'विशेष शेर'
सर्वदा शब्द सम्भालकर बोलिए :-
जीभ में ज़ख्म हो,
तो कुछ वक्त में भर जाता है।
मगर जीभ से दिया ज़ख्म,
ताउम्र नहीं भरता॥2713॥
जो कहते कुछ हैं और करते कुछ है उनके संदर्भ में:-
देखा नज़दीक से लोगों को ,
तो होश उड़ गए ।
हक़ीक़त जानकर,
हम खामोश हो गए॥2714॥
क्या आप चित्त के दोषों को जानते हैं?
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मल :- मल अर्थात् चित्त को विकृत करने वाले सभी ,जैसे राग-द्वेष,काम – क्रोध ईष्या-घृणा , लोभ-मोह, अहंकार तथा निन्दा चुगली करना, हीन भावना रखना इत्यादि चित्त को मैला करते रहते हैं।
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विक्षेप :- विक्षेप से अभिप्राय है – चित्त का अस्थिर होना, दीर्घसूत्री होना, सर्वदा दुविधा में फंसे रहना जैसे अमुक काम करूँ अथवा न करूँ ?
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आवरण :- आवरण से अभिप्राय है-अज्ञान जैसे अयोग्य होते हुए, अपने को योग्य समझना।
क्रमशः