डॉ यतीन्द्र कटारिया की पुस्तक ‘ हिन्दी विश्व यात्रा और मैं ‘ का राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने किया विमोचन यतीन्द्र कटारिया को हिन्दी का पुरोधा बताते हुए राज्यपाल व संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व ने किया उत्साहवर्धन
मंडी धनौरा ( अजय कुमार आर्य ) केरल के राज्यपाल और मूर्धन्य विद्वान आरिफ़ मोहम्मद ख़ान नगर के अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी डॉ यतीन्द्र कटारिया द्वारा आयोजित हिन्दी महोत्सव में प्रतिभाग करने यहां पहुँचे। राज्यपाल आसिफ़ मोहम्मद ख़ान, संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष व एनटीए के अध्यक्ष डॉक्टर प्रदीप जोशी, इंद्रा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर किरण हजारिका ,राज्य महिला आयोग की सदस्य अवनी सिंह तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक वीरेंद्र सिंह ने डॉ यतींद्र कटारिया की नई पुस्तक ” हिंदी विश्व यात्रा और मैं ” का विमोचन किया. इस मौक़े पर राज्यपाल और मोहम्मद ख़ान ने डॉक्टर यतीन्द्र कटारिया की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि धनोरा जैसी छोटी जगह से विश्व के सभी देशों तक हिंदी का शंखनाद कर डॉ कटारिया ने बड़ा काम किया है । एक लेखक और वक्ता के रूप में मॉरिशस, फ़िजी आदि कई देशों में भारत सरकार के शिष्टमंडल के सदस्य के रूप में हिन्दी का जो परचम फहराया है वह अत्यंत सराहनीय है। उन्होने कहा कि वह डॉ यतीन्द्र कटारिया को पुत्रवत स्नेह करते हैं और इसी प्यार के चलते केरल से चलकर धनोरा पहुँचे हैं।
पुस्तक विमोचन के इस भव्य कार्यक्रम में बोलते हुए केरल के महामहिम राज्यपाल ने कहा कि हिन्दी मात्र एक भाषा नहीं, एक भावना है। संस्कृति है। धरोहर है। विश्व पटल पर हिन्दी हम सभी देशवासियों की पहचान भी है। आज 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस मना रहे हैं। क्योंकि इसी दिन, वर्ष 1949 में भारतीय संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था। हर वर्ष हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य है हिन्दी का अस्तित्व बनाए रखने के लिए एक दूसरे को प्रोत्साहित करना। आने वाली पीढ़ी को इस भाषा का महत्व समझाना। यह दिन हमें हिंदी भाषा के महत्व और इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के प्रति समर्पित होने का भाव जगाता है। ये हमें इस बात का आभास कराता है कि हिन्दी हमारे इतिहास, संस्कृति और हमारी पहचान का अभिन्न अंग है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री वे सदस्य विधान परिषद वीरेंद्र सिंह ने कहा कि हिंदी वह भाषा है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज की आधुनिक तकनीकी दुनिया तक, हर दौर में हमारी अभिव्यक्ति को सशक्त किया है। हिन्दी ने हमें एकजुट किया है। चाहे वह साहित्य के माध्यम से हो, संगीत या फिर सिनेमा के माध्यम से हिन्दी की जड़ें प्राचीनकाल से जुड़ी हैं। इसका विकास संस्कृत और प्राकृत भाषाओं से हुआ और आगे चलकर ये करोड़ों लोगों की बोलचाल की भाषा बन गई।
राज्य महिला आयोग की सदस्य अवनी सिंह ने कहा कि आज वैश्वीकरण के दौर में ग्लोबल लैंग्वेज के पीछे भागते-भागते हमें अपनी मातृभाषा हिन्दी का महत्व नहीं भूलना चाहिए। आज भारत के अधिकांश लोग सोचते हैं कि अंग्रेजी ही सफलता का रास्ता है। जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है। हिन्दी न केवल साहित्यिक क्षेत्र में, अपितु पत्रकारिता, सिनेमा, अनुवाद के क्षेत्र में भी नई कीर्तिमान स्थापित कर रही है।
