हिंदू महासभा का गठन और उद्देश्य
🚩”” अखिल भारत हिन्दू महासभा “” का गठन पहली बार 1882 ईस्वी में लाहौर शहर में तीन महान सपूत लाला लाजपत राय, पतलू चन्द्र चटर्जी ( लाहौर हाई कोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश ) और शादी राम जी ने मिलकर किया जो कि “” हिन्दू महासभा “” के रूप में प्रचलित हुआ। चुकी “” हिन्दू महासभा “” धीरे – धीरे फैलता हुआ भारत के अलग – अलग प्रांतों में प्रतिष्ठापित होता गया जिससे घबराकर अंग्रेजों ने चाल चली और मात्र तीन वर्ष बाद भारत के हिन्दूओं को झांसे में डालकर “” अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटि “” का गठन कर दिया ,लेकिन सुरूआत में कमांड अपने हाथ में ही रखा और 1885 से लगातार 5 अंग्रेज अफसर ही “” कांग्रेस पार्टी “” के अध्यक्ष बनते रहे । गुलाम भारत के हिन्दूओं और मुसलमानों से बातचीत के लिए अंग्रेजों ने ऐसा किया । धीरे – धीरे “” हिन्दू महासभा “” अंग्रेजों के लिए शिरदर्द हो गया । जिससे घबराकर अंग्रेजों ने 1906 ईस्वी में “” मुस्लिम लीग “” की स्थापना करबा दी । अब अंग्रेजों ने हिन्दू – मुस्लिम को लड़वाना सुरू किया । मुस्लिम का मजहब तो उन्हें मनुष्य से राक्षस बना ही रहा है किन्तू अंग्रेज ने मुस्लिम समुदाय को कई मौकों पर उकसाया और महात्मा गांधी जो की 27 वर्षों तक एक गुजराती मुस्लिम के कंम्पनी के लिए कार्य किया जिससे उसके चारों बेटे का पालन-पोषण हो सका और अपना भी पेट भरा । इसलिए महात्मा गांधी को मुस्लिम से अधिक ही लगाव और हिन्दूओं से चीढ रहने लगी । इसका दुष्परिणाम हुआ की मोहनदास करमचंद गांधी ने वेद के श्लोक —
अहिंसा परमों धर्मः !!
धर्म हिंसा तथैव च !!
को अधुरा गाना सुरू किया और उसमें सिर्फ हिन्दूओं को अहिंसक बनाने का ट्रेनिंग ( प्रशिक्षण ) देने लगा । इतना ही नहीं ईश्वर को अल्लाह से जोड़कर गाना गाने लगा । जिसका दुष्परिणाम हुआ की हिन्दू आपस में ही बंटने लगे और हिन्दूओं में गरम दल और नरम दल बन गया । इधर दिनों – दिन मुठ्ठी भर मुस्लिम जो भारत में बच गये थे उसे मुल्ला मोहनदास करमचंद गांधी ने हिंसा के लिए तरह – तरह से प्रोत्साहित किया । हिन्दू , जयचंद ( मोहनदास) की चाल को जबतक समझ पाये तबतक बहुत देर हो चुकी थी और “” अहिंसक हिन्दू “” , अंग्रेज और मुल्ले से लात – जूते खाकर भारत का तीन टुकड़ा करबा लिया !! संसार में इसतरह का बंटबारा और किसी राष्ट्र का नहीं हुआ !! आज “” अखिल भारत हिन्दू महासभा “” का सबसे बड़ा दुश्मन “” सांप्रदायिक हिन्दू “” ही है । वरना 113 करोड़ की हिन्दू आबादी एकजुट हो जाए तो तीन दिनों में 20 करोड़ मुल्ले को भारत से भगाकर पाकिस्तान और बंग्लादेश में ठुंस दिया जायेगा । लेकिन हिन्दूओं के “” ज्ञानचंद “” , “” डरपोक चंद “” , “” सांप्रदायिक चंद “” और “” अहिंसक चंद “” के दिमाग में इतना भुसा भरा गया है की , उन्हें अपने धर्म ग्रंथ का सुन्दर श्लोक—-
अहिंसा परमों धर्मः!!
धर्म हिंसा तथैव च !!
