दादरी । ( सुंदरलाल शर्मा ) किसी भी अधिकारी के मुंह से घूस लेने या भ्रष्टाचार करने की वकालत शायद ही कभी किसी ने सुनी होगी। लेकिन दादरी के तहसीलदार आलोक प्रताप सिंह अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार की साफ शब्दों में वकालत करते हैं। अधिवक्ताओं की मीटिंग के दौरान उन्होंने दाखिल खारिज की पत्रावली पर प्रति फाइल ₹500 लिए जाने की यह कहकर वकालत की कि जब वह किसी भी मामले में हाईकोर्ट जाते हैं तो वहां का सारा खर्चा कोई नहीं करता । यहां तक कि उन्हें अपनी जेब से अभी पिछले दिनों एक कंटेंप्ट के मामले में ₹30000 देने पड़े । ऐसे में यदि हम ऐसे खर्चे कर रहे हैं तो हमें भ्रष्टाचार करने का पूरा अधिकार है — तहसीलदार दादरी अधिवक्ताओं की मीटिंग में अधिवक्ताओं को यही समझाना चाहते थे ।
अच्छी बात यह रही कि यह मीटिंग एसडीएम दादरी श्री राजीव राय की उपस्थिति में संपन्न हो रही थी। जब उन्होंने तहसीलदार दादरी के मुंह से ऐसे शब्द सुने तो उन्होंने उपस्थित अधिवक्ताओं को आश्वस्त किया कि वह इस मामले में जांच कराएंगे और उचित संज्ञान लेकर कार्यवाही करेंगे। अधिवक्ताओं की मीटिंग में नामांतरण वादों में हो रहे इस भ्रष्टाचार का मामला वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषिपाल भाटी द्वारा उठाया गया था। उन्होंने एसडीएम दादरी से कहा था कि आप भ्रष्टाचार मुक्त परिवेश देने के लिए कृतसंकल्प है, जिसके लिए आपने कुछ कार्यवाहियां भी की हैं । अतः तहसीलदार दादरी के न्यायालय में व्याप्त इस प्रकार के भ्रष्टाचार पर भी आपको उचित संज्ञान लेना चाहिए।
वैसे भी तहसीलदार दादरी श्री आलोक प्रताप सिंह अपने आप को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का खासम खास बताने में संकोच नहीं करते । यही कारण है कि उनका व्यवहार बहुत ही रुखा होता है । अहंकारी से वह वादकारियों या उनसे मिलने आने वाले लोगों को भी धमकाते देखे जा सकते हैं । अब ऐसे में यदि केंद्र प्रदेश सरकार की नीतियां अक्षरश: लागू नहीं हो रही है तो योगी सरकार को समझ लेना चाहिए कि उसे अपनी नौकरशाही में कैसे लोगों को स्थान देना चाहिए ?
वास्तव में ऐसे अधिकारी ही सरकार की जनहितकारी नीतियों को लागू नहीं होने देते हैं । सरकार का वह स्वरूप जनसामान्य के सामने प्रकट करते हैं जिसमें काम न् होने वाली धमका कर काम करने वाली कार्यशैली प्रकट होती है । इससे लोगों में सरकार के प्रति उदासीनता का भाव पैदा होता है और सरकार और जनता के बीच में बैठे ऐसे अधिकारियों के कारण एक उचित समन्वय नहीं बन पाता । जबकि अधिकारी सरकार और आम जनता के बीच एक ऐसी कड़ी होता है जो दोनों को जोड़ता है , लेकिन तहसीलदार दादरी के चलते यहां पर सरकार और जनता के बीच दूरी पैदा हो रही है। देखते हैं योगी सरकार का ऐसे अधिकारियों पर वरद हस्त कब तक बना रहता है ?
अधिवक्ताओं की मीटिंग में बार एसोसिएशन दादरी के अध्यक्ष श्री बृजपाल सिंह भाटी , वरिष्ठ अधिवक्ता महिपाल सिंह भाटी , देव शर्मा कौशिक, मनिंद्र मोहन शर्मा , राजकुमार आर्य , रामनिवास आर्य , अनिल भाटी , महेंद्र सिंह भाटी ,राकेश नागर, नरेंद्र शर्मा , वीपी शर्मा , ऋषि राज नागर , दयानन्द नागर आदि सहित अनेकों अधिवक्ता उपस्थित थे।
मुख्य संपादक, उगता भारत