Categories
आओ कुछ जाने

वैदिक मान्यता के अनुसार मोक्ष स्थायी नहीं होती। *

*


मोक्ष की अधिकारी आत्मा 31 निल 10 खरब 40 अरब वर्ष मोक्ष का सुख( इस अवधि में वह आत्मा ब्रह्म के साथ विचरण करता है) भोगने के बाद पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेती है।
ऐसा व्यक्ति साधारण व्यक्ति नहीं होता, वह
चमत्कारी होता है, जिसके हाथों व बोली में
चमत्कार होता है( ऋगवेद 5-7-4 )
भगवान राम व भगवान कृष्ण
द्वारा अपने जीवन में चमत्कार
दिखाने के कई किस्से पढ़ने को मिले है,
ऐसे में यह मानना अनुचित नहीं होगा कि
वे निश्चित रूप से मोक्ष का सुख भोग कर
पुनः मनुष्य योनि में आये हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार मोक्ष की अधिकारी आत्मा स्थायी रूप से भगवान विष्णु के शरीर में विलय हो जाती है।
वैदिक मान्यता के अनुसार मोक्ष का अधिकार प्राप्त करने के पूर्व आत्मा विशेष को ज्ञान, कर्म व उपासना के समन्वय के साथ पाप शून्य जीवन जीने की कसौटी पर
खरा उतरना होता है , जबकि पौराणिक मान्यता के अनुसार पापी से पापी / राक्षस का बध भगवान राम या भगवान कृष्ण ने कर दिया तो उसको मोक्ष मिलेगी।


प्रस्तुतकर्ता
डा.गोवर्धनलाल गर्ग मो.9632910134
जयपुर/गंगापुरसिटी, राजस्थान
लेखक-सकारात्मक सोच को विकसित करने वाली कविताओं के साथ कुछ वैदिक मंत्रों पर की गयी कविताओं का संग्रह-उजाले की एक किरण

Comment:Cancel reply

Exit mobile version