सन् 1923 में हेमपुर निवासी जन्म से मुस्लिम शेख रहीम बक्श की अपनी पत्नी के साथ शुद्धि की गयी थी। आपकी शुद्धि में आर्य प्रतिनिधि सभा के उपदेशक पंडित बिहारी लाल जी काव्यतीर्थ का योगदान था। शेख रहीम बक्श को अपने घर से बिजनौर अपने में उनके परिवार की सदस्यों ने बड़ा व्यवधान डाला था। बात मार पिट तक पहुँच गई थी। पर धर्म पिपासु शेख रहीम बक्श उनकी मार पर मार सहते रहे और किसी प्रकार बिजनौर आ ही गए और उन्हें गायत्री मंत्र से शुद्ध कर उनका नाम महाशय देवदत रखा गया था। इस मार पिट का अभियोग न्यायालय में क्रिमिनल केस के अंतर्गत चला था। इस अभियोग में पंडित बिहारी लाल जी शास्त्री काव्यतीर्थ को भी अभियुक्त बनाया गया था। बेरिस्टर जगन्नाथ जी अपनी वकालत समय की सहते हुए भी इस मुकदमे की पैरवी करते रहे थे। शेख रहीम बक्श दृढ़ आर्यसमाजी सिद्ध हुए। आपने जीवन भर बरेली आर्यसमाज के विद्या विभाग में दलित बच्चों को पढ़ाने में अपना जीवन समर्पित किया था।
सन्दर्भ-बिजनौर मंडल आर्यसमाज का इतिहास- पंडित भवानी प्रसाद जी पृष्ठ 52-53
#डॉविवेकआर्य
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