याद ही नहीं रहता है । भारतवर्ष में 1882 ईस्वी से इस श्लोक को याद रखकर सबसे अधिक बलिदान मात्र और केवल मात्र “”अखिल भारत हिन्दू महासभा “” के कांतिकारियों ने ही दिया है । भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को मुल्ला जवाहर लाल नेहरू और मुल्ला मोहनदास करमचंद गांधी और 14 अगस्त 1947 के बाद भारत में छल करके रह गये तीन करोड़ से अधिक मुल्लों ने मिलकर अधुरा पढाया । “” आजाद हिन्द फौज की स्थापना करवाने में सबसे बड़ा भूमिका “” अखिल भारत हिन्दू महासभा “” के महान सपूत स्वर्गीय श्रीमान “” रासबिहारी बोस साहब “” और महानतम सपूत स्वर्गीय श्रीमान “” वीर सावरकर जी “” की थी । लेकिन भारत के मुल्ले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और मुल्ले ( उज्बेकिस्तानी ) शिक्षामंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ( कुत्ता ) ने मिलकर अधुरा इतिहास पढाया । भारत के नयी पीढ़ी को सच्चाई बताने के लिए ही “” अखिल भारत हिन्दू महासभा “” को दोबारा से सक्रिय किया जा रहा है । जो जिस भाषा में समझता है , उसे उसी भाषा में समझाने वाले हमलोग हैं । हम भारत के महान सपूत श्रीमान नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी के पक्के अनुयायी हैं । गोरखपुर से लगातार सांसद रहे गोरखनाथ पीठ के महंथ रहे स्वर्गीय श्रीमान दिग्विजय नाथ जी , स्वर्गीय श्रीमान अवैद्यनाथ जी और 1996 – 1998 ईस्वी में पहलीबार सांसद बनें श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी हमारे “” अखिल भारत हिन्दू महासभा “” के ही चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी । आर.एस.एस ( राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के संस्थापक डाॅ केशव बलिराम हेडगेवार जी भी “” अखिल भारत हिन्दू महासभा “” के उपसभापति के रूप में इस संस्था की सेवा की और इस संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अपने “” राजनैतिक गुरू ” “” डाॅ बालकृष्ण शिवराम मुंजे साहब “” से प्रेरणा लेकर “” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS )”” का गठन किया । “” अखिल भारत हिन्दू महासभा “” के सचिव पद पर कार्यरत रहते ही भारत के महान सपूत, परम देशभक्त, पत्रकार, दुरदिष्टा, पुणे, महाराष्ट्र निवासी ,महा बलिदानी स्वर्गीय “” श्रीमान नाथूराम गोडसे साहब “” ने “” मोहनदास करमचंद गांधी “” का वद्ध किया था । गलती उनसे ये हुई की ये वद्ध पांच वर्ष पूर्व ही हो जाता तो भारत के तीन टुकड़े न होते और महानतम सपूत स्वर्गीय “” श्रीमान सुभाष चंद्र बोस साहब “” भी जिंदा होते । भारत की आने वाली नयी पीढ़ी नाथूराम गोडसे जी को महान और महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू को गद्दार साबित करेंगे । अभी ही भारत के हिन्दू जनमानस मोहनदास करमचंद गांधी और जवाहर लाल नेहरू को गाली-गलौज ,अपशब्द कहना “” सोशल मीडिया “” पर सुरू कर चुका है । ये दोनों हम हिन्दूओं के लिए काल बनकर इस भारत भूमि पर आया था । सत्य सनातन हिन्दू धर्म को इन दोनों “” स्वार्थी राक्षस “” ने बहुत नुकसान किया । आज का भारत , गृहयुद्ध की कगार पर , इन दोनों गद्दारों , हिन्दू द्रोहियों के कारण ही है । सरदार वल्लभभाई पटेल साहब भारत के प्रधान मंत्री बन गये होते तो एक भी मुस्लिम राक्षस को भारत में नहीं रखते । ईसाईयों को भी औकात बता दिये होते । खैर , —— मुर्दे हिन्दूओं को जगाने के लिए पुनः “” अखिल भारत हिन्दू महासभा “” राजनैतिक दल “” के रूप में सक्रिय हो रहा है । जिस- जिस हिन्दूओं को अपने और अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना होगा वे स्वयं इस क्रांतिकारी दल से जुड़ेगा । क्योंकि इस संस्था का सदस्य सिर्फ और केवल सिर्फ “” सत्य सनातन धर्म “” वाले ही हो सकते हैं । किसी भी विधर्मी का 1882 ईस्वी से ही इस संस्था में प्रवेश वर्जित है और आगे भी रहेगा । जो हिन्दू इस सच्चाई को जितनी जल्द समझ जायेगा वो उतनी जल्द इस संस्था से जुड़ जायेगा ।
इस संस्था से जुड़ने के लिए आप सम्पर्क करें वेबसाइट पर वेबसाइट का पता हम निचे दे रहे हैं । सभी हिन्दूओं से हाथजोड़कर निवेदन है की इस संस्था को पुनः सक्रिय करने में सहयोग करें । इसकी आजीवन सदस्यता , सक्रिय सदस्यता या प्राथमिक सदस्यता अवश्य लें और “” भारत राष्ट्र का भविष्य “” सुरक्षित करें । जय हिन्दूराष्ट्र!! जय हिन्द!!
निवेदक—–
धीरेन्द्र कुमार झा ( मास्टर जी )
अखिल भारत हिन्दू महासभा
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष
नई दिल्ली – 110001