पिता एक बगिया, पिता है सहारा।
तुम ही मेरे मंदिर तुम ही मेरी पूजा…..
पिता एक बगिया, पिता है सहारा।
कुशल शिल्पकार बन हमको संवारा।।……
ज्योति अलौकिक होता पिता है,
हमारे सभी दुख खोता पिता है।
नभ से भी ऊंची पिता की मुरादें,
जिसने भी समझा चमका सितारा……..१
श्रवण कुमार ने करी थी साधना,
राम ने पूरी समझी भावना।
चक्र सुदर्शन लिया था श्याम ने
गाता गीत ये संसार सारा ………..२
मेरी चेतना में , मेरी कामना में,
मेरी साधना में , मेरी प्रार्थना में।
पिता ही पिता है कहीं कुछ नहीं है,
बिना तेरे होता नहीं है गुजारा। ………..३
व्योम में पिता है, ओ३म में पिता है,
सोम में पिता है, हर रोम में पिता है।
जनम जनम का , तुझसे है नाता।
महसूस करता है, परिवार सारा …….४
- डॉ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत