वैधानिक शस्त्र युक्त सभ्य समाज के बिना राष्ट्र का कोई विकास सुरक्षित नहीं
- दिव्य अग्रवाल
प्रत्येक राष्ट्र चाहता है की उसकी गिनती विकसित देश में हो जिसके लिए प्रतिवर्ष करोडो का बजट पास कर अनेक संसाधनों और योजनाओं पर व्यय किया जाता है वर्षो की कड़ी महनत के पश्चात कोई राष्ट्र प्रगति का मार्ग पकड़ता है । लेकिन इस्लामिक समाज के मजहबी मौलाना अपनी कौम को इस प्रकार शिक्षा देते हैं की वो इस विकास का विनाश करने को तत्पर रहते हैं। रेल हो, सार्वजनिक या सरकारी संपत्ति हो, राष्ट्रीय राज मार्ग हों या अन्य विकासशील वस्तुएं हों सबको मजहब के अनुसार देखना,उन्हें तोडना, लोगो के जीवन का कोई मूल्य न समझना यह विष मजहबी जिहादियों के रक्त में घोल दिया जाता है । अतः आवश्यक है की भारत के सभ्य समाज को इतना सामर्थ्यवान करो जिससे राष्ट्र विकास को हानि पहुंचाने से पहले किसी जिहादी उपद्रवी को सौ बार सोचना पड़े इजराइल की तरह यदि सभ्य समाज के प्रत्येक व्यक्ति के पास संवैधानिक शस्त्र हो तो निश्चित ही ऐसी किसी भी घटना का प्रतिकार करना सम्भव होगा। जिस प्रकार बाह्य दुश्मनो से सुरक्षा हेतु सीमा पर आधुनिक शस्त्रों की तैनाती की जाती है उसी प्रकार देश के आंतरिक दुश्मनो से सुरक्षा हेतु भी राष्ट्र भक्तो को शस्त्र धारण करने की अनुमति मिलनी चाहिए बिना शस्त्र शक्ति के देश का कोई भी विकास फलीभूत नहीं हो सकता। जब ट्रेन में बैठे हुए राष्ट्र भक्तो के पास शस्त्र होंगे तो न तो ट्रेनों पर हमले होंगे और न ही ट्रेन के भीतर मजहबी कब्ज़ा होगा क्यूंकि उस ट्रेन की रक्षा कुछ सुरक्षा बल नहीं अपितु उसमें बैठे हुए असंख्य आम जनमानस अपनी जान माल के साथ स्वम ही कर रहे होंगे। सोचिएगा जरूर इस उन्मादी भीड़ से यदि लड़ना है तो उपयुक्त प्रतिकार करने हेतु राष्ट्र भक्तो की भीड़ को शस्त्रयुक्त कर ताकतवर बनाना होगा ।
अन्यथा कसाब जैसे जिहादी आतंकवादी हाथो में बन्दूक लिए रेलवे स्टेशनों,बस स्टेशन,सरकारी अस्पतालों,स्कूलों आदि में मानवता की हत्या करने हेतु प्रयासरत ही हैं। इजराइल की तर्ज पर प्रत्येक राष्ट्रभक्त भारतवासी को अत्याधुनिक शस्त्र युक्त करना ही होगा ।