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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा

आइये समझते है कि श्री कृष्ण ने हमें क्या करने को कहा है ?

श्री कृष्ण का अवतरण दिवस जन्माष्ठमी की आप हम सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ,बधाई ।

एक निवेदन

श्रीमदभागवत गीता पढ़ो…

कृष्ण का मतलब है कि सर्व आकर्षित अर्थात सबको आकर्षित करने वाला अपने ज्ञान से, अपने लीलाओं से, अपने वीरता से, अपने सौंदर्य से, अपने प्रेम और वात्सल्य से ।श्री कृष्ण परम भगवान है । उन्होंने धर्म की विजय और दुष्ठों के विनाश के लिए आज से 5000 पूर्व धरती पर अवतार लिया था । पूरी मानव जाति को दिखाया था कि कैसे कर्तव्य पूर्ण करके आदर्श जीवन दिया जा सकता है । सच्चे अर्थों में श्री कृष्ण जीवन के प्रबंधक है । जीवन की गहन मुश्किलों को पार करने की सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है । वह उनसे बेहतर कोई नहीं बता सकता और यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि जो ज्ञान उन्हें अर्जुन को आज से 5000 साल पहले कुरुक्षेत्र के युद्ध में श्रीमदभागवत गीता के माध्यम से दिया था वह आज भी उतना ही अनुसरण करने योग्य है है ।
श्री कृष्ण ने जीवन प्रबंधन के जो गुर श्रीमदभागवत गीता में अर्जुन को बताए थे । वो आज के समय में बेहद सटीक हमारी मुश्किलों, चिंताओं, दुखों को दूर करने में सक्षम है । बस आप अर्जुन की जगह अपने आप को रखो और फिर देखिए कैसे कृष्ण आपके सारे सवालों का जवाब देते हैं । अगर हम बात करें हमारी आज की युवा पीढ़ी की तो वो बहुत ऊर्जावान है यह हमारा भविष्य है । उन्हें बस सही दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत है आज के समय में युवा आगे तो बढ़ रहे हैं लेकिन साथ ही वह अनिश्चिता, डर ,बेचैनी, अशांति ,काम ,क्रोध और अवसाद जैसे दानवों के जाल में जकड़े जा रहे है । ऐसे में अगर भगवान कृष्ण के जीवन प्रबंधन के गुण सीखना है तो वह दानवों का बहुत ही आसानी से संहार कर सकता है ।
श्रीमद भागवत गीता तो लाइफ का मैनुअल है उदाहरण के तौर पर आप कोई भी उपकरण जैसे वाशिंग मशीन, एयर कंडीशनर, आदि खरीदते है तो उसके साथ आपको एक मैन्युअल मिलता है जो आपको बताता है उसे कैसे उपयोग में लाना है । बिल्कुल वैसे ही भागवत गीता हमारे जीवन का मैनुअल है । इस जीवन में आध्यात्मिक की सहायता से कैसे हम अपने क्रोध ,काम, अशांति दुविधाओं पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं । जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं यह हमें गीता बताती है । भगवान श्री कृष्ण गीता के द्वारा जीवन को जीना सिखाते हैं । अब मैं आपको खासकर युवाओं को गीता को ऐसी बात बताता हूं जिन्हें अपने जीवन में अपना करके हम अपने लक्ष्य को पा सकते हैं गीता के तीसरे अध्याय में कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि अपने सभी कार्यों को मुझे समर्पित करते हुए लाभ की आकांक्षा से रहित होकर, किसी भी स्वामित्व के दावे के बिना आलस्य से रहित होकर युद्ध करो यानी कि अपना कर्म करो ।
इसमें भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से यही कहा है कि सिर्फ कर्म करना उसका अधिकार है परिणाम की चिंता करना नहीं । तो युवा सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान दें क्योंकि आप परिणाम को नियंत्रित नहीं कर सकते हमारे युवा पीढ़ी को भी गीता पढ़ने की आदत डालनी चाहिए क्योंकि वह हमें जीवन के मुश्किलों सवालों को हल करने में साथ देती है भगवान श्री कृष्ण हमें ज्ञान की ऊर्जा के द्वारा विकारों को दूर करने का मार्ग दिखाते हैं क्योंकि क्रोध, लोभ ,मोह से अशांति उत्पन्न होती है और यही हमारी सफलता में बाधक बनती है इसलिए मन को एकाग्र करने का और शांत करने का एकमात्र तरीका श्रीमद भागवत गीता का पठन है ।
इस लिए गीता पढ़ो …गीता पढ़ो..बस गीता पढ़ो…
(संकलन कर्ता- विक्रांत खंडेलवाल संगठन मंत्री भारत विकास परिषद ,केंद्र लखनऊ )

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