इस अवसर पर रेल मंत्रालय भारत सरकार के विशेष कार्याधिकारी वी पी सिंह ने कहा कि हिन्दी हमें प्रशासन और तकनीकी क्षेत्रों में भी रोजगार के अनगिनत अवसर देती है। आज कई बड़ी कंपनियां और मीडिया संस्थान हिन्दी के माध्यम से जनसंपर्क और व्यवसायिक संचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष तथा वर्तमान में एन0टी0ए0 के अध्यक्ष प्रख्यात विद्वान डॉ प्रदीप कुमार जोशी ने कहा कि यतीन्द्र कटारिया कि हिंदी सेवा और साधना से वह अत्यंत प्रभावित हैं और उनकी निरंतर प्रकाशित हो रहीं पुस्तकों के लिए शुभकामनाएं देते हैं। निश्चित रूप से हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति उनके समर्पण और साधना का भाव ही हिन्दी के संवर्धन में सहायक हुआ है। उन्होने कहा कि हमें गर्व है कि हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके उपरांत भी हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि यदि हम हिन्दी का सही ढंग से उपयोग और संरक्षण नहीं करेंगे, तो इसका महत्व धीरे-धीरे कम हो सकता है। हमारे शिक्षण संस्थानों, कार्यालयों, घरों और समाज में हर क्षेत्र में हिन्दी को प्रोत्साहित किया जाना समय की आवश्यकता है।
हिन्दी महोत्सव के इस आयोजन में देश और प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आए हुए हिंदी साहित्यकारों का सम्मान किया गया।
अभी तक भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और भारत के गौरवशाली इतिहास पर 80 पुस्तक लिख चुके सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य को विद्या विभूति सम्मान प्रदान किया गया। इसी प्रकार हिंदी के प्रति पूर्णतया समर्पित डॉ राकेश राणा , वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार राकेश कुमार छोकर , डॉ संजीव कुमारी सहित अनेक हिंदी साहित्यकारों और विद्वानों को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम संयोजक और विश्व हिंदी मंच के अध्यक्ष डॉ यतीन्द्र कटारिया ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया तथा कहा कि मातृभाषा को माता की भांति सम्मान देते हुए आगे बढ़ाएं और हिन्दी को राष्ट्रीय प्रतीक रूप में आत्मसात करते हुए गर्व की अनुभूति करें।
इस अवसर पर राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने डॉ यतेंद्र कटारिया को केरल से लाए उपहार भेंट करते हुए उनका सम्मान किया तथा राज्य महिला आयोग सदस्य अवनीश सिंह पूर्व मंत्री विरेंद्र सिंह समेत सभी आगंतुकों के अतिरिक्त यहाँ उपस्थित जिलाधिकारी अमरोहा राजेश कुमार त्यागी, पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह समेत वरिष्ठ अधिकारीगण एवं वरिष्ठ प्रबुद्धजनों ने डॉ कटारिया के पुस्तक विमोचन पर शुभकामनाएं देते हुए उनकी उल्लेखनीय हिंदी सेवा की प्रशंसा की।
इस अवसर पर जिलाधिकारी राजेश त्यागी पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह अपर पुलिस अधीक्षक अपर जिलाधिकारी समेत वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी व आबकारी आयुक्त अनुराग मिश्र सुनील दीक्षित कपिल त्यागी के चंद्रशेखर आज़ाद राजकुमार टंडन नरेंद्र कटारिया धीरज त्यागी डॉक्टर आदित्य चौहान चौधरी सोमवीर सिंह शशि त्यागी बीना रुस्तगी विमल किशोर वंदेमातरम् और मुजाहिद हुसैन चौधरी डॉक्टर चेतन आनंद सोनू सिंह त्रिलोक कुमार इंदरपाल शर्मा और अरविन्द भाटी आदि उपस्थित रहे।
हिन्दी महोत्सव की अध्यक्षता डॉक्टर प्रदीप कुमार जोशी ने की और मंच संचालन डॉक्टर यतीन्द्र कटारिया ने किया। राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान व आगंतुक अतिथि डॉ यतीन्द्र कटारिया के गुरुद्वारा मार्ग स्थित आवास पर पहुँचे और साहित्य साधना के लिए उन्हें वहाँ पहुँचकर सपरिवार शुभकामनाएं दीं।