ओ३म् समाचार – ऋग्वेद के आठवें मण्डल तक का काव्यार्थ पूर्ण शेष दो मण्डल पर काव्यार्थ का कार्य आरम्भ

Screenshot_20240914_083958_WhatsApp

============
आज हमारी चार वेदों पर काव्यार्थ लिख रहे ऋषिभक्त विद्वान कवि श्री वीरेन्द्र कुमार राजपूत जी, देहरादून से फोन पर बातचीत हुई। उन्होंने बताया कि उन्होंने ऋग्वेद के आठवें मण्डल तक का काव्यार्थ पूर्ण कर लिया है। अब वह नवम् मण्डल का काव्यार्थ प्रारम्भ करेंगे। इससे पूर्व श्री वीरेन्द्र राजपूत जी सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद पर काव्यार्थ पूर्ण कर चुके हैं जोकि प्रकाशित हो चुका है। श्री राजपूत जी ने ऋग्वेद पर जो काव्यार्थ लिखे हैं वह आरम्भ से चैथे मण्डल तक का प्रकाशित हो चुका है। उन काव्यार्थों के सभी खण्डों का लोकापर्ण भी किया जा चुका है।

श्री राजपूत जी द्वारा ऋग्वेद के मण्डल 5, 6 एवं 7 पर लिखे गये काव्यार्थ का आगामी 22 सितम्बर, 2024 को गुरुकुल पौंधा-देहरादून में लोकार्पण किया जा रहा है। हम आशा करते हैं कि आगामी कुछ वर्षों में श्री राजपूत जी ऋग्वेद के शेष नवम् एवं दशम् मण्डल का काव्यार्थ भी पूर्ण कर लेंगे। ऐसा होने पर वह पहले कवि होंगे जिन्होंने चारों वेदों पर वैदिक परम्परा के वेदार्थों को काव्यार्थ में प्रस्तुत किया है। श्री राजपूत जी ने जो कार्य किया है वह उनके अनेक वर्षों के कठिन परिश्रम व घोर तप का परिणाम है। वर्तमान समय में उनका स्वास्थ्य अधिक अच्छा नहीं है। उन पर वृद्धावस्था का प्रभाव है। उनकी अवस्था वर्तमान में 85 वर्ष है। एक वर्ष पूर्व उनकी धर्मपत्नी जी का भी देहान्त हो चुका है। वह अपनी सुपुत्री श्रीमती प्रतिभा सिंह जी के साथ देहरादून में निवास करते हैं। उनका सारा समय वेदभाष्य को पढ़ने और उसके अनुसार उसे काव्यार्थ में प्रस्तुत करने में ही व्यतीत होता है। हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके द्वारा किया जा रहा शेष कार्य शीघ्र पूर्ण होकर प्रकाशित हो जाये जिसे वह देख सकें।

हम इस बात पर भी अपना दुःख व्यक्त करते हैं कि श्री राजपूत जी ने घोर तप करके वेदों पर काव्यार्थ लिखा है। उसे अपनी ओर से धन व्यय कर प्रकाशित भी किया है। ऐसा होने पर भी आर्यसमाज में उनके इस कार्य का अवलोकन कर वा उसे पढ़ने वाले पाठकों की अत्यन्ताभाव है। ऐसा होने पर भी हम उनके उत्साह में कोई कमी नहीं देखते। शायद यही कार्य उनको शक्ति देता है और वह इस आयु में भी घण्टों काव्यार्थ लिखने का कार्य कर रहे हैं। अस्तु।

-मनमोहन कुमार आर्य

Comment: