वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 का समर्थन व इस संबंध में कुछ सुझाव : आर्य सागर खारी

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विषय -वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 का समर्थन व इस संबंध में कुछ सुझाव

महोदय महान भारत गणराज्य का नागरिक होने के नाते में भारत सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए प्रस्तावित ” एकीकृत वक्फ प्रबंधन दक्षता विकास संशोधन अधिनियम 2024″ का समर्थन करता हूं साथ ही इस संशोधन अधिनियम के संबंध में कुछ सुझाव प्रेषित करता हूं ।

प्रस्तावित संशोधन अधिनियम में सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के उत्तराधिकार संबंधित अधिकारों का संरक्षण किया है व वक्फ अधिनियम 1995 की दीवानी न्याय की प्रक्रिया सिद्धांतों की मूल भावना के विपरीत धारा 40 का लोप किया है जिसके तहत कोई संपत्ति वक्फ की है इसका विनिश्चय करने का अधिकार राज्य व केंद्रीय वक्फ बोर्ड के पास था। वक्फ एक्ट 1995 की धारा 85 के तहत वक्फ न्यायाधिकरण के निर्णय के विरुद्ध देश के किसी भी हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती थी सरकार ने उक्त कानूनी उपचार अर्जित करने के संवैधानिक अधिकार का दलन करने वाली धारा 85 का भी लोप कर दिया है अब संशोधित अधिनियम में सरकार ने यह प्रावधान किया है कि न्यायाधिकरण के निर्णय के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है यह संशोधन भी सरकार का सराहनीय है।

वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 के अवलोकन से यह बोध होता है यह एक जनहितकारी संतुलित संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने वाला साथ ही साथ इस्लाम की वक्फ संबंधित सद्भावना से प्रेरित मान्यताओं का भी संरक्षण करने वाला एक आदर्श अधिनियम है प्रथम तो मैं इस वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 के यथावत संसद के दोनों सदनों में पारित किए जाने को लेकर समर्थन करता हूं साथ यह कामना भी करता हूं यह जनहितकारी संशोधन अधिनियम शीघ्र अति शीघ्र कानून बने इस कानून से वक्फ संबंधी मामलों में पारदर्शिता आएगी इसमें कोई दो राय नहीं है मूल कानून की विसंगतियों को इस संशोधन अधिनियम में दूर किया गया है।

इस संशोधन अधिनियम के संबंध में मैं कुछ सुझाव देना चाहूंगा।जो निम्न है

1यदि राज्य व केंद्रीय वक्फ बोर्ड वक्फ में मिली संपत्ति का वक्फ के इस्लामी दर्शन के अनुसार मानवता के कल्याण या राष्ट्र के विकास में उपयोग नहीं करता है या अब तक वक्फ में मिली अचल संपत्तियों का उचित प्रयोग प्रबंध नहीं हुआ है जन कल्याण के लिए ,इस स्थिति में वक्फ में मिली संपत्ति बिना उपयोग के यूं ही वक्फ बोर्ड के स्वामित्व में रहती है तो ऐसी संपत्ति को राज्य व केंद्र की सरकार पुनर्ग्रहण करे बगैर कोई उचित युक्तियुक्त प्रतिकर दिए। उस संपत्ति पर सरकार” सर्वजन हिताय ,सर्वजन सुखाय” की भावना से चिकित्सालय ,विश्वविद्यालय, लोक महत्व का कोई शैक्षणिक प्रशासनिक आर्थिक-सामाजिक संस्कृतिक या रक्षा संस्थान निर्मित करें जिससे राष्ट्रीय प्रगति को बल मिले विकसित भारत का लक्ष्य पूरा हो। यह उपबंध इस संशोधन कानून में जोड़ा जाना चाहिए।

2 सूचना के अधिकार कानून 2005 के उपबंध राज्य व केंद्रीय वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर व्यापकता से पूरे देश में लागू होने चाहिए।इससे जो संशोधन कानून में नेशनल डाटाबेस बनाने की बात की गई है उसको भी बल मिलेगा।

3 राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व के किसी परमाणु बिजली घर, एयरपोर्ट ,सैनिक छावनी ,रक्षा संस्थान ,डीआरडीओ अंतरिक्ष अनुसंधान जैसी वैज्ञानिक सामरिक संस्थाओं के 10 किलोमीटर के भौगोलिक दायरे में किसी भी संपत्ति को राज्य व केंद्र के वक्फ बोर्ड को नहीं दिया जाए अर्थात भौगोलिक तौर पर ऐसे दायरे में आने वाली अचल संपत्ति का वक्फ करने पर निर्बध या रोक लगनी चाहिए यह सुझाव भी वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 में जोड़ा जाए।

4 लोकमहत्व की राज्य व केंद्र सरकार की किसी परियोजना जो यातायात परिवहन, ऊर्जा उत्पादन या अन्य किसी लोक कल्याणकारी उद्यम से जुड़ी हुई है उस परियोजना के दायरे में यदि वक्फ की संपत्ति आती है तो भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत उसका अधिग्रहण का अधिकार संबंधित राज्य व केंद्र सरकार को मिलना चाहिए आखिर कोई भी व्यक्ति लोक कल्याण के लिए अपनी संपत्ति का दान करता है वक्फ बोर्ड को तो ऐसे में राज्य केंद्र सरकार को लोक कल्याण के लिए किसी परियोजना के लिए भूमि की आवश्यकता हो तो सम्बंधित वक्फ बोर्ड को पहले करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए संपत्ति का अधिग्रहण आसानी से संभव हो सके यह उपबंध भी इस कानून में जोड़े जाने चाहिए।

5 वक्फ संशोधन कानून में यह प्रावधान किया गया है वक्फ न्यायाधिकरण अधिकतम 6 महीने में वक्फ संपत्ति से जुड़े विवाद का निपटारा करेगा इस उपबंध में यह परन्तुक भी जोड़ा जाए यदि 6 महीने की सीमा अवधि के दौरान वक्फ न्यायाधिकरण विवाद का निपटारा नहीं करता है तो ऐसी विवादित संपत्ति पर स्वामित्व अधिकार वक्फ बोर्ड का न होकर उस व्यक्ति का होना चाहिए जिसकी संपत्ति पर वक्फ ने अपने अधिकार का दावा किया है।

5 मीडिया रिपोर्ट अन्य स्रोतों से पब्लिक डोमेन में एक व्यापक जानकारी है वर्ष 2009 में देश के 32 राज्य वक्फ बोर्ड व केंद्रीय वक्फ बोर्ड के पास चार लाख एकड़ जमीन थी आज जमीन 9 लाख 40 हजार एकड़ जमीन संबंधित वक्फ संस्थाओ के स्वामित्व में है। वक्फ कानून 1955 में प्रथम बार अस्तित्व में आया वर्ष 1995 वर्ष 2013 में इसमें संशोधन किए गए 1955 से लेकर वर्ष 2009 तक वक्फ बोर्डों के पास चार लाख एकड़ जमीन थी आश्चर्यजनक तौर पर वर्ष 2009 से लेकर 2024 तक वक्फ बोर्डों की स्वामित्व की भूमि का आंकड़ा दुगना हो गया है ऐसे में आजादी के उपरांत से लेकर लेकर 1 जनवरी 2024 तक वक्फ को दान में मिली संपत्तियों की समीक्षा होनी चाहिए इसके लिए वक्फ न्यायाधिकरण से अलग स्वतंत्र संवैधानिक दर्जा प्राप्त एक न्यायिक आयोग बने वक्फ की संपत्तियों का ऑडिट हो।

6 मूल वक्फ अधिनियम व संशोधन अधिनियम 2024 में वक्फ के नाम पर धोखाधड़ी छल का प्रयोग करते हुए सरकार या व्यक्ति के राजस्व हित की क्षति व्यक्ति के मामले में संपत्ति के मौलिक अधिकार को क्षति पहुंचाने वाले व्यक्ति व संस्थान पर दंडात्मक कार्रवाई किए जाने आवश्यक प्रावधान का अभाव है अर्थात कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की संपत्ति को दस्तावेजी कूट रचना या छल से अपनी संपत्ति बताकर वक्फ करता है तो उसके विरुद्ध संबंधित जिला कलेक्टर जांच करें संशोधन कानून में जिला कलेक्टर को वक्फ की संपत्ति के राजस्व से जुड़े प्रावधानों में जांच सर्वेक्षण का अधिकार दिया गया है ऐसे में दण्डातमक कार्यवाही का अधिकार भी संबंधित जिला कलेक्टर को मिलना चाहिए साथ ही भारतीय न्याय संहिता 2024 में भी वक्फ से जुड़े अपराधों को शामिल किया जाना चाहिए।

7 पंचायत राज व्यवस्था को इस संशोधन कानून में उपेक्षित किया गया है वक्फ से जुड़ी संपत्तियों के अधिकांश मामले ग्राम पंचायत के हित से जुड़े होते हैं ऐसे में ग्राम पंचायत को भी वक्फ से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण हितधारक माने जाने विषयक प्रावधान इस कानून में किया जाना चाहिए।

आशा करता हूं संयुक्त संसदीय समिति व संबंधित व्यक्ति महानुभव इन सुझावों पर गंभीरता से विचार कर करेंगे।

सम्मति व परामर्शदाता
आर्य सागर खारी

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