमान में जब भारत की ‘सूर्य किरण टीम’ ने 9 हॉक्स विमानों के जरिये जोधपुर के आसमान में ‘तिरंगा’ बनाते हुए विलक्षण करतब दिखाए तो हर कोई दांतों तले उंगली दबाये उसे निहारता ही रह गया।
‘तरंग शक्ति’ के दौरान 9 सितंबर को तो जोधपुर में भारत की तीनों सेनाओं ने उस समय इतिहास रच दिया, जब पहली बार जल, थल और वायु सेना के उप-प्रमुखों ने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरी। यह पहला अवसर था, जब आर्मी के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि, एयरफोर्स के वाइस चीफ एयर मार्शल एपी सिंह और नौसेना के वाइस चीफ कृष्णा स्वामीनाथन ने ‘तेजस’ में उड़ान भरी और भारत के तीनों वाइस चीफ की ये उड़ान भारत के लिए रणनीतिक तौर पर अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। तरंग शक्ति में भारतीय वायुसेना के राफेल, सुखोई, मिराज, जगुआर और तेजस विमान पूरी दुनिया को अपना जलवा दिखा रहे हैं, वहीं अमेरिका के ए-10 थंडरबोल्ट, ग्रीक के एफ-16 फाइटिंग फाल्कन, ऑस्ट्रेलिया के एफ ए-18 हॉरनेट, जापान के मित्सुबिशी एफ-2 सहित अन्य देशों की एफ-16 विमान के साथ आई टीमें साथ मिलकर एयर-टू-एयर तथा एयर-टू-ग्राउंड ऑपरेशन में अपनी-अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर रहे हैं। ‘तरंग शक्ति’ के पहले और दूसरे चरण में कुल 800 सैनिक शामिल हो रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की रायल ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स ने भारतीय वायुसेना के ‘तरंग शक्ति’ अभ्यास के दूसरे चरण में हिस्सा के लेने के लिए पहली बार अपने लड़ाकू विमानों को भारत भेजा है। 12 सितंबर से तरंग शक्ति में ‘डिफेंस एक्सपो’ शुरू होगा. जिसमें स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस, लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ध्रुव शामिल है, साथ ही अन्य हथियारों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
‘तरंग शक्ति’ का आयोजन पहले 2023 के अंत में करने की योजना थी लेकिन कुछ कारणों से उसे उस समय टाल दिया गया था और अब आयोजित किए जा रहे इस बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास में स्वदेशी वायु रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन किया जा रहा है, जिसमें विशेष रूप से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को दर्शाया जा रहा है। इस वायु अभ्यास में भारतीय वायुसेना अपने हल्के लड़ाकू विमान, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर तथा हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर जैसे स्वदेशी प्लेटफार्मों का प्रदर्शन कर रही है। इस बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास का उद्देश्य इसमें हिस्सा लेने वाले सभी देशों की वायु सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा देना, उन्हें सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और परिचालन समन्वय में सुधार करने में सक्षम बनाना है। ‘तरंग शक्ति’ में उड़ान और जमीनी प्रशिक्षण के अलावा रक्षा प्रदर्शनियां तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं और वायु अभ्यास में हिस्सा ले रहे देशों के रक्षाकर्मी भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों का दौरा भी करेंगे।
‘तरंग शक्ति’ भारत में आयोजित हो रहा अभी तक का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय वायु अभ्यास है, जो अपने यथार्थवादी युद्ध परिदृश्यों और व्यापक अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी के लिए जाने जाते रहे अमेरिका के नेतृत्व वाले ‘रेड फ्लैग’ अभ्यास से प्रेरित बताया जाता है। करीब तीन महीने पहले 4 से 14 जून 2024 तक अलास्का में अयोजित हवाई अभ्यास ‘रेड फ्लैग 2024’ के दूसरे संस्करण में भारतीय वायुसेना ने भी हिस्सा लिया था। सिंगापुर तथा अमेरिकी विमानों के साथ भारतीय राफेल भी उस संयुक्त अभ्यास में शामिल हुआ था। इन आयोजित मिशनों में आक्रामक काउंटर एयर और एयर डिफेंस भूमिकाओं में लार्ज फोर्स एंगेजमेंट के एक भाग के रूप में बियॉन्ड विजुअल रेंज युद्ध अभ्यास शामिल थे। अमेरिका द्वारा ‘रेड फ्लैग’ अभ्यास वर्ष में चार बार आयोजित किया जाता है और इसके दूसरे संस्करण में भारतीय वायुसेना के अलावा सिंगापुर वायुसेना, ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स, रॉयल नीदरलैंड्स वायुसेना और जर्मन लूफ्टवाफे ने भी हिस्सा लिया था। भारतीय वायुसेना ने रेड फ्लैग में पहली बार 8 राफेल लड़ाकू विमान तैनात किए थे, जिन्हें ट्रान्साटलांटिक यात्रा के लिए आईएल-78 मध्य-हवा में ईंधन भरने वाले विमानों के साथ-साथ सी-17 ग्लोबमास्टर विमान की भी सहायता मिली थी।
भारतीय वायुसेना द्वारा इससे पहले 1 से 10 अप्रैल 2024 तक अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए 10 दिवसीय हवाई सैन्य अभ्यास ‘गगन शक्ति-2024’ भी आयोजित किया जा चुका है, जिसमें देश के सभी वायुसेना स्टेशन बारी-बारी से शामिल हुए थे। उस युद्धाभ्यास में करीब 11 हजार वायु सैनिकों ने हिस्सा लिया था। ‘गगन शक्ति-2024’ में चीन और पाकिस्तान के साथ दो मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयारी का परीक्षण भी किया गया था। उस हवाई सैन्य अभ्यास में तेजस, राफेल, सुखोई-30, जगुआर, मिराज 2000, चिनूक, अपाचे, प्रचंड, ट्रांसपोर्ट विमान ग्लोबमास्टर, सी-130 जे सुपर हरक्यूलस, सी-295 ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया था। उस दस दिवसीय हवाई सैन्य अभ्यास में केवल भारतीय वायुसेना के ही सभी वायुसेना स्टेशन शामिल हुए थे जबकि ‘तरंग शक्ति’ में दुनिया के कुछ प्रमुख देश भारतीय वायुसेना के साथ हिस्सा ले रहे हैं।
बहरहाल, ‘तरंग शक्ति’ वायु अभ्यास की मेजबानी करके भारत का लक्ष्य रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाना और अंतर्राष्ट्रीय रक्षा में अपनी स्थिति को मजबूत करना है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि तरंग शक्ति वायु अभ्यास के साथ भारत की रक्षा कूटनीति में उल्लेखनीय प्रगति होगी। ‘तरंग शक्ति’ वायु अभ्यास के आयोजन का सबसे बड़ा लाभ यही है कि यह अभ्यास इसमें शामिल रहे देशों की वायु सेनाओं के बीच न केवल व्यावसायिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा बल्कि आधुनिक हवाई युद्ध तकनीकों में सीखने और सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच भी प्रदान करेगा। ‘तरंग शक्ति’ के आयोजन से भाग लेने वाले देशों के बीच लाभकारी संपर्क और सहयोग को बढ़ावा मिलने से भविष्य के रक्षा गठबंधनों का भी निर्माण होगा। ‘तरंग शक्ति’ अभ्यास के आयोजन का उद्देश्य उन मित्र देशों को एक साथ लाना है, जिनके साथ भारतीय वायुसेना नियमित रूप से बातचीत करती है और जिनके बीच एक निश्चित सीमा तक अंतर-संचालन क्षमता है।

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